पशुओं के आहार में एंटी बायटिक की जगह हर्बल उत्पाद
मुर्गियों और पशुओं के आहार में कई जगह अभी भी एंटी बायटिक दी जा रही है। इसकी वजह से पशुओं और इंसानों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया प्रतिरोधी बन गए थे। साधारण एंटी बायटिक ऐसे बैक्टीरिया से जनित रोगों में प्रभाव हीन हो गईं हैं
बरेली,जेएनएन। मुर्गियों और पशुओं के आहार में कई जगह अभी भी एंटी बायटिक दी जा रही है। इसकी वजह से पशुओं और इंसानों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया प्रतिरोधी बन गए थे। साधारण एंटी बायटिक ऐसे बैक्टीरिया से जनित रोगों में प्रभाव हीन हो गईं हैं। पूरे विश्व की समस्या है। इसलिए जरूरत है कि एंटी बायटिक को हटा कर अब आहार में हर्बल उत्पाद दिए जाने चाहिए। जिससे उनका अच्छे से विकास हो सके। यह सुझाव वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को राष्ट्रीय पशु चिकित्सा अकादमी और आयुर्वेद की एक कंपनी के संयुक्त तत्वाधान में हुए वेबिनार में दिए। इसमें आइवीआरआइ, सीएआरआइ सहित देश भर के 350 वैज्ञानिक शामिल हुए।
वेबिनार में पशुपालन एंड डेयरी विभाग के आयुक्त डॉ. प्रवीण मलिक शामिल रहे। सीएआरआइ के निदेशक डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि मुर्गियों में एंटी बायोटिक मानक से ज्यादा दिया जाता है तो शरीर में कुछ हिस्सा रह जाता है। उसके मांस, दूध और अंडे का सेवन करने से यह एंटी बायटिक आदमी में पहुंच जाती है।
बनेगी टास्क फोर्स
बहुत सी बीमारियों में सामान्य एंटी बायोटिक काम नहीं कर रही है। इसलिए एक टास्क फोर्स बनाने पर सहमति बनी है। इसमें शोध वैज्ञानिक के साथ दूध, अंडा और मीट की इंडस्ट्री से जुड़े लोगों एवं उन्नतशील किसानों को शामिल किया जाएगा। टास्क फोर्स पॉलिसी तय करेगी कि इसके दुष्प्रभाव को कैसे कम किया जाए। यह भी बताया जाएगा कि उन बैक्टीरिया को कैसे नियंत्रत करें, जो सामान्य एंटी बायेटिक के खिलाफ अपने को बचाने की क्षमता विकसित कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि एंटी बायाटिक को सिर्फ उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाए। बिना जरूरत इसे रोका जाए। वेबिनार में डिप्टी डायरेक्टर जनरल पशु विज्ञान डॉ. भूपेंद्र नाथ ङ्क्षसह, आइवीआरआइ के पूर्व निदेशक डॉ. आरके ङ्क्षसह सहित अन्य वैज्ञानिक शामिल रहे।