Move to Jagran APP

बच्चों को अपराधी बनने से बचाना है तो समझाना होगा ये अंतर Bareilly News

समाज में युवा अपराधियों की वजह क्या हो सकती है। ‘दैनिक जागरण’ ने मनोवैज्ञानिक और कुछ वरिष्ठ प्रधानाचार्य से बात कर इसकी वजह जानी।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 09:27 AM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 05:52 PM (IST)
बच्चों को अपराधी बनने से बचाना है तो समझाना होगा ये अंतर Bareilly News
बच्चों को अपराधी बनने से बचाना है तो समझाना होगा ये अंतर Bareilly News

जेएनएन, बरेली : बड़ी वारदात होने पर पुलिस शातिरों की तलाश करती है, लेकिन जब घटना के आरोपित सामने आते हैं तो सब आश्चर्यचकित हो जाते हैं। अक्टूबर और नवंबर माह में अब तक हुई घटनाओं में यही हुआ। जो भी बड़े मामले हुए उनमें आरोपित छात्र, किशोर और युवा ही रहे। 2019 में अब तक पकड़े गए शातिरों में 79 किशोर और कम उम्र के युवक ही हैं। इफको कर्मचारी के पुत्र की हत्या के मामले में भी पॉलीटेक्निक के दो छात्रों का ही हाथ निकला। ऐसे में समाज में युवा अपराधियों की वजह क्या हो सकती है। ‘दैनिक जागरण’ ने मनोवैज्ञानिक और कुछ वरिष्ठ प्रधानाचार्य से बात कर इसकी वजह जानी।

loksabha election banner

 

दोस्त की तरह जानें उनके मन की बात

कम उम्र में अपराध की ओर कदम बढ़ा रहे बच्चों को जरूरतों और महत्वाकांक्षाओं के बीच फर्क समझाने की जरूरत है। माता पिता जब अपने बच्चों को बाहर पढ़ने के लिए भेजते हैं। वह यहीं से अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए बीच बीच में रेंडम चेकिंग करनी चाहिए वह क्या कर रहे हैं। किस तरह के लोगों के साथ उनकी संगत है। कई बार बच्चे सोसायटी को देखते हुए मन में महत्वाकांक्षाएं पाल लेते हैं जो पूरी न होने पर वह अपराध की ओर कदम बढ़ा लेते हैं।

-डा. सुविधा शर्मा, मनोवैज्ञानिक

मोबाइल कल्चर से बढ़ रहा काफी खतरा

काफी हद तक युवाओं में अपराध की भावना पब व मोबाइल कल्चर से आ रही है। मोबाइल व टीवी पर फिल्म देखकर वह ऐसी राह चुन लेते है जो समाज से अलग होती है। वह खुद को हीन मानकर रातोरात अमीर बनने के सपने देख अपराध की अंधेरी दुनिया की ओर मुड़ जाते हैं। सबसे अधिक उनके मां-बाप जिम्मेदार होते हैं, क्योंकि वह लाडले की शुरुआती गलती को माफ करते रहते है फिर बड़ी गलती पर उन्हें पछतावा होता है।

- नाहिद सुल्ताना, प्रधानाचार्य, केपीआरसी कला केंद्र इंटर कालेज

अभिभावक बच्चों पर न डालें अतिरिक्त बोझ

किशोर और युवाओं में बढ़ रही आपराधिक प्रवृत्ति को रोकने के लिए स्कूल कॉलेजों में समय समय पर पुलिस की ओर से कार्यशाला आयोजित की जाती हैं। अन्य जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं पुलिस अधिकारी पढ़ाई और मोबाइल पर जरूरत की चीजों का इस्तेमाल करने की ही सलाह देते हैं। अभिभावकों को भी बच्चों पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें बच्चों पर अतिरिक्त बोझ न डालकर उन्हें समझने का प्रयास करना चाहिए।

-राजेश पांडेय, डीआइजी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.