उम्र छोटी लेकिन दुनिया बचाने का हौसला बड़ा
वे मध्यम वर्गीय परिवारों से हैं। उम्र भी महज 15 से 16 साल। कोई 11वीं तो कोई 12वीं कक्षा में है. लेकिन सोच पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने की। जी हां. कभी दादी और नानी के समय में कपड़े के थैले बनाकर पर्यावरण को बचाने के लिए चली मुहिम को शहर की 15 छात्राओं ने फिर से शुरू करने का बीड़ा उठाया है। घर में बेकार कपड़ों से यह छात्राएं बड़े-बड़े थैलेनुमा झोले तैयार कर रही हैं। मकसद.. पर्यावरण बचाने के लिए लोगों को पॉलीथिन के इस्तेमाल से रोकना है।
अखिल सक्सेना, बरेली : वे मध्यम वर्गीय परिवारों से हैं। उम्र भी महज 15 से 16 साल। कोई 11वीं तो कोई 12वीं कक्षा में है. लेकिन सोच पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने की। जी हां. कभी दादी और नानी के समय में कपड़े के थैले बनाकर पर्यावरण को बचाने के लिए चली मुहिम को शहर की 15 छात्राओं ने फिर से शुरू करने का बीड़ा उठाया है। घर में बेकार कपड़ों से यह छात्राएं बड़े-बड़े थैलेनुमा झोले तैयार कर रही हैं। मकसद.. पर्यावरण बचाने के लिए लोगों को पॉलीथिन के इस्तेमाल से रोकना है। पांच जून को होने वाले विश्व पर्यावरण दिवस पर छात्राएं यह थैले लोगों को फ्री में बांटकर उन्हें जागरूक करेंगी। इस अभियान के लिए महज कुछ ही दिनों में 2000 से ज्यादा थैले तैयार भी कर लिए हैं।
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की यह सभी छात्राएं पढ़ाई के साथ-साथ राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) से भी जुड़ी हैं। छात्राओं का कहना है कि पॉलीथीन पर्यावरण की बड़ी समस्या है। सरकार ने इस पर रोक लगा रखी है। फिर भी लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए हम सभी ने उन्हें जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए मढ़ीनाथ स्थित अम्बेडकर नगर मलिन बस्ती व आस पास में कपड़े के यह थैले निशुल्क वितरित करेंगे। ये हैं टीम की 15 योद्धा
पूजा सागर, प्रिसी शर्मा, शहनाज फातिमा, शिवानी गुप्ता, करिश्मा राठौर, रियांशी कश्यप, ऐमन गुलनार खान, अर्शनूर खान, शिवांगी शर्मा, साक्षी प्रजापति, मनीषा, रेशम, नेहा वर्मा, सोनाली वर्मा, प्रियंका शर्मा। कोट
पॉलीथीन पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक है। फिर उसका इस्तेमाल हो रहा। इसलिए हमने लोगों के लिए कपड़े के थैले बनाने शुरू किए हैं। उन्हें अंबेडकर नगर मलिन बस्ती में बांटेंगे ताकि वे पॉलीथीन की जगह उसे लेकर सामन लेने जाएं।
-प्रिसी शर्मा, कक्षा 11 -अधिकतर लोग पन्नी में बाजार से सामान लाते हैं, फिर पन्नी फेंक देते हैं। यह इकट्ठा होकर पर्यावरण के लिए नुकसानदायक बनती है। लोग से प्रयोग न करें, इसके लिए उन्हें कपड़े के झोले देंगे।
-पूजा सागर, कक्षा 12 इनसेट
इन्होंने किया प्रेरित
पर्यावरण को बचाने के लिए छात्राओं को प्रेरित करने का काम राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की शिक्षिका अर्चना राजपूत ने किया। वह एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी भी हैं। वह बताती हैं कि पर्यावरण प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। उससे निजात पाने के लिए और लोगों को जागरुक करने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है। छात्राएं अपने घरों में वेस्ट कपड़ों से थैले तैयार कर रही हैं, जिन्हें पांच जून को पर्यावरण दिवस से बांटना शुरू किया जाएगा।