काश. वो मम्मी-पापा से कुछ न छुपाती
बरेली(जेएनएन)। शहर के एक इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल डॉ. मिथलेश भदौरिया ने अपने स्कूल में पढ़ने वाली ए
बरेली(जेएनएन)। शहर के एक इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल डॉ. मिथलेश भदौरिया ने अपने स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा के साथ परिवार के करीबी की हरकत का जो वाकया बताया,वह बेहद हैरान करने वाला है। साथ ही हर उस माता-पिता के लिए एक सबक, जिनकी नाबालिग बेटिया हैं और वे किसी न किसी कारण अपने-पराये से घुलते मिलते हैं। डॉ. मिथलेश वजह भी बताती हैं-दरअसल, आज माता-पिता बच्चों के दिल के नजदीक नहीं रहते। इस कारण वे उनसे हर बात शेयर नहीं कर पाते। उनको लगता है कि अगर वह मम्मी-पापा से कुछ कहेंगे तो उल्टा दोषी साबित होंगे। ऐसे में, वह सबकुछ सहते रहते हैं। बेहतर यही है कि मम्मी-पापा बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखें और उन पर लगातार नजर रखें। आगे रोंगटने खड़े करने वाली वो घटना, डॉ. मिथलेश भदौरिया की जुबानी..। यह बात करीब चार-पाच साल पहले की है। रोजाना की तरह मैं कॉलेज में राउंड पर थी। बारी-बारी से सभी क्लास में जाती और लगभग हर लड़की पर नजर डाल लिया करती थी। एक क्लास में उस लड़की का उदास चेहरा पिछले चार-पाच दिन से देखकर मुझे महसूस हुआ कि कोई बात जरूर है, जिससे वह गुमसुम है। उस दिन भी मुझे उसका लटका चेहरा देख रहा नहीं गया तो नाम लेकर उसे पुकारा लेकिन.। यह क्या, उसने कुछ सुना ही नहीं। मैंने उसको कई आवाज लगाईं मगर, उसका ध्यान मेरी ओर बिल्कुल नहीं गया। क्लास की टीचर और बाकी छात्राएं भी उसकी ओर टकटकी लगाए देखने लगे लेकिन वह तो कहीं और ही गुम थी। इस पर उसके पास बैठी दूसरी छात्रा ने उसको पकड़कर हिलाया, तब उसका ध्यान छूटा। उसकी नजर मुझ पर पड़ी तो जी मैम कहकर वह उठ खड़ी हुई लेकिन, वह नजर नहीं मिला पा रही थी। उसका शरीर कंपकपा रहा था। मैं भाप चुकी थी कि इसके सामने कोई बड़ी समस्या जरूर है, इसलिए सबके सामने मैंने उससे कुछ पूछना मुनासिब नहीं समझा। इतना ही कहा- तुम किस दुनिया में हो। वह कुछ बोली बेशक नहीं मगर आखों में आसू मैं देख चुकी थी। इसके बाद मैं वहा रुकी नहीं।
-.जब लड़की से अकेले में मिली : लंच के बाद लड़की की क्लास टीचर से पूछा कि उस छात्रा को हुआ क्या है। उन्होंने बताया कि वह भी कई दिनों से फील कर रही हैं कि वह कुछ दिक्कत में है लेकिन बता नहीं रही। इस पर मैंने क्लास टीचर से खाली घटे में उसको मेरे पास भेजने को कहा। एक घटे बाद जब लड़की मेरे चैंबर में जब यस मैम कहकर आई तो दहशत में थी। मैंने अंदर बुला लिया। उसको लगा था कि मैं उसको सुबह की घटना पर फटकार लगाऊंगी लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। प्यार से उसको कुर्सी पर बैठने को कहा। बातचीत शुरू करने को उसके परिवार के हालचाल पूछे। फिर मैं मुद्दे पर आ गई। पूछा- बेटा तुम्हें क्या दिक्कत है? पहले वह इन्कार करने लगी लेकिन उसकी आखों में आसू भर आए। मैंने समझाया कि तुम मेरी बेटी जैसी हो, मैं तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होने दूंगी। इस पर वह फूट-फूटकर रोने लगी। काफी देर बाद चुप हुई और बोली- कल लिखकर बताऊंगी।
-बोल न सकी, लिखकर बताई अंकल की हैवानियत : अगले दिन लड़की ने मुझे जो लिखकर दिया, वह कक्षा सात में पढ़ने वाली एक लड़की के शोषण की इंतहा थी। उसके मुताबिक, घर पर आने वाले एक तथाकथित समाजसेवी अंकल उसका शोषण करता था। जब चाहे उसको दबोच लेता था। उसने धमकी दे रखी थी कि अगर मम्मी-पापा या किसी को कुछ बताया तो वह उल्टी शिकायत कर देगा। वह बदनाम हो जाएगी। इस डर से वह पिछले कई महीने से उसके जुल्म सहती आ रही थी। -इस तरह अंकल को मिला सबक : मैंने उससे कहा कि तुम परेशान न हो। मैं रास्ता निकालूंगी तो वह बोली- मम्मी-पापा को न बताना, वरना वो मुझे ही दोषी मानेंगे। अगले ही दिन मैंने उस लड़की के घर का नंबर लिया और उसके पापा को कॉल की। वह सामान्य नौकरी वाले थे। उनसे कहा कि मैं उनसे कॉलेज की छुट्टी के बाद मिलना चाहती हूं। उसके माता-पिता मुझे आकर मिले। मैंने उनको पूरी बात बताई तो वह कथित समाजसेवी की हरकत पर यकीन करने को तैयार नहीं हुए। उसकी मा रोने लगी। बोलीं कि समाज में बदनामी के डर से हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते। मेरे समझाने के बाद वे तैयार हुए। इसके बाद दोषी को गिरफ्तार कराया। इस केस को समझकर मुझे लगा आरोपित को आखिर सजा मिल गई।