Jagran Special : प्रदूषण से जंग लड़ेगा विंटर वेकेशन पर गया कूलर Bareilly News
जिस कूलर को घर के कोने में पहुंचा दिया है वह एयर प्योरिफायर (हवा को शोषित करने वाला) भी बन सकता है। बरेली के पर्यावरणविद प्रो. डीके सक्सेना ने ऐसी तकनीक ईजाद की है।
जेएनएन, बरेली : सर्दी आ गई है..। ऐसे में शायद आपने भी साफ-सफाई कर कूलर को ‘छुट्टी’ दे दी होगी। लेकिन क्या आपको मालूम है कि जिस कूलर को घर के कोने में पहुंचा दिया है वह एयर प्योरिफायर (हवा को शोषित करने वाला) भी बन सकता है। बरेली के पर्यावरणविद प्रो. डीके सक्सेना ने ऐसी तकनीक ईजाद की है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि आपको शुद्ध हवा के लिए बाजार से प्योरिफायर खरीदने में दस-बारह हजार रुपये खर्च नहीं करने होंगे।
घास की जगह एसी का फोम फिल्टर : इस तकनीक का उपयोग करने के लिए कूलर में कुछ बदलाव करने होंगे। कूलर अंदर से साफ कर तीनों पैनल को निकाल लें। इसके बाद ¨वडो एसी में उपयोग आने वाले डस्ट फोम फिल्टर लें जोकि किसी भी एसी शॉप या ऑनलाइन मिल जाएंगे। एक फिल्टर की कीमत 300 से 1000 रुपये के बीच (क्वालिटी के हिसाब से) होती है। कूलर के तीनों पैनल में ये फिल्टर घास की जगह लगा लें। यदि तीनों पैनल में फिल्टर लगाना महंगा समङों तो एक या दो में भी लगा सकते हैं। इसके बाद कूलर को चारों ओर से चेक कर लें कि कोई दरार या छेद न हो। अगर कहीं है तो इसे किसी प्लास्टिक या फोम से कवर कर दें।
क्या है पीएम 2.5 और पीएम 10 : पीएम (पार्टिकुलेट मेटर) को कण प्रदूषण भी कहा जाता है। यह वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है। यह इतने छोटे होते हैं कि आंखों से देखे नहीं जा सकते। पीएम 2.5 की मात्र 60 और पीएम 10 की मात्र 100 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है। इनका मानक ज्यादा होने पर ये कण सांस के जरिये फेफेड़ों में जाते हैं जिससे बीमारियां होती हैं।
दीवार की तरफ मुंह कर चलाएं कूलर : कूलर में बदलाव करने के बाद इसे घर के कोने में लगा दें। अंतर बस इतना रहेगा कि गर्मी में कूलर का मुंह (फैन) आपकी ओर होता है। वहीं, अब आपको कूलर का मुंह दीवार की ओर रखकर इसे चला देना है। इसे ऐसे कमरे में लगाएं जो सभी कमरों की हवा खींचे। तीन से चार घंटे में एक बार आधे घंटे के लिए कूलर चलाना है, इससे कमरों में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम-10 पार्टिकल 70 फीसद तक कम हो सकेगा। डॉ. सक्सेना ने इसके जरिये जो प्रयोग किया उससे घर के अंदर का 70 फीसद तक प्रदूषण कम करने का दावा किया। इसकी सफाई भी बेहद आसान है। फिल्टर को हर दस से पंद्रह दिन में धोकर या किसी ब्रश के जरिए झाड़कर साफ किया जा सकता है। ये दो या तीन सीजन तक चल सकते हैं।
आखिर क्यों है इसकी जरूरत : वायु प्रदूषण से स्ट्रोक, दिल स जुड़ी बीमारियां, फेफड़ों का कैंसर, सांस संबंधी और अन्य संक्रमित बीमारियां होती हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दुनिया की 92 फीसद आबादी ऐसी जगह रहती है, जहां हवा की क्वालिटी मानक के अनुरूप नहीं है इनमें सबसे ज्यादा मौत मध्यम और निम्न वर्ग की होती है।
कूलर में मामूली बदलाव कर बेहद कम खर्च से एयर प्योरिफायर बनाया जा सकता है। रिसर्च में पाया कि इससे 70 फीसद तक प्रदूषण कम होता है। मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए यह घर के अंदर का प्रदूषण हटाने में बेहद उपयोगी है। - प्रो.डीके सक्सेना, पर्यावरणविद्, बरेली