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बीएड का चार वर्षीय कोर्स 2020 से शुरू होगा

नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) की चेयरपर्सन डॉ. सतबीर बेदी ने कहा कि चार वर्षीय कोर्स अगले साल शुरू होगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 07:19 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 07:21 PM (IST)
बीएड का चार वर्षीय कोर्स 2020 से शुरू होगा
बीएड का चार वर्षीय कोर्स 2020 से शुरू होगा

जागरण संवाददाता, बरेली : नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) की चेयरपर्सन डॉ. सतबीर बेदी ने कहा कि बीएड का चार वर्षीय कोर्स 2020 से शुरू हो जाएगा। बीएड कॉलेज इसकी तैयारी कर लें। स्पष्ट किया कि यह कोर्स इंटरमीडिएट के बाद शिक्षण क्षेत्र में भविष्य बनाने वाले छात्रों के लिए मददगार होगा। इसके साथ बीएड का दो वर्षीय कोर्स, बीएलएड और अन्य सभी 15 पाठ्यक्रम भी जारी रहेंगे। किसी छात्र के लिए चार साल के बीएड कोर्स में प्रवेश लेने की कोई बाध्यता नहीं होगी।

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रविवार को वह इंडियन एसोसिएशन ऑफ टीचर एजुकेशन के 52वें वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय पहुंची थीं। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने चार वर्षीय कोर्स पर भ्रम को लेकर स्थिति साफ करते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गाड़ी बेपटरी है। उसे पटरी पर लाने के लिए प्रोफेसर भी आगे आएं। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप से सुधार नहीं होगा। हमें यूजीसी, भारतीय विश्वविद्यालय संघ, राज्य सरकारों से बात करने की जरूरत है। आत्मचिंतन से स्थिति सुधारी जा सकती है। इस दौरान रुविवि के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि हम शिक्षा में सुधार को लेकर प्रतिबद्ध हैं। एनसीटीई को हमारा सहयोग रहेगा।

शिक्षकों को प्रशिक्षित करने जरूरी

प्राथमिक शिक्षा पर चिंता जताते हुए डॉ. सतबीर बेदी कहती हैं कि इसमें काफी काम करने की जरूरत है। बेसिक शिक्षा सुधार लेंगे, तो उच्च शिक्षा की तस्वीर खुद ही बदल जाएगी। आज सरकार बच्चों को स्कूलों में तो पहुंचा देती है, मगर शिक्षक इतने काबिल नहीं हैं जो विद्यार्थियों में काबिलियत पैदा कर सकें। अपने तरीके में बदलाव नहीं करेंगे तो सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी निजी स्कूलों के सामने टिक नहीं पाएंगे।

मान्यता का बन रहा मॉडल

बीएड कॉलेजों की मान्यता को लेकर नया मॉडल बनाया जा रहा है। कॉलेजों में पठन-पाठन बेहतर हो, इसके लिए डिजिटल हाजिरी की व्यवस्था पर विचार कर रहे हैं। शिक्षण संस्थानों के सहयोग से पढ़ाई का अच्छा वातावरण बनाने का प्रयास है।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर काम

दिल्ली के निजी स्कूलों का हवाला देते हुए डॉ. बेदी कहती हैं कि वहां ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर पढ़ाई होने लगी है। हमें भी अपने शिक्षकों को ऐसे ही ट्रेंड करना है। तभी वे भविष्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार ला पाएंगे।

खुद को धोखा तो नहीं दे रहे

शैक्षिक सुधार के सवाल पर डॉ. बेदी का मानना है कि इस पर कॉलेज आत्ममंथन करें। विचार करें कि कहीं वे खुद से धोखा तो नहीं कर रहे हैं। पढ़ाई का अच्छा वातावरण बनाना, इसकी जिम्मेदारी है।


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