शिक्षा तंत्र को सीख दे रहे सहजनी और लखनपुर गांव के सरकारी स्कूल
ग्राम प्रधान और शिक्षकों ने मिलकर बदल दी गांव के प्राइमरी स्कूल की तस्वीर, सुसज्जित भवन-परिसर, आधुनिक लैब, आरओ, चाइल्ड फ्रेंडली टॉयलेट, रेन वाटर हार्वेस्टिंग ने बदली गांव के स्कूलों की परिभाषा
बरेली [प्रशांत गौड़]। बरेली, उत्तरप्रदेश के लखनपुर और सहजनी गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल की चर्चा पूरे जिले में हो रही है। कभी जर्जर और दम तोड़ चुके ये सरकारी स्कूल आज बरेली जिले ही नहीं वरन संपूर्ण देश के ग्रामीण शिक्षण तंत्र को सीख देते नजर आ रहे हैं। हर गांव का प्राइमरी स्कूल ऐसा हो जाए तो देश की तकदीर बदलने में देर नहीं लगेगी।
इन दोनों गावों के प्राइमरी स्कूल न केवल हर सुविधा और साजो-सामान, भवन-परिसर से लेकर आधुनिक शौचालय तक से सुसज्जित हो गए हैं बल्कि बच्चों को पढ़ाने का तरीका भी उच्च मापदंडों पर खरा उतर रहा है। यही वजह है कि गांव का हर बच्चा पढ़ने को लेकर उत्साहित हो उठा है। अभिभावकों की आंखों में भी सपना और विश्वास जागा है कि हां, इस स्कूल में पढ़कर उनका बच्चा जरूर तरक्की की राह तय करेगा।
ऐसा आया यह बदलाव
जिस तरह गांव में सरकारी स्कूल होते हैं, ठीक उसी तरह यहां पर भी सरकारी प्राइमरी स्कूल उसी हाल में थे। ग्राम पंचायत के प्रधान मुकेश कुमार और यहां पढ़ाने वाले दो शिक्षकों डॉ. कवींद्र सिंह और राजीव की बड़ी-बेहतर सोच ने पूरी व्यवस्था का कायाकल्प कर डाला।
हर सुविधा है मौजूद
लखनपुर का पूर्व माध्यमिक और सहजनी के प्राथमिक विद्यालय की सुविधाओं पर नजर डालें तो गांव लखनपुर में आधुनिक, सुसज्जित भवन, हाईटेक लैब, उत्तम क्वालिटी का फर्नीचर, पानी की आपूर्ति के लिए सबमर्सिबल पंप और बहु टंकी स्टैंड, अनवरत बिजली सप्लाई के लिए जेनरेटर आपको मिल जाएंगे। वहीं, सहजनी में पंचायती राज विभाग की ओर से बनवाया गया चाइल्ड फ्रेंडली टॉयलेट नजीर बना है। इस तरह की सुविधा देने वाला यह प्रदेश का पहला प्राथमिक परिषदीय स्कूल है। इसमें शौचालयों की सीट को बच्चों की सुविधा अनुसार डिजाइन किया गया है।
दिव्यांग बच्चों के लिए अलग से विशेष सीट बनवाई गई है। वॉश वेशन के अलावा पीने के स्वच्छ पानी के लिए आरओ जैसी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। बच्चों को यूनीफार्म के साथ टाई, बेल्ट, बैज भी दिए गए हैं। स्कूल में बच्चों के लिए खेलकूद सुविधा भी मौजूद है।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग भी
दोनों स्कूलों में वर्षा जल संचयन के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाए गए हैं। कवींद्र सिंह का कहना है कि बच्चों को भी यह विधि जल संचय करने की प्रेरणा देती है। आम लोगों से मदद लेने के अलावा प्रधान ने पंचायती निधि तो दोनों शिक्षकों ने अपनी जेब से पैसों का इंतजाम किया। उनके जज्बे का ही नतीजा था कि उन्हें देख अन्य अध्यापक अमित सिंह राणा, मु. इस्लाम, उपेंद्र सिंह, असजद रजा, विजय कुमार, नीतू सक्सेना भी उनके साथ जुट गए। अब सभी एकसाथ बच्चों का भविष्य संवारने में लगे हैं।
क्या बात है
यहां कक्षा सात व आठ के बच्चे विज्ञान विषय में अब्दुल कलाम से लेकर रदरफोर्द तक के बारे में फर्राटेदार सटीक जबाब देते हैं। कक्षा तीन के बच्चों ने देश का नाम, प्रदेश का नाम, प्रधानमंत्री का नाम, मुख्यमंत्री का नाम, प्रदेशों की संख्या, यहां तक मंडलों की संख्या, प्रदेश में जिलों की संख्या पूछे जाने पर तुरंत जवाब दिए।
ये दोनों स्कूल शिक्षा विभाग के लिए प्रेरणादायक हैं। यहां सुविधाओं के साथ बच्चों की पढ़ाई का स्तर भी उच्च कोटि का है, जो सभी अध्यापकों के लिए एक मिसाल है।
-भानू, शंकर गंगवार, खंड शिक्षा
अधिकारी, बहेड़ी
इस प्रयास के लिए प्रधान व शिक्षकों को जल्द सम्मानित किया जाएगा।
-सत्येंद्र कुमार, सीडीओ