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गांव-गांव लगेंगी फूड प्रोसेसिग यूनिट, तैयार होंगे स्थानीय उत्पाद

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए अब गांव-गांव फूड प्रोसेसिग यूनिट लगाई जाएगी। इससे न सिर्फ स्थानीय स्तर पर उत्पाद तैयार किए जा सकेंगे बल्कि किसानों की आय में बढ़ोतरी भी हो सकेगी। इसके लिए कृषि विभाग गांव-गांव में पंजीकरण अभियान चलाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 07:05 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 06:02 AM (IST)
गांव-गांव लगेंगी फूड प्रोसेसिग यूनिट, तैयार होंगे स्थानीय उत्पाद
गांव-गांव लगेंगी फूड प्रोसेसिग यूनिट, तैयार होंगे स्थानीय उत्पाद

बरेली, जेएनएन : ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए अब गांव-गांव फूड प्रोसेसिग यूनिट लगाई जाएगी। इससे न सिर्फ स्थानीय स्तर पर उत्पाद तैयार किए जा सकेंगे बल्कि किसानों की आय में बढ़ोतरी भी हो सकेगी। इसके लिए कृषि विभाग गांव-गांव में पंजीकरण अभियान चलाएगा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसानों की आय दोगुनी करने की महत्वाकांक्षी योजना को मूर्तरूप देने के लिए कृषि विभाग कार्य कर रहा है। इसी क्रम में गांव के उत्पाद को गांव में प्रोसेस करने का निर्णय लिया गया है। यूनिट लगाने के इच्छुक लोगों को भटकना भी नहीं पडे़गा। कृषि विभाग पहले गांव-गांव जाकर पंजीकरण करेगा। इसके बाद यूनिट लगाने के लिए सरकार आर्थिक मदद भी मुहैया कराएगी। प्रशासन की तरफ से इसके लिए तैयारी भी शुरु कर दी गई है। जिले में दस ब्लॉक चिह्नित किए गए हैं। ज्यादा पैदावार होने वाली फसलों के हिसाब से क्लस्टर बनाए जाएंगे। हर साल तीन से चार कलस्टर विकसित किए जाएंगे। स्थानीय उत्पाद तैयार कराने के साथ किसानों से सीधे फसल खरीदी जा सकेगी। इससे किसानों की फसल खेत में ही बिक जाएगी। किसानों को फसल के उचित दाम भी मिलेंगे।

कोल्ड चेन से मिलेगी किसानों को मदद

हर ब्लॉक में कोल्ड स्टोरेज भी बनाने की योजना है। कोल्ड चेन बनाने से किसान को स्थानीय उत्पाद की आपूर्ति में मदद मिलेगी। जिन गांव में बड़े काश्तकार नहीं हैं। वह समूह बनाकर भी फूड प्रोसेसिग यूनिट के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।

डेयरी, बासमती और शहद के बनेंगे शुरुआती क्लस्टर

शुरुआती तौर पर अभी फल, सब्जी, शहद, डेयरी उत्पाद, बासमती चावल, के क्लस्टर बनाने का निर्णय लिया गया है। प्रशासन की कोशिश इस बात की भी है कि किसानों को पारंपरिक खेती की बजाय ऐसी फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाए। जिनकी ग्लोबल मार्केट में डिमांड हैं। इसके लिए गांव-गांव कैंप लगाकर वर्कशॉप भी आयोजित की जाएगी।

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किसानों की आय दोगुनी करने के लिए फूड प्रोसेसिग यूनिट लगाकर स्थानीय उत्पाद तैयार किए जाएंगे। साथ ही, हम हर साल तीन से चार क्लस्टर विकसित करेंगे।

- चंद्रमोहन गर्ग, सीडीओ, बरेली


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