लचर तफ्तीश में फंस गए इंस्पेक्टर, कोर्ट की सुनवाई में आरोपित हो गए रिहा Bareilly News
आरोपित सिपाही भगवान दास ने जीतू को मोबाइल पर धमकी दी कि अगर वह उसकी पत्नी से बात करना नहीं छोड़ेगा तो वह उसे व अपनी पत्नी को मार डालेगा।
बरेली, जेएनएन : युवक को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में कोर्ट में सुबूतों के अभाव में आरोपित सिपाही और उसके ससुर को बरी कर दिया। वहीं, केस से जुड़े अहम सुबूत न जुटाने पर विवेचक तत्कालीन कोतवाली इंस्पेक्टर शक्ति सिंह फंस गए। एडीजे-15 अनिल कुमार सेठ ने डीजीपी को इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
घटना पांच अप्रैल 2013 को हुई थी। मृतक जीतू के पिता चंद्रसेन ने कोतवाली में दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के मुताबिक आरोपित सिपाही भगवान दास ने जीतू को मोबाइल पर धमकी दी कि अगर वह उसकी पत्नी से बात करना नहीं छोड़ेगा तो वह उसे व अपनी पत्नी को मार डालेगा। घटना वाली रात जीतू के घर में समारोह था। रात 10 बजे वह अपने दूसरे मकान में सोने चला गया। अगले दिन सुबह उसका शव फंदे से लटका मिला था। रिपोर्ट में सिपाही भगवानदास उसके ससुर महेंद्र के खिलाफ आत्महत्या को उकसाने का आरोपित बनाया गया।
नहीं पेश की आइडी, कॉल डिटेल
मृतक के पिता ने कोर्ट में कहा कि जीतू दो मोबाइल चलाता था। विवेचक ने सिपाही व जीतू के बीच बात करने की कोई जानकारी नहीं जुटाई। न ही दोनों नंबरों की आइडी की पुष्टि की गई। अन्य मोबाइल नंबरों की भी लोकेशन या फिर कॉल डिटेल सुनवाई के दौरान पेश की गई। पुष्ट सुबूत के अभाव में एडीजे ने दोनों आरोपितों को बरी कर दिया।
सुभाष नगर थाने में थी सिपाही की तैनाती
घटना के दौरान आरोपित सिपाही भगवानदास की तैनाती सुभाष नगर थाने की मढ़ीनाथ चौकी में थी। मृतक के पिता का आरोप है कि विवेचक शुरू से ही आरोपितों को बचाते रहे।