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गर्भवती का प्राइवेट लैब में भी जल्द निश्शुल्क अल्ट्रासाउंड

शासन ने जिला स्तर पर प्राइंवेट लैब चिह्नित करने के आदेश दिए हैं। योजना अमल में आने पर गर्भवती के निश्शुल्क अल्ट्रासाउंड का भुगतान स्वास्थ्य विभाग करेगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 03:01 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 03:01 AM (IST)
गर्भवती का प्राइवेट लैब में भी जल्द निश्शुल्क अल्ट्रासाउंड

बरेली, जेएनएन : गर्भवती महिलाओं को जल्द ही प्राइवेट लैब में भी निश्शुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिल सकेगी। इसके लिए शासन ने जिला स्तर पर प्राइंवेट लैब चिह्नित करने के आदेश दिए हैं। योजना अमल में आने पर गर्भवती के निश्शुल्क अल्ट्रासाउंड का भुगतान स्वास्थ्य विभाग करेगा।

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कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम होते ही अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर भी ध्यान देना शुरू हो गया है। इसी कड़ी में जननी सुरक्षा कार्यक्रम के चलते योजना शुरू हुई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक द्वारा जारी पत्र में जननी सुरक्षा कार्यक्रम में निश्शुल्क अल्ट्रासाउंड जांच का प्रावधान भी जोड़ा गया है। अब तक गर्भवती महिलाओं की निश्शुल्क अल्ट्रासाउंड जांच जिला अस्पताल में होती थी या फिर प्राइवेट लैब में जांच महंगे दामों पर होती थी। योजना के तहत सरकारी अस्पताल के नजदीक अल्ट्रासाउंड संचालक से पीपीपी (प्राइवेट पब्लिक पार्टनशिप) के तहत अनुबंध करेंगे। इसमें अल्ट्रासाउंड संचालक को प्रति गर्भवती जांच के एवज में 255 रुपये दिए जाएंगे। निशुल्क अल्ट्रासाउंड के लिए सरकारी अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ तीन पर्चे बनाएंगी। इसमें एक गर्भवती के पास, एक अल्ट्रासाउंड संचालक और एक पर्ची डॉक्टर के पास रहेगी। भुगतान हर महीने के अंतिम सप्ताह में किया जाएगा। अब यह सुविधाएं थी निश्शुल्क

जिले में चलाया जा रहा जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत गर्भवती को पांच प्रमुख सेवाएं स्वास्थ्य विभाग की ओर से निश्शुल्क दी जाती हैं। इसमें परिवहन सेवा, भोजन व्यवस्था, उपचार, जांचे व प्रसव के दौरान जरूरत पडऩे पर खून भी देना शामिल है। जन्मजात दोष जानने के लिए होता है दूसरा अल्ट्रासाउंड

गर्भवती का नौ माह के भीतर दो बार अल्ट्रासाउंड से जांच होती है। पहला शुरुआत के महीनों में और दूसरा पांच माह बाद। गर्भवती का दूसरा अल्ट्रासाउंड बेहद जरूरी होता है। इसमें बच्चे में जन्मजात बीमारी की जानकारी हो जाती है। वहीं हर माह की नौवीं तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक लगती है। इसमें गर्भवती की ह्यूमोग्लोबिन जांच, यूरिन सुगर, एचआइबी, गर्भजनित मधुमेह, ब्लड ग्रुपिग आदि जांच होती हैं। वर्जन शासनादेश आने के बाद जिले के अल्ट्रासाउंड सेंटर चिह्नित किये जा रहे हैं। इसके लिए सभी सीएचसी प्रभारियों को निर्देशित किया गया है। सेँटर चिह्नित करने के बाद गर्भवती महिलाओं को यह सुविधा दी जाने लगेगी। - डा. विनीत कुमार शुक्ला, सीएमओ


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