Initiation ceremony : नन्हीं आंखों में बड़े ख्वाब जगा गईं राज्यपाल Bareilly News
राज्यपाल के हाथों तोहफा पाकर बच्चे फूले नहीं समा रहे थे। राज्यपाल ने मंच से उन्हें दीक्षा में बुलाने का कारण भी बताया।
बरेली [अभिनव रस्तोगी] : जो बच्चे अब तक घर, खेत और प्राइमरी स्कूल की दहलीज तक सीमित थे, उन्हें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के विशेष बुलावे पर रुहेलखंड विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षा समारोह में बतौर मेहमान आमंत्रित किया गया। खुले मंच से राज्यपाल ने प्राथमिक विद्यालय डोहरिया की पांचवीं कक्षा के 11 छात्रों को न सिर्फ तोहफे देकर अपना आशीष दिया, बल्कि उनकी नन्हीं आंखों में बड़े ख्वाब जगा गईं।
राज्यपाल के विशेष निर्देश थे इसलिए विवि प्रशासन ने भी नन्हें मेहमानों के बैठने के लिए खास व्यवस्था की थी। दीक्षा प्रागंण में मंच के पास ही उन्हें बिठाया गया। दीक्षा समारोह के दौरान राज्यपाल के विशेष मेहमान भी काफी उत्साहित दिखे। राज्यपाल ने नन्हे मेहमानों को मंच पर बुलाकर तोहफे में सेब, मिठाई और पुस्तक (हितोपदेश की कहानियां) प्रदान की।
राज्यपाल के हाथों तोहफा पाकर बच्चे फूले नहीं समा रहे थे। राज्यपाल ने मंच से उन्हें दीक्षा में बुलाने का कारण भी बताया। बोलीं, यह छोटे-छोटे बच्चे घर, खेत और स्कूल छोड़कर कहीं नहीं जाते। दीक्षा समारोह में जब वह टॉपर को मेडल प्राप्त करते देखेंगे तो इनमें भी ख्वाब जगेगा। प्राइमरी स्तर से ऊपर उठने का। उच्च शिक्षा प्राप्त कर दुनिया को अपनी प्रतिभा दिखाने का। कहा, पूरे विश्व में स्पद्र्धा हो रही है यदि हमारे बच्चे आगे नहीं आएंगे तो हम पीछे छूट जाएंगे।
आठ साल तक के बच्चों पर विशेष फोकस
राज्यपाल ने आठ साल यानी कक्षा चार तक के बच्चों पर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया। कहा कि मनोवैज्ञानिक के मुताबिक, आठ साल तक बच्चें के 80 फीसद मस्तिष्क का विकास हो जाता है। इस उम्र के बच्चों को जिस सांचे में ढालेंगे, वैसा ही वह बन जाएंगे। यदि हम उन्हें अच्छे संस्कार देंगे तो वह संस्कारवान होंगे। वहीं, ध्यान नहीं देंगे तो उनका जीवन अंधकार मय हो जाएगा।
थाने घुमाया तो बच्चे बोले, हम ऐसा कभी नहीं करेंगे
मंच से संस्मरण सुनाकर राज्यपाल ने बड़ा संदेश दिया। बोलीं, पिछले दिनों कक्षा छह, सात और आठ के बच्चों बुलाकर अपने साथ थाना घुमाया। समझाया कि जो लोग वहां बंद है उन्होंने कौन से गलत काम किए हैं। तब सभी बच्चों ने उनसे बोले कि वह कभी ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि बच्चों सही-गलत में फर्क बताना बेहद जरूरी है।
माय नेम इज नदीम
वाट इज योर नेम...? प्राथमिक विद्यालय डोहरिया की कक्षा पांच में पढऩे वाले राज्यपाल के नन्हे मेहमान से जैसे ही यह सवाल पूछा गया। तुरंत जवाब मिला, माय नेम इज नदीम। आप को यह तोहफा किसने दिया...? उत्तर मिला, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने। नदीम के पिता नन्हे मजदूरी करते हैं। वहीं, उनकी ही कक्षा में पढऩे वाली अनमता के पिता कारचोबी का काम करते हैं। गरीब परिवारों से ताल्लुक रखने वाले इन बच्चों का जोश राज्यपाल से मिलने के बाद देखते नहीं बन रहा था। उत्साह और ऊर्जा से भरपूर बच्चों ने बताया कि वह राज्यपाल की ओर दी गई किताब को घर जाकर मन लगाकर पढ़ेंगे। हालांकि, जब उन्हें पता चला कि किताब को बाद में लाइब्रेरी में रखा जाना है तो उनके चेहरों पर थोड़ी सी उदासी नजर आई।
इन बच्चों को राज्यपाल ने दिया तोहफा
प्रधानाध्यापिका मधु सिंघल व शिक्षक लक्ष्मी पांडेय के साथ कक्षा पांच के 11 छात्र दीक्षा समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे। इनमें नदीम, हस्सान रजा, शोएब, सर्वेश, लाल बहादुर, आरजू, फूल बी, विनीता, अनमता, प्रिया और चांदनी को राज्यपाल ने तोहफा दिया।