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ऑनलाइन ठगी से बचना है तो समझना होगा ओटीपी का गणित

वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी)का नाम आप हमेशा सुनते और पढ़ते होंगे। बैंकों द्वारा हमेशा आपके पास यह मैसेज या मेल आता होगा कि आप अपना ओटीपी किसी को न बताये।

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 09:14 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 01:52 PM (IST)
ऑनलाइन ठगी से बचना है तो समझना होगा ओटीपी का गणित
ऑनलाइन ठगी से बचना है तो समझना होगा ओटीपी का गणित

बरेली, जेएनएन । वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी)का नाम आप हमेशा सुनते और पढ़ते होंगे। बैंकों द्वारा हमेशा आपके पास यह मैसेज या मेल आता होगा कि आप अपना ओटीपी किसी को न बताये। यहां तक कि फोन करके कोई अनजान आदमी भी बैंक के नाम पर आपसे ओटीपी मांगे लेकिन किसी भी सूरत पर अपना ओटीपी न बताये। किसी दूसरे की ओटीपी की जानकारी हासिल करना एक अपराध की श्रेणी में आता है। बैंक भी अपने ग्राहकों से ओटीपी नहीं मांगता। बैंक खुद इसके लिए ग्राहकों को सुरक्षात्मक मैसेज भेजकर सतर्क करता।

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ओटीपी की क्या है भूमिका

ओटीपी की खासियत यह है कि इससे जो कोड जेनरेट होता है। उसका इस्तेमाल केवल एक बार ही किया जाता है। वह सिर्फ निर्धारित समय के लिए वैध होता है। अगर उस समय के अंदर कोड का इस्तेमाल नहीं किया गया। तो वह कोड ग्राहक के किसी काम का नहीं रहता। यानी हम जितनी बार भी ऑनलाइन लेनदेन करते हैं। उतनी बार कोड या ओटीपी जेनरेट होता है। जिससे हमारा खाता पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। बिना ओटीपी के  ठगी नहीं कर सकते।

साइबर सेल की माने तो बिना ओटीपी के साइबर ठग ठगी नहीं कर पाते। इसी लिए वह अलग अलग बहाने बनाकर पीड़ितों को झांसे में लेकर ओटीपी मांग लेते है। जिन मामलों में बिना ओटीपी के रुपये निकलते है उसमें संबंधित बैंक की भी भूमिका खंगाली जाती है। डीआइजी राजेश पाण्डेय ने बताया कि रेंज के चार जिलों के लिए पुलिस लाइन में साइबर थाना खोला गया है। थाने के सिस्टम को तेजी से डेवलप किया जा रहा है।

इनकी गलतियाें से ले सबक

राजेंद्र नगर निवासी ब्रजेश कुमार 23 अगस्त को फेसबुक पर ऑनलाइन गेम खेला फिर बंद कर दिया। कुछ देर बाद उनके पास मैसेज आया कि उन्होंने गेम खेलने में 17 सौ रुपये जीते हैं। रुपये खाते में भेजे जाएंगे। पीड़ित ने खाते की जानकारी के साथ ओटीपी भी बता दिया। जिसके बताते ही खाते से रुपए निकल गए।

28 जून को फतेहगंज पश्चिमी निवासी नीरज गंगवार पुत्री तेजपाल गंगवार ने साइबर सेल में शिकायत की थी कि उनके क्रेडिट कार्ड अकाउंट से 60 हजार रुपए की साइबर ठगी हुई है। ठग ने बैंक कर्मचारी बनकर उनसे बैंक अकाउंट डिटेल व ओटीपी पूछ लिया था। जिसके बाद खाते से रुपये निकल गए थे।

इज्जतनगर के डेलापीर कैलाश पुरम कॉलोनी निवासी धीरज गुप्ता व्यापार करते है। कुछ दिन पहले वह बैंक के खाते में रुपये डालने गए। दोपहर में वह घर लौट रहते तो बैंक की तरफ से एक मैसेज आया। जिसमे ओटीपी पूछा गया था। उसने ध्यान नहीं दिया और ओटीपी बता दिया। जिसके बाद कहते से से 31 हजार निकल गए।

जुलाई में ठगे गए 15 लाख 

जुलाई माह की बात करें तो बरेली में साइबर ठगों ने अलग अलग तरीके से 54 लोगों के अकाउंट से 15 लाख से अधिक की रकम ठग ली। हालांकि 8 मामलों में साइबर सेल ने 2 लाख 50 हजार रूपए साइबर ठगो के खाते से वापस करा लिए।

साइबर ठगी से बचने के लिए किसी को भी बैंक या अपने किसी भी तरह के अकाउंट की डिटेल न दे। ठगी होने पर तुरंत साइबर सेल में मामले कि शिकायत करें। सुशील कुमार, एसपी क्राइम

 


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