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अस्पताल-मेडिकल स्टोर व श्मशान, हाल देखकर निकलती जान

कोरोना की भयावहता और चौपट व्यवस्था। ऐसे में पीड़ितों का दर्द कई गुना बढ़ गया है। हालात ऐसे हैं कि अस्पताल मेडिकल स्टोरी और श्मशान जिधर भी हालात देखो जान सी निकल जाती है। मरीजों को आक्सीजन पर होने के बावजूद कोविड जांच के लिए दो घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। कई जगह उन्हें भर्ती नहीं किया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों के इंतजाम जवाब दे रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 05:47 AM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 05:48 AM (IST)
अस्पताल-मेडिकल स्टोर व श्मशान, हाल देखकर निकलती जान

बरेली, जेएनएन : कोरोना की भयावहता और चौपट व्यवस्था। ऐसे में पीड़ितों का दर्द कई गुना बढ़ गया है। हालात ऐसे हैं कि अस्पताल, मेडिकल स्टोरी और श्मशान जिधर भी हालात देखो जान सी निकल जाती है। मरीजों को आक्सीजन पर होने के बावजूद कोविड जांच के लिए दो घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। कई जगह उन्हें भर्ती नहीं किया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों के इंतजाम जवाब दे रहे हैं। मेडिकल स्टोरों ने दवाओं को लूट का सौदा बना दिया है। श्मशान में भी शवों के लिए जगह नहीं मिल रही है। ऐसे हालात के बीच प्रशासन तो जैसे हाथ खड़े कर चुका है। हां, जो वोट मांगने वाले जनप्रतिनिधि हैं उन्होंने भी जनता को अपनी फिक्र पर छोड़ दिया है, क्योंकि वह सोच रहे हैं कि वोटों की फसल तो नेता के नाम पर काट ही लेंगे। दृश्य एक

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आक्सीजन 50 से कम, तीन अस्पतालों में नहीं मिला बेड

मूल रूप से बलिया के रहने वाले राजेंद्र प्रसाद अपनी बेटी के यहां शहर के राजेंद्रनगर में रह रहे हैं। मंगलवार को तबीयत बिगड़ी तो कोविड जांच कराई गई। एंटीजन और आरटी-पीसीआर दोनो रिपोर्ट निगेटिव आईं। ऑक्सीजन स्तर देखा गया तो वह 50 के आसपास था। स्वजन आनन-फानन राजेंद्रनगर स्थित एक अस्पताल में ले गए। वहां भर्ती नहीं किया। इसके बाद वह दो अन्य अस्पताल ले गए, लेकिन सब जगह से बेड न होने की बात कहकर लौटा दिया गया। बाद में किसी तरह धर्मदत्त सिटी हास्पिटल में आक्सीजन युक्त बेड मिला, लेकिन वहां वेंटीलेटर नहीं मिल पा रहा है, स्वजन परेशान हैं। दृश्य दो

आक्सीजन सपोर्ट पर मरीज, डेढ़ घंटे बाद हुई जांच

शहर के अस्पताल बिना कोविड जांच रिपोर्ट मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे। ऐसे में तीमारदार, मरीजों की कोविड जांच कराने के लिए भटक रहे हैं। एजाज नगर गौटिया निवासी गंभीर रूप से बीमार महिला व डीडीपुरम निवासी एक वृद्ध को लेकर स्वजन तीन सौ बेड अस्पताल पहुंचे। वहां उन्होंने अंदर जाकर बताया कि मरीज एंबुलेंस में है। उन्हें आक्सीजन लगी हुई है। इसके बाद भी मरीजों का एक घंटे तक सैंपल नहीं लिया गया। बाद में जब स्वजन ने टेक्नीशियन के पास पहुंचकर नाराजगी जाहिर की तो दोनों मरीजों की जांच की गई। दृश्य तीन

हालत खराब है बताया तो आठ सौ में मिला आक्सीजन सिलिडर

शहर के पटेल चौक के पास स्थित आक्सीजन गैस एजेंसी का यह नजारा झकझोर देने वाला है। एक युवक अपने पिता की हालत खराब होने की बात कह रहा था। एजेंसी पर बैठा कर्मचारी आक्सीजन सिलिडर देने से मना करता रहा। काफी देर बाद उस कर्मचारी ने हाल पर तरस खाया। उसने कहाकि सिलिडर मिल जाएगा, लेकिन आठ सौ रुपये लगेंगे। इस पर युवक तत्काल राजी हो गया। उसने 800 रुपये देकर सिलिडर लिया। बाद में पता चला कि 350 रुपये वाले सिलिडर के 800 रुपये लिए गए। एक दिन में 12 मौतें, जमीन पर जलाए गए शव

