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IVRI वैज्ञानिकों ने खोजा सांभर झील में मरने वाले पक्षियों की मौत का रहस्य, उठाया पर्दा Bareilly News

देश के सबसे बड़ी सांभर झील में करीब पांच हजार प्रवासी पक्षियों की मौत के राज से भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) ने पर्दा उठा दिया है। जांच में सामने आया है!

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 05:47 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 05:59 PM (IST)
IVRI वैज्ञानिकों ने खोजा सांभर झील में मरने वाले पक्षियों की मौत का रहस्य, उठाया पर्दा Bareilly News
IVRI वैज्ञानिकों ने खोजा सांभर झील में मरने वाले पक्षियों की मौत का रहस्य, उठाया पर्दा Bareilly News

जेएनएन, बरेली : देश के सबसे बड़ी सांभर झील में करीब पांच हजार प्रवासी पक्षियों की मौत के राज से भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) ने पर्दा उठा दिया है। जांच में सामने आया है कि इन पक्षियों की मौत बोटूलिज्म बीमारी के चलते हुई थी। आइवीआरआइ वैज्ञानिकों ने इसकी रिपोर्ट शुक्रवार को राजस्थान सरकार के हवाले कर दी।

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Rajasthan Government ने सौंपी थी जांच 

राजस्थान की सांभर झील में दस नवंबर को हजारों प्रवासी पक्षियों की अचानक मौत हुई थी। मरने वाले पक्षियों में प्लोवर, कॉमन कूट, काले पंखों वाला स्टिल्ट, उत्तरी फावड़े, सुर्ख शेल्ड आदि शामिल थे। इसकी जानकारी हुई तो राजस्थान सरकार ने जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र (आइवीआरआइ) के वैज्ञानिकों को जिम्मेदारी सौंपी थी।

IVRI के वैज्ञानिकों ने सौंपी अपनी जांच Report

वैज्ञानिकों ने 10 से 12 दिनों में इसकी जांच पूरी कर ली। सरकार ने जांच के लिए मरे हुए पक्षियों के शव और झील के पानी का नमूना आइवीआरआइ के वैज्ञानिकों को भेजा था। आइवीआरआइ के निदेशक प्रो. राजकुमार सिंह ने बताया कि अभी तक इन पक्षियों को वहां दफनाया जा रहा है। इससे बीमारी फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। मृत मिले सभी पक्षियों को तुरंत जला दिया जाए।

हर साल आते हैं सांभर झील में लाखों पक्षी

सांभर झील में हर साल लाखों प्रवासी पक्षी आते हैं। इनमें राजहंस, गार्गाने, गुल्स आदि पक्षियों की प्रजाति शामिल हैं। हर साल इस झील में करीब 50,000 राजहंस और एक लाख वेडर आते हैं। 

इंसानों में भी फैलने की आशंका, बरतें सावधानी

आइवीआरआइ के निदेशक प्रो. राजकुमार ने बताया कि उन्होंने इसकी जांच रिपोर्ट राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार दोनों को भेज दी है। बोटूलिज्म का असर इंसानों पर भी पड़ सकता है।  इसके चलते इंसान कमजोर हो जाता है। आंखों की रोशनी गायब हो जाती है। बोलने की क्षमता समाप्त होने लगती है। कंधे और पैर कमजोर हो जाते हैं। इस बीमारी का शिकार होने वाले इंसान की उल्टियां शुरू हो जाती हैं। 

विषैले कीड़ो के शव खाने से हो रही बोटूलिज्म बीमारी

प्रो. राजकुमार के मुताबिक यह बीमारी क्लॉस्ट्रिडियम बॉटूलिच्म नामक बैक्टीरिया से पक्षियों में फैली। जांच करने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक झील में पानी घटने के चलते तटों पर खारापन बढ़ गया। छिछले पानी में सूक्ष्तम जीव क्रस्टेशियन, इनवर्टिब्रेट, प्लेंक्टोंस विषैले होकर मरने लगे। इनको खाते ही एवियन बोटूलिज्म नाम की बीमारी उत्पन्न हो गई और इससे पक्षियों की सांस घुटने लगीं। सड़े हुए शवों में कीड़े पड़ गए जिन्हें खाने के बाद मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही चला गया।  


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