आइएएस का मोह छोड़ा, कैप्टन प्रीति ने चुनी देश सेवा
जी हां यह भारत की बेटी है। जज्बा बेमिसाल और रसूखदार नौकरी की होड़ रखनने वालों के लिए तगड़ी मिसाल है।
जेएनएन, बरेली/फरीदपुर : जी हां, यह भारत की बेटी है। जज्बा बेमिसाल और रसूखदार नौकरी की होड़ रखने वालों वालों के लिए तगड़ी मिसाल। सुनकर आप भी चौंक जाएंगे। इसलिए क्योंकि देश की जिस सबसे बड़ी नौकरी यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के लिए नौजवान रात दिन एक किए रहते हैं, उससे फरीदपुर की बेटी प्रीति ने एक झटके में मुंह मोड़ लिया। और..पहन ली सेना की वर्दी। कैप्टन बनकर। वो भी उस पड़ाव पर जहां आइएएस की मंजिल सिर्फ एक कदम दूर थी। जानते हैं, परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर प्रीति ने यह फैसला क्यों लिया? दरअसल, दिल में देश सेवा की ऐसी प्रीत लगी कि रुतबेदार नौकरी फीकी लगने लगी थी।
पिता की इच्छा रखी, मरने नहीं दिया सपना
फरीदपुर में रहने वाली कैप्टन प्रीति शर्मा का ख्वाब शुरु से ही सेना में जाने का था। हालांकि, पिताजी चाहते थे कि बेटी सिविल सर्विसेज में जाए और आइएएस बने। पिता की इस इच्छा का प्रीति ने सम्मान भी किया लेकिन, अपने सपने को भी मरने नहीं दिया। आइएएस की तैयारी करने के लिए दिल्ली में कोचिंग ज्वाइन की। पिता के लिए जहां वो आइएएस की तैयारी कर रही थी। वहीं अपना सपना साकार करने के लिए घर वालों को बिना बताए सेना की तैयारी में भी जुटी रहीं।
एक साल, दो परीक्षाएं पास
2014 में एक तरफ प्रीति ने आइएएस की परीक्षा दी तो सीडीएस यानी कंबाइंड डिफेंस सर्विस एग्जाम को भी नहीं छोड़ा। यह उनकी लगन का ही नतीजा था। न केवल आइएएस की मेंस परीक्षा को उन्होंने पास कर लिया। वहीं सीडीएस में पहली रैंक पाई। इसके बाद एसएसबी यानी सर्विस सेलेक्शन बोर्ड का इंटरव्यू भी क्लियर कर लिया। पिता चाहते थे कि वो इंटरव्यू देकर आइएएस बने लेकिन, प्रीति सेना की वर्दी पहनकर देश की सेवा करना चाहती थी। आखिर में उन्होंने दिल की सुनी। अक्टूबर 2014 में उन्होंने घरवालों को बिना बताए चेन्नई जाकर अकादमी ज्वाइन कर ली। अब वे कैप्टन प्रीति हैं..।
प्रीति के दिल के बात
वो कहती हैं, उनका सपना बचपन से ही सेना में जाकर देश की सेवा करने का था। पापा इसलिए आइएएस बनाना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि सेना में मेहनत बहुत है। मेरा ख्वाब सेना की वर्दी पहनना था और जिसे मैंने साकार किया।
पिता से मिली प्रेरणा
प्रीति शर्मा के पिता पीसी शर्मा भारतीय सेना में बतौर कैप्टन सेवानिवृत्त हुए थे। वही प्रीति के लिए बचपन से हीरो थे। सेना के किस्से सुनकर बड़ी हुई प्रीति ने शुरू में ही अपना सपना बुनना शुरू कर दिया था।
प्रीति की इच्छा
कैप्टन प्रीति शर्मा कहती है कि आज भी ख्वाब है कि लोग उसे देश की बेटी के रूप में जानें। इसके लिए अपनी डायरी में कुछ लाइनें भी उन्होंने लिखी हैं- जब कोई पूछे तो मेरी ये पहचान लिख देना. उठाना पैराट्रूपर का बैज और छाती पर हिदुस्तान लिख देना.। कोई पूछे कि वो बहादुर कौन बेटी थी तो भारतीय सेना की बेटी और बहादुर सिपाही लिख देना ..।