बरेली में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उप निदेशक ने दिए स्वच्छता के निर्देश
प्रदेश के 17 सबसे प्रदूषित जिलों में बरेली भी शुमार है। प्राय आरेंज या रेड जोन में रहने वाले शहर का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के उप निदेशक डा.डीके सोनी ने सोमवार को दौरा किया। मंगलवार को हुई जिला पर्यावरण समिति की बैठक में अधिकारियों को वायु और जल प्रदूषण में सुधार लाने के लिए अहम निर्देश दिए।
बरेली, जेएनएन: प्रदेश के 17 सबसे प्रदूषित जिलों में बरेली भी शुमार है। प्राय: आरेंज या रेड जोन में रहने वाले शहर का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के उप निदेशक डा.डीके सोनी ने सोमवार को दौरा किया। मंगलवार को हुई जिला पर्यावरण समिति की बैठक में अधिकारियों को वायु और जल प्रदूषण में सुधार लाने के लिए अहम निर्देश दिए।
मुख्य विकास अधिकारी डा.चंद्रमोहन गर्ग की अध्यक्षता में हुई बैठक में डा. सोनी ने नगर निगम और बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) के अधिकारियों से कहा कि शहर की मुख्य सड़कों पर प्रदूषण काफी ज्यादा है। जरूरी है कि इन सड़कों के किनारे हरियाली हो। इसके लिए अगर कोई जरूरी प्रस्ताव है तो प्रशासन की मदद से पास कराया जा सकता है। उन्होंने शहर के नालों में पानी की सफाई पर भी जोर दिया, जिससे रामगंगा नदी का पानी स्वच्छ रखा जा सके। सभी विभागों की कार्ययोजना सुनकर कई अहम सुझाव दिए। बैठक में उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी रोहित सिंह, सहायक अभियंता शशि बिदकर आदि मौजूद थे।
प्लाट खाली हैं तो करें पौधारोपण
उन्होंने बीडीए अधिकारियों से कहा कि प्राधिकरण खाली प्लाटों पर पौधारोपण क्यों नहीं कराता। सहायक अभियंता ने जवाब दिया कि अधिकांश प्लाट बिक चुके हैं, ऐसे में किसी के प्लाट पर बीडीए कैसे पौधे लगाए। इस पर डा.सोनी ने कहा कि लंबे समय से खाली प्लाटों में कूड़ा पड़ने लगता है। इससे प्रदूषण फैलता है। ऐसे में संबंधित शख्स के बात की जा सकती है। अगर कुछ समय में प्लाट नहीं बनवाता है तो उसे विश्वास में लेकर पौधे लगाए जा सकते हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं।
पीपीई किट अस्पतालों से डैमेज कर ही निकाली जाए
उन्होंने बायो मेडिकल वेस्ट के सही निस्तारण के साथ ही कोविड काल में पीपीई किट के निस्तारण पर विशेष ध्यान देने को कहा। स्वास्थ्य महकमे से मौजूद अधिकारी से कहा कि सुनिश्चित करें कि सभी कोविड अस्पतालों में उपयोग के बाद पीपीई किट को वहीं डैमेज कर दिया जाए, जिससे दोबारा उपयोग की संभावना न रहे। यही नहीं, कोविड इलाज के दौरान उपयोग की गई हर वस्तु अस्पताल से उठने के बाद सीधे निस्तारण प्लांट पर ही जाए।
महज 0.01 फीसद वन क्षेत्र होने पर जताई हैरानी
डा. सोनी ने जिले के वन क्षेत्र की जानकारी ली। डीएफओ भारत लाल ने बताया कि 0.01 फीसद, जबकि प्रदेश का करीब नौ फीसद है। इस पर सीपीसीबी उप निदेशक ने हैरानी जताई। उन्होंने विभिन्न विभागों को मिले पौधारोपण के लक्ष्य की जानकारी भी ली। उन्होंने बीडीए से पूछा कि कामर्शियल भवनों, अस्पताल, होटल आदि में ग्रीन जोन बनाने की व्यवस्था है या नहीं।
अक्षर विहार तालाब में गंबूजिया मछली छोड़ने के निर्देश
सिविल लाइंस स्थित अक्षर विहार पार्क के निरीक्षण के दौरान उन्होंने तालाब का पानी ईटीपी के जरिए साफ कराने और फिर आगे पानी को साफ रखने के लिए गंबूजिया मछलियां छोड़ने को कहा।
निर्माण इकाइयां करें प्रदूषण तो थमाएं नोटिस
उन्होंने कहा कि शहर की निर्माण इकाइयां खुद वायु प्रदूषण रोकने की व्यवस्था करें। न मानें तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उन्हें नोटिस थमाए। उन्होंने 15 साल से पुरानी और कंडम की गई गाड़ियों की स्थिति जानी। साथ ही सीएनजी व इलेक्ट्रिक वाहनों की जरूरत पर जोर दिया।