पापा, मैं बाहर हूं आप घबराना नहीं। आप ठीक हो जाएंगे। डॉक्टर से बात हो रही है, वह कह रहे हैं इलाज मिलते ही आपके पापा घर चले जाएंगे। बिटिया फोन पर अपने पापा से बात कर उन्हें भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही थी कि इस मुश्किल वक्त से पार पा जाएंगे। मगर, कोरोना संक्रमण का काल चक्र ऐसा घूमा कि कुछ ही देर में सूचना मिली कि उनके पिता की मौत हो गई। उस बेटी की तरह दिन भर में ऐसे कई स्वजन बिलखते दिखे। सुबह से शाम तक 12 लोगों को कोरोना लील गया। इनमें सात मौतें रुहेलखंड मेडिकल कालेज में हुई। जनकपुर निवासी राकेश त्रिवेदी की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें रुहेलखंड मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया। संक्रमित पाए जाने पर उनका इलाज शुरू हुआ। उनकी बेटी प्रियंका त्रिवेदी ने बताया कि गुरुवार सुबह उनकी बात फोन से पापा से हुई थी। कुछ देर बाद अचानक रुहेलखंड मेडिकल कालेज से फोन आया कि कार्डियक अटैक से उनकी सांसें थम गई हैं। उसके बाद प्रियंका ने उसी नंबर पर कई फोन किए लेकिन वह नंबर नहीं लगा। वह मेडिकल कालेज पहुंचीं तो उन्हें बताया गया कि राकेश त्रिवेदी का शव ले जाएं। दोपहर 12 बजे तक अस्पताल के बाहर डॉक्टरों से बात करने को गिड़गिड़ाती रही लेकिन कोई उनसे बात करने नहीं आया। इस दौरान उन्होंने सीएमओ, एसीएमओ, एडीएम प्रशासन, एडीएम सिटी समेत कई अधिकारियों को फोन किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। मौके पर पहुंची बारादरी पुलिस को उन्होंने मेडिकल कालेज के खिलाफ कार्रवाई के लिए शिकायत दी। बदल दिया शव

जब वह पिता का शव लेने पहुंची तो उन्हें किसी दूसरे मृतक राकेश का शव दे दिया गया। इस पर उन्होंने वहां हंगामा किया। पिता के बेड नंबर के बारे में जानकारी दी। करीब आधे घंटे बाद उन्हें शव मिल सका। तीन अन्य संक्रमितों की मौत पर भी हुआ हंगामा

इसी तरह शहर के सिविल लाइंस क्षेत्र के रहने वाले राकेश का इलाज रुहेलखंड मेडिकल कालेज में चल रहा था। वह भी कोरोना संक्रमित पाए गए थे। इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। शहर की एक महिला को हालत बिगड़ने पर बुधवार को भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उन्होंने भी दम तोड़ दिया। संजय नगर के वीरपाल कोरोना संक्रमित मिले तो परिजन ने उन्हें मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। यहां इलाज के दौरान गुरुवार की दोपहर दम तोड़ दिया। अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप

जहानाबाद निवासी अवधेश कुमार को रुहेलखंड मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। परिजन के मुताबिक, गुरुवार सुबह तक ठीक थे, अचानक फोन आया कि मौत हो गई है। मृतक के भाई राकेश शर्मा ने मेडिकल कालेज प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। निजी मेडिकल कालेज में अधेड़ की मौत

मढ़ीनाथ निवासी ओरिएंटल बैंक कर्मी जगदीश की हालत बिगड़ने पर फतेहगंज पश्चिम स्थित एक निजी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया। यहां जांच में संक्रमित पाए गए। गुरुवार को उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज में सात मौत हुई हैं। इसे लेकर कुछ मरीजों ने हंगामा किया था। नोडल अधिकारी होने के नाते मौके पर पहुंच कर स्थिति की जानकारी ली। मृतकों के स्वजनों को समझा बुझाकर शांत कराया। जिले में मृत्यु दर का बढ़ना चिता जनक है। इसकी रोकथाम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

- डा. अशोक कुमार, एसीएमओ/नोडल अधिकारी रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज


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