Jagran Column : कभी देखी है ऐसी मुस्तैदी Bareilly News
रुहेलखंड चौकी इंचार्ज ने यही फामूर्ला अपनाया। नतीजा यह हुआ कि शनिवार को जब संघ प्रमुख का काफिला शहर में आ गया तब तक चौकी इंचार्ज को जानकारी नहीं थी।
अभिषेक पांडेय, बरेली : जब से संघ प्रमुख मोहन भागवत के शहर आने का कार्यक्रम तय हुआ, शहर के कप्तान रोजाना मीटिंग कर रहे थे। अधीनस्थों को बता रहे थे कि सुरक्षा इंतजाम, यातायात व्यवस्था कैसे पुख्ता रखनी हैं। मीटिंगें खत्म और उनका मशवरा भी किनारे। रुहेलखंड चौकी इंचार्ज ने यही फामूर्ला अपनाया। नतीजा यह हुआ कि शनिवार को जब संघ प्रमुख का काफिला शहर में आ गया, तब तक चौकी इंचार्ज को जानकारी नहीं थी। इतना सब शायद अनदेखा हो जाता। मगर वो इससे भी आगे निकले। काफिला उनके इलाके में प्रवेश कर गया मगर चौकी इंचार्ज को तब भी पता नहीं चला। गजब की मुस्तैदी है भई। वीआइपी कार्यक्रम में ड्यूटी लगाए जाने के बाद भी इंचार्ज रहे अपने पुराने ढर्रे पर ही। संघ प्रमुख प्रवास स्थल पहुंच गए इसके एक घंटे बाद चौकी इंचार्ज को पता चला कि वो तो आए और क्षेत्र से होते हुए स्कूल तक पहुंच भी गए।
माहौल तो जूनियर संभालें
आखिरकार वो साहब जो ठहरे। कुर्सी पर बैठाया गया है इसलिए जल्द छोड़कर जाते नहीं। फिर चाहें सैकड़ों की भीड़ हंगामा ही क्यों न करती रही। बीते दिनों ऐसा ही वाकया हुआ। आजाद इंटर कॉलेज में सीएए के विरोध के नाम पर भीड़ इकट्ठी हो गई। हंगामा होने लगा। माहौल गरमाया तो शहरवासी फिक्रमंद हो गए। दूसरी ओर महकमे के कप्तान बेफिक्र थे। कुर्सी पर विराजमान रहे और जूनियर को मोर्चे पर भेज दिया। यह मानकर कि वो आखिरकार साहब ठहरे, हर बार खुद थोड़े ही जाएंगे। दूसरी ओर ट्रेनिंग पर आए जूनियर को डटा दिया तो उन्हें किसी तरह पार पाना ही था। कुछ को मनाया, कुछ तो समझाया। हर तरीका अपनाया तब जाकर आधी रात का वक्त गुजर पाया। ठंड में पसीने पोछते हुए हालात काबू किए। फिर तड़के तीन बजे कई को थाने उठा ले गए। मामला तो सुलझ गया मगर साहब की चर्चाएं अभी भी हैं।
विजिलेंस बड़े चैन में
कभी वीडियो वायरल हो रहा तो कभी ऑडियो। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामले आए दिन सामने आ रहे। शिकायत के लिए दो अहम विभाग यहां हैं-विजीलेंस और एंटी करप्शन। एंटी करप्शन टीम तो दिख जाती है। बीते दिनों घूस लेने के आरोप में दारोगा, परिवहन निगम के बाबू को जेल भेजकर लखनऊ तक संदेश दे दिया कि काम कर रहे। दूसरी ओर विजिलेंस वाले बड़े चैन से हैं। महकमे की मुखिया मैडम इस बात की तस्दीक करती हैं। दफ्तर में खाली बैठकर खुद को बोरियत महसूस नहीं करातीं। सरकारी नंबर है मगर कौन रिसीव करे और शिकायत सुने इसलिए बंद रखती हैं। हां, इन सबके बीच कर्मचारी बड़ी निष्ठा निभाते हैं। कुछ दिन पहले दफ्तर में मैडम की मौजूदगी नहीं दिखी तो पूछा-कहां हैं। जवाब आया, मैडम के पैर में मोच है इसलिए नहीं आईं। शुक्र मनाइए कि मोच जल्द ठीक हो और मैडम वास्तव में दफ्तर आ जाएं।
अब चेहरा कहां छिपाएं
पुलिस महकमे वाले इन दिनों बड़ी मुश्किल में हैं। घटनाएं काबू में नहीं आ रहीं। बदमाश हैं कि एकदम फिल्मी दृश्य की तरह चुनौती दे रहे हैं। इस बार तो हद कर दी। प्रेमनगर में दारोगा पुष्कर सिंह के घर ही सरेशाम डकैती डाल दी। मानो कह गए हों कि रोक सको तो रोक लो। पुलिस वालों के लिए घटना से ज्यादा बड़ी अफसोस की बात थी कि लो, अब अपना घर ही नहीं बचा पा रहे। जनता को भला कहां से सुरक्षा मुहैया कराएं। खैर, घटना तो दुस्साहसिक थी ही, यह पुलिस महकमे की आंखें खोलने वाली भी थी। जब असल बदमाशों को जेल के अंदर भेजेंगे नहीं, गुडवर्क के चक्कर में पुराने वालों को ही बार-बार जेल भेजकर कागज पर क्राइम कंट्रोल करेंगे तो नए बदमाश हाथ दिखाएंगे ही। वैसे, सुना है कि पांच दिन तक जब सफलता नहीं मिली तो खुलासे के कुछ इंतजाम कर लिए गए।