International Womens Day : इज्जतनगर मंडल में महिलाओं ने संभाली ट्रेनों के संचालन सहित स्टेशन की कमान Bareilly News
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को पूवरेत्तर रेलवे का नजारा खास नजर आया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इज्जतनगर रेलवे स्टेशन की कमान को पूरी तरह से महिलाओं ने संभाल रखी है।
बरेली, जेएनएन : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को पूवरेत्तर रेलवे का नजारा खास नजर आया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इज्जतनगर रेलवे स्टेशन की कमान को पूरी तरह से महिला कर्मचारियों ने संभाली। महिला रेल कर्मचारी ट्रेन संचालन, टिकट वितरण, टिकट जांच, टिकट आरक्षण आदि सहित सभी कार्यों को कुशलता के साथ करती नजर अाई।
इज्जतनगर स्टेशन की कमान आधी आबादी को सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक के लिए सौंपी गई है ।जाएगी। इसमें ड्यूटी का निर्धारण पहले ही कर दिया गया था। सहायक स्टेशन मास्टर की जिम्मेदारी शीतल ने संभाल रखी है। अनारक्षित टिकट बुकिंग में तसीलम आरा खान, माया, अमिता डे, तत्काल टिकट आरक्षण में अनीता टिर्की व साक्षी की तैनाती की गई है। जबकि ट्रेन संख्या 75307 व 15076 त्रिवेणी एक्सप्रेस में टिकट जांच कार्य शिवधारा, आशा, बसंती कर रही है। स्टेशन सुरक्षा में महिला कांस्टेबल रचना को तैनात किया गया है। त्रिवेणी एक्सप्रेस के लोको पायलट की सहायिका के रुप में पुष्पा कुमार कार्य करेंगी।
केवल महिलाएं ही चलाती हैं भारत के पांच रेलवे स्टेशन
भारत के पांच ऐसे रेलवे स्टेशन हैं जहां स्टेशन मास्टर, सुपरवाइजर, टिकट चेकर और रिजर्वेशन क्लर्क सभी महिलाएं हैं। इन स्टेशनों में पहला नाम मुंबई उपनगर के माटुंगा रेलवे स्टेशन का है। जो कि मध्य रेलवे (सीआर) में आता है। इसे जुलाई 2017 से महिलाएं संचालित कर रहीं हैं। बता दें कि इस स्टेशन का नाम सभी महिला कर्मचारी को लेकर लिम्का बुक में 2018 में दर्ज हुआ था।
जबकि दूसरा स्टेशन जयपुर का गांधीनगर रेलवे स्टेशन है। तीसरा महाराष्ट्र के नागपुर का अजनी रेलवे स्टेशन है। यह मध्य रेलवे के नागपुर खंड का हिस्सा है। चौथा गुजरात की राजधानी अहमदाबाद का मणिनगर रेलवे स्टेशन हैं। यह पश्चिम रेलवे के अंतर्गत आता है। पांचवां स्टेशन आंध्र प्रदेश का चंद्रागिरी रेलवे स्टेशन है। यह दक्षिण मध्य रेलवे के गुंटकल खंड में आता है।
वो दौर अलग था जब बेटियों का दायरा सीमित था। अब वे सिर्फ घर की बाउंड्री तक सीमित नहीं हैं, अब वे रसोई से बाहर निकलकर साबित कर चुकी हैं कि वे किसी से कम नहीं। खासकर रेलवे और बैंकिंग सेक्टर में वे खुद को सबसे आगे साबित कर चुकी हैं। शिक्षा क्षेत्र में पहले ही जता चुकी थीं कि पीढ़ी को अनुशासित और आत्मनिर्भर बनाने में उनकी कोई बराबरी नहीं।