2014 में एक वोट के लिए खोया था पति, अबकी वोट डालकर लोकतंत्र में जताई आस्था
आंवला के देवचरा कस्बे में रहने वाली तारावती ने पिछले लोकसभा चुनाव में बेशक एक वोट के लिए अपना पति खो दिया हो। लेकिन लोकतंत्र पर उसका विश्वास अब भी कायम है।
जेएनएन, बरेली : आंवला के देवचरा कस्बे में रहने वाली तारावती ने पिछले लोकसभा चुनाव में बेशक एक वोट के लिए अपना पति खो दिया हो। लेकिन लोकतंत्र पर उसका विश्वास अब भी कायम है। तारवती ने मंगलवार को मतदान केंद्र पर पहुंचकर अपना वोट डाला और लोकतंत्र का सम्मान किया। हौसले के साथ तारावती कहती है कि उसे पति के खोने का दर्द तो है लेकिन लोकतंत्र के प्रति आस्था भी।
पिछले चुनाव में जयपुर से वोट डालने आया था हरिया
देवचरा कस्बे के हरी सिंह उर्फ हरिया कालीन का कारीगर था। वह जयपुर में काम करता था। उसका वोट देवचरा के बूथ संख्या 310 की मतदाता सूची में था। 16 अप्रैल 2014 को जयपुर से वोट डालने के लिए यहां आ गया था। देवचरा के राम भरोसे लाल इंटर कालेज में वह पत्नी तारावती उर्फ वीरावती के साथ वोट डालने के लिए लाइन में लगा था। उससे बीएलओ की दी गई मतदाता पर्ची मांगी गयी, जिसे वह नहीं दिखा सका। हरिया ने कहा कि बीएलओ ने उसे पर्ची दी ही नहीं। वह दोबारा मतदाता पहचान पत्र लेकर वोट डालने के लिए लाइन में लगा लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उसे डांट कर डंडा मारकर भगा दिया।
वोट डालने से रोकने पर बूथ पर किया था आत्मदाह
वोट न डालने देने और अपमानित करने पर हरिया ने बूथ पर ही खड़े होकर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह कर लिया। मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना था। इस घटना को पांच साल हो गए हैं मगर तारावती को पति को खोने का दर्द आज तक है।
पति खोया, मगर लोकतंत्र में विश्वास बरकरार
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले गांव में तमाम सवाल उठ रहे थे कि वोट के लिए पति को खोने वाली तारावती क्या फिर वोट डालने के लिए लाइन में लगेंगी...। इन सवालों का जवाब देने के लिए तारावती मंगलवार सुबह बूथ पर पहुंची और वोट डालकर लोकतंत्र का सम्मान किया। तारावती का कहना है कि पांच साल बाद फिर वहीं दिन आया है जिसे वह ताउम्र नहीं भूल पाएगी। पति की मौत के बाद मेहनत मजदूरी करके बच्चों को पालने वाली तारावती का आज भी लोकतंत्र के प्रति अटूट विश्वास है।