यहां सुबह होते ही गलियों में घूमने निकलते हैं लड्डू गोपाल
कार्तिक मास में शहर के लोग भगवान कृष्ण की भक्ति में डूब लीन रहते हैं। यहां की गलियों में लड्डूगोपाल अपने सखा रूपी श्रद्धालुओं के साथ प्रभातफेरी लेकर घूमने निकलते हैं। जगह-जगह उनका स्वागत होता है। उसके बाद मंदिरों में शुरु होती है भक्ति की रसधार
शाहजहांपुर, जेएनएन। कार्तिक मास में शहर के लोग भगवान कृष्ण की भक्ति में डूब लीन रहते हैं। यहां की गलियों में लड्डूगोपाल अपने सखा रूपी श्रद्धालुओं के साथ प्रभातफेरी लेकर घूमने निकलते हैं। जगह-जगह उनका स्वागत होता है। उसके बाद मंदिरों में शुरु होती है भक्ति की रसधार। कृष्णानगर मंदिर व रामनगर कालोनी के राधाकृष्ण मंदिर में यह माहौल पूरे काॢतक मास रहता है। दोनों ही मंदिरों से रोज सुबह छह बजे प्रभातफेरी शुरु होती हैं। अलग-अलग मुहल्लों में गली-गली घूमने के बाद यह वापस मंदिर या फिर पहले से तय किसी एक व्यक्ति के घर पहुंचती हैं। जहां लड्डूगोपाल विराजमान कराए जाते हैं। उसके बाद शुरु होता है उनकी महिमा का गुणगान। रामनगर कालोनी के राधाकृष्ण मंदिर में दिनेश गोगिया ने मेरा श्याम मेरे घर आया सागन मनाओ सखियों भजन गाया। पंकज ने मेरी विनती यही है राधारानी..., विनोद ने फूलो में सज रहे है मेरे बांके बिहारी भजन सुनाकर सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। कालोनी के लाजपत बत्रा ने बताया कि प्रभातफेरी 1950 से निकल रही है। तब से आज तक ये प्रभात फेरी लगातार निकाली जा रही है। कार्तिक मास पूरी तरह से एक त्योहार की तरह मनाया जाता है। इसमें खासतौर पर दिनेश गोगिया, अशोक सचदेव, रूपेश तनेजा, हरीश ग्रोवर, पुनीत, सुरेंद्र, राजमाता, सरोज आदि का सहयोग रहता है। प्रबोधिनी एकादशी को प्रभातफेरी का समापन होता है। इस दिन दोनों मंदिरों में तुलसी सालिगराम का विवाह कराया जाता है। उनके साथ ही निर्धन कन्याओं का मंदिर कमेटियां अपने खर्च पर दहेज रहित विवाह कराती हैं।