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Health Department : बरेली में जान से खिलवाड़ की कीमत 80,000... पढे़ंगे तो चौंक जाएंगे Bareilly News

न डिग्री है न अनुभव... इसके बावजूद जिले में गांव-गांव डॉक्टरी की दुकानें चल रहीं।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 05:52 PM (IST)
Health Department : बरेली में जान से खिलवाड़ की कीमत 80,000... पढे़ंगे तो चौंक जाएंगे Bareilly News
Health Department : बरेली में जान से खिलवाड़ की कीमत 80,000... पढे़ंगे तो चौंक जाएंगे Bareilly News

जेएनएन, बरेली: न डिग्री है न अनुभव... इसके बावजूद जिले में गांव-गांव डॉक्टरी की दुकानें चल रहीं। पहले मलेरिया और अब डेंगू के मरीज बढ़े तो ये झोलाछाप कमाई के फेर में और तेजी से मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करते रहे। दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के अफसर मौन साधे रहे। वजह झोलाछाप मरीजों की जेब काटते रहे और स्वास्थ्य विभाग के कुछ अफसर उनसे वसूली कर जेबें भरते रहे। मरीजों की फिक्र को दरकिनार कर झोलाछाप की दुकानें चलाने के लिए अस्सी हजार रुपये सालाना का रेट खोल दिया। जिसने रुपये दे दिए उसे मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने की छूट, जिसने नहीं दिए उस पर कार्रवाई। स्वास्थ्य विभाग का यह खेल खुद एक झोलाछाप ने खोला है।

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इस तरह से करते है खेल

सिरौली के शिवपुरी निवासी झोलाछाप बाबूराम की मानें तो स्वास्थ्य विभाग की टीम झोलाछाप के क्लीनिक पर छापेमारी कर उससे संबंधित कागजात जैसे मेडिकल की पढ़ाई की डिग्री, सीएमओ कार्यालय का रजिस्ट्रेशन, डॉक्टर का पंजीयन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राधिकार पत्र, बॉयो मेडिकल वेस्ट का अनुबंध आदि मांगते हैैं। कागजात नहीं होने पर उसे कार्यालय बुलाया जाता है। साठगांठ नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लिख दिया जाता है। उसके साथ भी ऐसा ही किया गया। कागज मांगे गए। नहीं दिखा सका तो सौदेबाजी होने लगी।

80-80 हजार तक हो रही वसूली

बाबूराम का कहना है कि शुक्रवार को एसीएमओ डॉ. अशोक कुमार उसके क्लीनिक पहुंचे थे। कागज मांगे जोकि वह दिखा नहीं सका। उसका कहना है कि बाद में एसीएमओ की कार के चालक ने कहा कि रुपये का इंतजाम करो तो कार्रवाई से बच जाओगे। शनिवार को उसने 55 हजार रुपये का इंतजाम कर गांव में ही रहने वाले चालक के रिश्तेदार को दे दिए ताकि वह चालक तक रुपये पहुंचा दे। वह संबंधित अफसर को रुपये देगा। बाबूराम के अनुसार, चालक के रिश्तेदार ने बताया था कि सिरौली और अलीगंज क्षेत्र के झोलाछाप से वही रकम लेकर पहुंचाता है। कुछ से 80-80 हजार रुपये लेकर आया है, यही रेट है।

ऐसे खुला था रुपए लेने का खेल

सोमवार को बाबूराम सीएमओ कार्यालय पहुंच गया था। सीएमओ से पूछा कि एसीएमओ जांच करने गए थे। कार्रवाई की चेतावनी दी। बाद में मैंने 55 हजार रुपये दे दिए थे। पता करने आया हूं कि रुपये आप तक पहुंच गए कि नहीं। गांव में आपका नाम लेकर ही मुझसे रुपये मांगे गए थे। जानकारी पर चौंके सीएमओ डॉ. विनीत शुक्ल ने तुरंत एसीएमओ डॉ. अशोक कुमार को बुलाकर पूछा तो उन्होंने रुपये आरोपों का खंडन किया। कहा कि मेडिकल वेस्ट की चेकिंग करने गया था मगर रुपये किसी नहीं मांगे। फिलहाल मामले की जांच बैठा दी गई है।

शासन ने दिए थे कार्रवाई के निर्देश

बीते दिनों जिले में मलेरिया का जबरदस्त प्रकोप रहा। अब तक मलेरिया के करीब 40 हजार मरीज सामने आ चुके हैैं। उसके बाद इधर डेंगू के मरीजों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। शासन ने बीमारियां बढ़ाने का बड़ा कारण गांवों में अवैध तरीके से प्रैक्टिस कर रहे झोलाछाप को माना। इस पर शासन ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों से झोलाछाप पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए, लेकिन विभाग ने सिर्फ खानापूर्ति ही की। झोलाछाप के क्लीनिक बंद नहीं होने के कारण बीमारियां खत्म नहीं हो रही हैैं।

जिले में झोलाछापों ने फैला रखा जाल

झोलाछाप का जाल पूरे जिले में फैला है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग अब तक महज 256 झोलाछाप ही चिह्नित कर सका। उनमें से भी महज 73 झोलाछाप के खिलाफ ही कार्रवाई हुई।


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