कंक्रीट के बढ़ते जंगल निगल रहे हरियाली
नाथ नगरी में पिछले दो दशकों से कंक्रीट का जंगल तेजी से बढ़ा है।
जागरण संवाददाता, बरेली : नाथ नगरी में पिछले दो दशकों से कंक्रीट का जंगल तेजी से बढ़ा है। इस दौरान बड़ा बाईपास, पीलीभीत बाईपास, मिनी बाईपास, संजय नगर बाईपास जैसे हाइवे मिले और आवागमन में तेजी के साथ विकास भी हुआ। लेकिन इस विकास की तुलना में ज्यादा तेजी से पेड़ कटे हैं। यही वजह है कि अब नैनीताल रोड और पीलीभीत रोड पर ट्रैफिक तो तेज हुआ लेकिन हरियाली गायब होने से इनका उपनाम यानी ठंडी सड़क अब नहीं रहा। हालांकि नियम तो यह कहता है कि जितने पेड़ काटे जाते हैं उससे दोगुने पौधे लगाने जरूरी हैं। बावजूद इसके जिले में असली जंगल तेजी से कम हुआ है। आज हम जिले के क्षेत्रफल से महज 0.1 फीसद वन क्षेत्र पर ही सीमित हैं, यानी एक फीसद से भी बेहद कम। बढ़ने की बजाए घटा पौधरोपण का लक्ष्य
हरियाली को लेकर शासन भी बड़े-बड़े वादे करता है। हालांकि शासन के हालिया आदेश इसकी मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2017-18 में जहां 604 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 6.55 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य था। वहीं इस बार यह बढ़ने की बजाए घट गया है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में शासन से 500 हेक्टेयर जमीन पौधे लगाने के लिए चुनी है। इसमें 5.27 लाख पौधे रोपे जाने का लक्ष्य है। चार विभागों का तो खाता भी नहीं खुला
पिछले वित्तीय वर्ष में कुल 29 विभागों को पौधे लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। नोडल वन विभाग था। इसमें कई विभागों ने अपना लक्ष्य हासिल किया। आवास विकास परिषद को 1300, सिंचाई विभाग को 446, कृषि विभाग और कारागार को 5-5 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य मिला था। लेकिन इन चारों विभागों ने साल भर में एक पौधा भी नहीं लगाया। जिसने शहर बढ़ाया वही हरियाली में फेल
शहर के विकास में सबसे बड़ा हाथ बरेली विकास प्राधिकरण का होता है। पिछले दो दशकों में प्राधिकरण की योजनाओं के अनुरूप ही शहर तेजी से चारों ओर से बढ़ा है। हालांकि हरियाली के मामले में बीडीए ही सबसे पिछड़ा रहा है। पिछले साल इस विभाग को साढ़े 14 हेक्टेयर क्षेत्र में 15650 पौधे लगाने का लक्ष्य मिला था। जबकि लगे महज 1800 पौधे यानी महज 12 फीसद। इस बार इन विभागों की जिम्मेदारी
बीडीए-6 हजार, आवास विकास-0, ग्राम्य विकास निगम-75 हजार, लोक निर्माण विभाग-14 हजार, जिला उद्योग केंद्र-2500, रुहेलखंड नहर खंड-2040, सिंचाई विभाग-10 हजार, सिंचाई एवं जल संसाधन - 5 हजार, माध्यमिक शिक्षा - 20 हजार, बेसिक शिक्षा विभाग - 80 हजार, उद्यान विभाग - 10 हजार, नगर निगम - 6 हजार, रेशम विभाग - 6 हजार, उच्च शिक्षा - 2 हजार, कृषि विभाग - 5 हजार, वन विभाग - 3.26 लाख पौधे। इसके अलावा कुछ अन्य विभाग भी हैं।