पूर्व सीएम मायावती का पुतला जलाने के मामले में पूर्व मंत्री को मिली राहत, 11 साल पुराने मामले में बयानों से मुकरा वादी, जानिए पूरा मामला
Former Chief Minister Mayawati Effigy Burning Case पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के पुतला दहन का आरोप झेल रहे पूर्व मंत्री धर्मपाल सिंह के लिए राहत की खबर है। स्पेशल एमएलए एमपी मुकदमों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत में वादी अपने पुलिस को दिए पूर्व बयानों से मुकर गया।
बरेली, जेएनएन। Former Chief Minister Mayawati Effigy Burning Case : पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के पुतला दहन का आरोप झेल रहे पूर्व मंत्री धर्मपाल सिंह के लिए राहत की खबर है। स्पेशल एमएलए एमपी मुकदमों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत में वादी अपने पुलिस को दिए पूर्व बयानों से मुकर गया। उसने एफआइआर का समर्थन नहीं किया। मामला 11 साल पुराना है। मामले की रिपोर्ट बसपा कार्यकर्ता ओमकार ने थाना अलीगंज में दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के मुताबिक दो जून 2010 को पूर्व मंत्री धर्मपाल सिंह कैनी शिवनगर गांव में पहुंचे थे। उन्होंने गांव में सभा की थी उस दौरान मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं।
आरोप है कि गांव में आयोजित सभा के दौरान पूर्व मंत्री के कहने पर सह आरोपित सचिन शर्मा व ओमकार वर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री का पुतला बनाकर दहन कर दिया। मामले की रिपोर्ट ओमकार ने थाना अलीगंज में दर्ज कराई थी। हालांकि वादी ने तहरीर में स्वयं को बसपा कार्यकर्ता नहीं लिखा। पहले यह मुकदमा मुंसिफ कोर्ट आंवला में विचाराधीन था। जहां दो गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी थी। दोनों गवाह मुंसिफ कोर्ट में भी मुकर चुके थे। बाद में यह पत्रावली सुनवाई के लिए हाईकोर्ट चली गई। वर्ष 2019 में हाईकोर्ट ने विधायक व सांसद से जुड़े मुकदमों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित कर दीं। तब से पत्रावली स्पेशल जज (सांसद विधायक मामले) अपर सेशन जज-प्रथम की कोर्ट में विचाराधीन है।
बुधवार को मुकदमे के वादी ओमकार ने कोर्ट में अपने बयान दर्ज कराए। वादी पुलिस को दिए अपने बयानों से मुकर गया। उसने एफआइआर का समर्थन नहीं किया। बुधवार को पूर्व मंत्री धर्मपाल अदालत में गवाही के दौरान मौजूद नहीं थे उनकी तरफ से हाजिरी माफी की अर्जी दी गई। पूर्व मंत्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ईश्वरी प्रसाद वर्मा ने गवाह से जिरह की। बताते चलें मुकदमे में पूर्व मंत्री धर्मपाल सिंह, सह आरोपित सचिन शर्मा के अलावा तीसरे आरोपित ओमकार वर्मा का नाम शामिल था। सह आरोपित ओमकार वर्मा की मौत हो चुकी है। मामले की अगली सुनवाई चार सितंबर को होनी है। स्पेशल कोर्ट ने अगले गवाह के तौर पर एफआइआर लेखक व विवेचक को गवाही के लिए तलब किया है।