ट्रेन में बिछड़े बच्चे, गले में पड़े आइकार्ड से मिले
लखनऊ से बिछड़े बच्चे शुक्रवार को अपने माता-पिता से दोबारा मिल सके।
जेएनएन, बरेली : लखनऊ से बिछड़े बच्चे शुक्रवार को अपने माता-पिता से दोबारा मिल सके। चाइल्ड हेल्पलाइन और जीआरपी ने बच्चों को खोजा और गले में पड़े आइकार्ड की मदद से परिजनों के हवाले किया। मामला किसान एक्सप्रेस का है।
जंक्शन स्थित जीआरपी को सूचना मिली कि किसान एक्सप्रेस में दो लड़का-लड़की लावारिस हैं। ट्रेन के बरेली जंक्शन पहुंचते ही जीआरपी ने चाइल्ड हेल्पलाइन को साथ लेकर दोनों बच्चों को नीचे उतारा। दोनों के गले में लुधियाना के निजी स्कूल का आइकार्ड पड़ा था। आइकार्ड से बच्चों की पहचान पहली कक्षा की छात्रा मनीषा और नर्सरी के छात्र मनीष के रूप में हुई। दोनों भाई-बहन और उनके पिता का नाम महावीर है। कार्ड पर मिले मोबाइल नंबर पर फोन कर महावीर को सूचना दी गई। शुक्रवार को जंक्शन पहुंचे मूल रूप से गोरखपुर के गोपालपुर बरनी निवासी महावीर ने बताया कि पिछले कुछ समय से लुधियाना की एक निजी कंपनी में नौकरी करते हैं। गुरुवार को वह परिवार के साथ लुधियाना जाने के लिए स्टेशन पहुंचे थे। किसान एक्सप्रेस ट्रेन के सामान्य कोच में काफी भीड़ होने के चलते परिवार के साथ लगेज यान में बैठ गए। ट्रेन लखनऊ स्टेशन पहुंची तो आरपीएफ ने लगेज यान खाली करा दिया। बच्चों को किसी तरह जनरल बोगी में चढ़ाया लेकिन, वह और पत्नी नहीं चढ़ सके। इस बीच ट्रेन रवाना हो गई थी। जरूरी कागजी कार्रवाई कर बच्चों को माता-पिता के सुपुर्द कर दिया गया। पर्स छीनकर चलती ट्रेन से कूदा बदमाश
बरेली : लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में सफर कर रही महिला का पर्स छीनकर बदमाश चलती ट्रेन से कूद गया। महिला ने बरेली जंक्शन पर जीआरपी थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
शाहजहांपुर के लकड़ी मंडी, घंटाघर निवासी शुचि सक्सेना ने बताया कि गुरुवार को इंदौर से बरेली आने के लिए वह लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस ट्रेन में बच्चों के साथ बैठी थीं। ग्वालियर से जैसे ही सुबह करीब पौने छह बजे ट्रेन निकली, सिराहने रखा पर्स एक शख्स ने छीन लिया। कुछ समझने से पहले ही बदमाश ने चलती ट्रेन से छलांग लगा दी। पर्स में करीब दस हजार रुपये, जरूरी दस्तावेज, मोबाइल फोन आदि थे। जीआरपी इंस्पेक्टर किशन अवतार ने बताया कि शिकायत के बाद सूचना ग्वालियर जीआरपी थाने पर दी गई है।