LIVE:भीषण गर्मी ने ट्रेन में मुसाफिरों को तपाया, हर कोई दिखा पसीने से तर बतर
स्थान बरेली जंक्शन। समय दोपहर करीब तीन बजे। प्लेटफॉर्म पर जगह-जगह लगे स्पीकर के जरिए आवाज गूंजी यात्रीगण कृपया ध्यान दें...
जेएनएन, बरेली : स्थान: बरेली जंक्शन। समय: दोपहर करीब तीन बजे। प्लेटफॉर्म पर जगह-जगह लगे स्पीकर के जरिए आवाज गूंजी, यात्रीगण कृपया ध्यान दें... काठगोदाम से चलकर बरेली जंक्शन के रास्ते लखनऊ को जाने वाली काठगोदाम एक्सप्रेस कुछ ही देर में प्लेटफार्म नंबर एक पर आने वाली है।
ठीक आठ मिनट बाद दोपहर 3.08 बजे ट्रेन आकर खड़ी हुई। स्टेशन मास्टर दफ्तर के पास ही स्लीपर कोच (एस-3) रुका। जागरण टीम ने ट्रेन में दाखिल होकर जायजा लिया। अंदर के हालत बेहद खराब...। वजह, बीच दुपहरिया में आ रही ट्रेन के कूपे को गर्म हवाओं ने बेहद तपा दिया था। अंदर कई पंखे चल रहे थे, लेकिन कूपे की आग बरसा रही छत से हवा भी गर्म आ रही थी। कुछ पंखे बंद पड़े थे।
पूरे कोच में शायद ही कोई मुसाफिर हो जो सुकून से लेटा या बैठा हो। कोई रूमाल का पंखा बनाकर घुमा रहा था तो कहीं अखबार कारगर साबित हो रहा था। फिर भी हर कोई पसीने से तर-ब-तर। केरला एक्सप्रेस में गर्मी के चलते मुसाफिरों की मौत और कई की हालत बिगडऩे के बाद लिया जायजा तो कुछ यूं दिखे हालात।
चार घंटे में खत्म नैनीताल का मजा
देवरिया की काजल सिंह भी इसी ट्रेन के स्लीपर कोच की सीट नंबर 20 पर थीं। परिवार के साथ पांच दिन घूमने नैनीताल गई थीं। वापसी के लिए काठगोदाम स्टेशन से लखनऊ जाना था। उन्होंने अपनी तरफ की दोनों खिड़की बंद कर रखी थी। काजल बताने लगीं हवा बेहद गर्म है। चार घंटे के इस सफर में पांच दिन के नैनीताल का मजा खत्म हो गया।
बैठकर सुकूं ना लेटकर आराम
लखनऊ निवासी ममता परिवार के साथ काठगोदाम रिश्तेदार के यहां गई थीं। वापसी में ट्रेन के स्लीपर कोच में उनकी सीट थी, वहां का पंखा ही खराब था। ममता बताती हैं कि यूं लगा कि उनके साथ ठगी हो गई। अब सीट रिजर्व है...ऐसे में कहीं और जा नहीं सकतीं। यहां ना बैठकर सुकून है और ना लेटकर आराम।
भगवान इस गर्मी में सफर न कराए
झांसी निवासी रामलाल गुप्ता भी आरक्षित कोच की साइड लोअर बर्थ पर सफर कर रहे। उम्रदराज रामलाल साथ ही मौजूद एक अन्य बुजुर्ग से बोले कि इतनी गर्मी में भगवान सफर ना कराए। मजबूरी में जाना पड़ा, ऐसे मौसम में अब दिन का सफर ना करेंगे। वहीं, गोरखपुर के अवधेश बताते हैं कि कोच में लगे वाश बेसिन से कई बार मुंह धो चुके। ऐसी गर्मी कि बर्दाश्त नहीं होती।
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