Jagran Coloumn : Crime Radar : शोले देखी है... तो गब्बर के पिता का नाम बताओ Bareilly News
बातचीत के दौरान बड़े साहब बोले शोले फिल्म किसने देखी तो कितनी बार देखी है। सभी खुश बोले हां कई बार देखी है। साहब बोले तो बताओ गब्बर के पिता का नाम क्या था।
अंकित गुप्ता : जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी खबरनवीसों के सवालों से अक्सर घिरे रहते हैं। कुछ दिन पहले वह कुछ अलग मूड में नजर आए। मौका था जूनियर आइपीएस के प्रमोशन का। बातचीत के दौरान बड़े साहब बोले शोले फिल्म किसने देखी तो कितनी बार देखी है। सभी खुश बोले, हां कई बार देखी है। साहब बोले तो बताओ गब्बर के पिता का नाम क्या था। फिर क्या, सब चक्कर में पड़ गए। फिल्म में गब्बर के पिता का नाम आया या नहीं। साहब से अक्सर सवाल पूछने वालों को यूं परेशान देख साहब खुश नजर आ रहे थे। कई खबरनवीस तो गूगल बाबा की शरण में चले गए और नाम ढूंढ लाए। बताया कि गब्बर सिंह के पिता का नाम हरी सिंह था। साहब बोले सही है, क्या ये गूगल पर था। जवाब आया हां। साहब हंसे और बताया कि फिल्म में गब्बर के पिता का नाम कब आया था।
सिगरेट वाले साहब के चर्चे तमाम
जिले के देहात क्षेत्र के एक थानेदार का सिगरेट पीते वीडियो वायरल हुआ। वायरल वीडियो में आंखों पर चश्मा, हाथों में सिगरेट और उसका छल्ला बना कर धुआं उड़ाते देख कई फिल्मी कलाकार भी दांतों तले अंगुलियां दबा गए होंगे। उनका स्टाइल देख बड़े साहब भी मजे ले रहे थे। फिलहाल जांच आवंला के बड़े साहब को दी गई है। लेकिन इन सिगरेट वाले साहब के चर्चे इतने हैं कि कुछ पूछिए मत। लोगों के पास वीडियो भी तमाम हैं। बताते हैं कि बरेली के कुछ दोस्त आते हैं और कमरे से मुंह पर ढाटा बांध कर बाहर निकलते हैं। बताते हैं कि साहब इसी थाने में पहले भी रहे हैं और लंबी रिश्वत मांगने के मामले में नप गए थे। जब उनकी तैनाती हुई तो सभी के जेहन में सवाल था कि यहीं से नपे थे, यहां पहले भी रहे और अब फिर यहीं का चार्ज कैसे मिल गया।
बेगानी शादी, अब्दुला दीवाना
दो दिन पहले शादी की सूचना पर रात में हंगामा हो गया। हाई प्रोफाइल मामला होने के चलते पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। घंटों हंगामा चला और पुलिस खड़ी रही। मुहल्ले में इतनी बड़ी तादात में पुलिस देख लोग जुटने लगे। धीरे धीरे पता चला कि बड़ा मामला है। शादी के बाद रुख्सती का कार्यक्रम होने वाला था, इससे पहले ही हंगामा खड़ा हो गया। हंगामा निपटे और लोग अपने अपने घर जाएं, इस इंतजार में रात के 12 बज गए। वहां खड़े लोग तो लोग ड्यूटी पर आए सिपाही भी कहने लगे, क्या बात है भाई, ऐसा लग रहा है जैसे बेगानी शादी में अब्दुला दीवाना हो। कह रहे थे कैसी शादी हो रही थी भाई अब तक दूल्हा दिखा न दुल्हन। कुछ ही देर बाद एक फोन की घंटी बजती है और वहां मजमा जुटाने वाले लोग कहते हैं कि वह बाहर निकल गए, अब चलो।
शांति है फिर भी छुट्टी नहीं
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आग जहां लगी, अब वहां भी शांत हो गई। बरेली में तो सब शांति-शांति है। लेकिन हाईकमान का ऐसा आदेश कि ढिलाई न बरतें, माहौल कतई खराब न होने दें। आदेश मिलते ही जिले के पुलिस कर्मियों की छुट्टियां बंद कर दी जाती हैं। इसके लिए कोई लिखित में आदेश तो जारी नहीं होता, लेकिन सभी को समझा दिया जाता है कि छुट्टी की बात मत करना, माहौल बहुत गर्म है। फिर क्या सिपाही से लेकर अधिकारी तक शांति व्यवस्था कायम करने में जुट जाते हैं। शुक्रवार का दिन तो काफी टेंशन में गुजरता है। शाम को ड्यूटी निपटाने के बाद जब पुलिसकर्मी वापस लौटते हैं तो सोचते हैं कि साहब की स्टाफ वालों की छुट्टी से दुश्मनी रहती है। बोले छुट्टी तो मिलती रहनी चाहिए, यहां के लोग तो समझदार हैं। माहौल बिगाड़ने पर नहीं, शांति बनाए रखने पर विश्वास रखते हैं।