हलाला औरत नहीं मर्द की सजा
एक बार में तीन तलाक को अवैध ठहराने के बाद अब गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट बहुविवाह और हलाला पर सुनवाई करने जा रहा है।
बरेली (जेएनएन)। एक बार में तीन तलाक को अवैध ठहराने के बाद अब गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट बहुविवाह और हलाला की याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रहा है। इस संबंध में जब उलमा की राय जानी गई तो उन्होंने कोर्ट से इतर अपनी राय जाहिर की। मुफ्ती डॉ. एजाज अंजुम ने कहा कि हलाला मर्द के लिए एक सजा है।
दरअसल, अगर कोई शख्स अपनी बीवी को तलाक दे देता है और दोबारा उसके साथ निकाह करना चाहे तो बीवी को हलाला (दूसरे मर्द से निकाह) करना पड़ता है। उसके तलाक देने के बाद बीवी अपने पहले शौहर से निकाह कर सकती है। उलमा कहते हैं कि मर्द ने बीवी को तलाक देने की गलती की है। बीवी के हलाला करने के रूप में उसे इसकी सजा मिलती है। हालांकि हलाला की सजा तो सीधे औरत को मिलती है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि हलाला की प्रक्रिया के बाद कोई भी शौहर अपनी बीवी को दोबारा तलाक देने का गुनाह नहीं करेगा। तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि शरीयत में गुनाहों से बचने के लिए ऐसे सख्त नियम-कायदे बनाए गए हैं। फिर भी दीनी मामलात की जानकारी न होने की वजह से लोग बड़े गुनाह करते हैं। बहुविवाह और हलाला पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
बता दें कि एक साथ तीन तलाक के बाद अब सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ मुसलमानों में प्रचलित बहुविवाह, निकाह हलाला, मुता विवाह और मिस्यार विवाह पर विचार करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें चुनौती देने वाली चार याचिकाओं पर विचार का मन बनाते हुए केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी कर दिया है।