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Jagran Column : Crime Radar : नेता जी बोले-हम तो आप से ही कहेंगे Bareilly News

बहेड़ी की राजनीति में दखल रखने वाले एक जनप्रतिनिधि का दर्द इस समय एक साहब नहीं समझ रहे हैं वो भी तब मामला पब्लिक का न होकर उनका खुद का हो।

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 08:57 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 08:57 AM (IST)
Jagran Column : Crime Radar : नेता जी बोले-हम तो आप से ही कहेंगे Bareilly News
Jagran Column : Crime Radar : नेता जी बोले-हम तो आप से ही कहेंगे Bareilly News

अभिषेक पांडेय : बहेड़ी की राजनीति में दखल रखने वाले एक जनप्रतिनिधि का दर्द इस समय एक साहब नहीं समझ रहे हैं, वो भी तब मामला पब्लिक का न होकर उनका खुद का हो। साहब भी क्यों सुनें साहब न्याय प्रिय हैं..जो सही है वही करेंगे। कई बार नेता जी के कहने पर साहब ने हर बार नए अधिकारी से जांच कराई लेकिन मामला सही-गलत पर ही अटक गया। अब नेता जी का भी साहब से मोह भंग हो गया। फंसते क्या न करते हुए अब वह बड़े साहब के दरबार में चक्कर काट रहे हैं। बड़े साहब ने कहा कि ये उनके हाथ में नहीं हैं वह तो केवल समीक्षा अधिकारी है। छोटे साहब से ही कहिए, हालांकि नेता जी का दर्द देख बड़े साहब को तरस आया और छोटे साहब को फोन घुमाया। छोटे साहब ने पहले सुना फिर कहा साहब नेता जी को तो दुनिया में कोई नहीं समझा सकता।

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वसूली के लिए बदनाम चौकी में रखा प्राइवेट मुंशी

वसूली के चक्कर में बारादरी के दारोगा की गिरफ्तारी के बाद थाने के ही एक चौकी इंचार्ज पर इसका कोई असर नहीं है। वसूली के लिए बदनाम हो चुके चौकी इंचार्ज की शिकायत अब बड़े दरबार तक पहुंचने लगी है। वसूली के चक्कर में एक दारोगा एंटी करप्शन टीम के हत्थे चढ़े थे। चौकी इंचार्ज को दारोगा की मिसाल दी गई और फंसने का डर दिखाया गया। कुछ दिन वसूली कम हुई तो चौकी इंचार्ज की नींद उड़ गई। अब इंचार्ज ने वसूली का नया तरीका इजाद कर लिया है। उन्होंने वसूली के लिए एक प्राइवेट मुंशी रख लिया है। जो उनकी चौकी पर बैठकर उनके लिए वसूली करता है। बात थाने तक पहुंच गई तो दारोगा की हरकत पर सबको गुस्सा भी आया। समझाया लेकिन चौकी इंचार्ज मान हीं नहीं रहें। हालांकि चौकी इंचार्ज की इस हरकत से परेशान पब्लिक ने अफसरों से शिकायत करना शुरू कर दी है।

विभाग में विभीषण कौन है?

बरेली में खुद का आवास होते हुए भी करीब एक साल तक गेस्ट हाउस में डेरा जमाए वर्दी वाले साहब की घर वापसी हो गई। हो भी क्यों न..सबसे बड़े साहब ने जो सरकारी आवास में रहते थे। उन्होंने फोन घुमाकर तड़का जो लगा दिया था। अब साहब सरकारी आवास में तो पहुंच गए हैं लेकिन अब उनका मन आवास की जगह गेस्ट हाउस में ही लटका है। साहब अपने विभाग के उस विभीषण को खोजने में लगे हैं जिसने बड़े साहब तक मामला पहुंचाया। साहब ने कइयों को फोन घुमा डाला। पूछा कि साल भर बिना किसी दिक्कत के रहे, लेकिन उनके आराम में खलल डालने वाला कौन था? पूछ-पूछ कर थक गए लेकिन उन्हें कुछ पता नहीं चला। उल्टा उनकी हरकत की भनक भी बड़े साहब तक पहुंचने लगी है। अब साहब के दिन और उल्टे हो गए हैं। बताते हैं कि उनकी रिपोर्ट बन रही है।

मैनेजमेंट गुरु का ज्ञान 

विभाग कोई भी हो, मैनेजमेंट से ही बेहतर चलता है। अफसर हो या दफ्तर, अगर मैनेजमेंट नहीं आता तो सारा ज्ञान और काम धड़ाम होता है। बरेली के पुलिस विभाग में पिछले कुछ समय से मंझले साहब को मैनेजमेंट ज्ञान ही नहीं था। हालात ऐसे हो गए कि कार्यालय से लेकर पब्लिक तक परेशान होने लगी। साहब का मामला आला अफसरों तक पहुंचा। फोन पर समझाया कि साहब खुद नहीं बनो, साहब तो पब्लिक बनाती है। उसके बाद भी साहब को शायद समझ नहीं आया। एक दिन सारे बड़े साहबों के साथ जिले के साहब बैठे थे। साथ में विभाग के मैनेजमेंट गुरु कहे जाने वाले साहब भी थे। मैनेजमेंट गुरु इसलिए कि सीएए एनआरसी में प्रदेश में सिर्फ उनका ही इलाका सेफ था। बस क्या था गुरु को मौका मिला और फेस-टू-फेस मैनेजमेंट का ज्ञान दे दिया। साहब ने भी पूरा संज्ञान लिया और अब खुद मैनेजमेंट गुरु बन गए।


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