आइवीआरआइ वैज्ञानिकों ने कहा, गुजराती शेरों के मौत की वजह निमोनिया
कैनाइन डिस्टेम्पर वायरस के हमले से पनपा निमोनिया शेरों का शिकार कर रहा है। इस खतरनाक बीमारी के चलते शेरों के लिए नाक और फिर मुंह से सांस लेना मुश्किल हो गया। फेफड़े भी सड़ गए।
बरेली [दीपेंद्र प्रताप सिंह]। गुजरात के गिर अभ्यारण्य में महज एक महीने के भीतर 24 शेरों की मौत से केंद्रीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने पर्दा उठा दिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, कैनाइन डिस्टेम्पर वायरस के हमले से पनपा निमोनिया शेरों का 'शिकार कर रहा है। इस खतरनाक बीमारी के चलते शेरों के लिए नाक और फिर मुंह से सांस लेना बंद मुश्किल हो गया। फेफड़े भी सड़ गए। कुछ में पस पड़ गया है। खास बात यह कि जो शेर अब तक मारे गए हैैं, वे सभी एक ही प्राइड यानी कुनबे के हैं। वैज्ञानिकों की टीम विस्तृत जांच और शोध के लिए कुछ सैंपल भी लेकर लौटी है।
गुजरात में मर रहे शेरों को लेकर केंद्र सरकार भी चिंतित थी। इसके बाद ही बरेली स्थिति आइवीआरआइ के वैज्ञानिकों को हालात जांच के लिए गुजरात के गिर भेजा गया। चार दिन पहले रवाना हुई टीम गुरुवार को लौट आई। फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट का गहना अध्ययन किया जा रहा है।
महज छह से सात दिनों में मौत, अब जांच : कैनाइन डिस्टेम्पर वायरस की वजह से शेरों के फेफड़े सडऩे के साथ लीवर ज्यादा लाल मिला। वहीं, दिमाग में भी जरूरत से ज्यादा खून की सप्लाई हो रही थी। इस वायरस से फैला निमोनिया महज छह से सात दिनों में शेरों की मौत की वजह बन रहा है। पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी ने भी कैनाइन डिस्टेम्पर वायरस के बाबत रिपोर्ट दी थी।
इन जांच से सामने आएगा सच : आइवीआरआइ टीम अब जिंदा और मुर्दा शेरों के लाए सैंपलों की हिस्टोपैथोलॉजी करेगी। इसमें माइक्रोस्कोप से शेरों के अंग पर हो रहे बदलाव की जांच होगी। इसके अलावा वायरस की स्थिति जानने इसकी काट खोजने के लिए टेस्ट होगा। वहीं, बैक्टीरियोलॉजिकल टेस्ट कर पता लगाया जाएगा कि लिवर में कौन से बैक्टीरिया बढ़ रहे हैं।
वैज्ञानिकों का अनुमान, शेरों तक ऐसे फैला वायरस : कैनाइन डिस्टेम्पर वायरस अमूमन कुत्तों, हायना, अन्य जंगली चौपायों में पाया जाता है। यह शरीर के हर हिस्से मतलब... खून, मांस, हड्डी, लार और यहां तक कि आंखों के पानी में भी पनप जाता है। संभव है किसी शेर ने संक्रमित जानवर का शिकार किया। जिसके बाद कुनबे के कुछ शेरों ने उसे खाया। इसके बाद शारीरिक संपर्क में आने से यह वायरस फैलता गया। फिर एक के बाद एक कई शेरों की मौत होने लगी।
शेरों के सैंपल लिए हैं। अगले कुछ दिनों में सभी सैंपलों की जांच पूरी हो जाएगी। उसके बाद आइवीआरआइ अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी।
- डॉ.एके शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक, सेंटर ऑफ वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन, मैनेजमेंट एंड डिसीज सर्विलांस, आइवीआरआइ (बरेली)