दोबारा कॉपी चेक कराने की नहीं तय हो पाई फीस
जागरण संवाददाता, बरेली : रुहेलखंड विश्वविद्यालय के स्नातक या परास्नातक में फेल छात्रों को पुर्नमूल्य
जागरण संवाददाता, बरेली : रुहेलखंड विश्वविद्यालय के स्नातक या परास्नातक में फेल छात्रों को पुर्नमूल्यांकन का हक मिल जरूर गया है, मगर अभी इसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। गुरुवार को हुई कार्यपरिषद की बैठक में रि-मूल्यांकन की फीस पर सहमति नहीं बन पाई। अब फाइनेंस कमेटी ही दोबारा कॉपी चेक कराने के एवज में शुल्क तय करेगी।
दरअसल, विवि ने विद्यार्थियों को दोबारा कॉपी चेक कराने का अधिकार दे दिया है। यानी अगर कोई छात्र चाहे तो वो तय शुल्क देकर दोबारा अपनी कॉपी चेक करा सकता है। गुरुवार को कार्यपरिषद में इसकी फीस का मुद्दा उठा। पहले कानुपर विवि का मॉडल अपनाने की बात उठी। कानपुर में एक कॉपी चेक कराने का दावा करने पर तीन हजार रुपये शुल्क जमा करना होता है। कॉपी चेकिंग में छात्र का दावा पंद्रह फीसद तक ठीक निकला तो पांच सौ रुपये शुल्क लेकर बाकी रुपये वापस हो जाते हैं। इससे कम पर पूरी फीस विवि जब्त कर लेती है। कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ल ने इस मॉडल को लागू करने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे गरीब विद्यार्थी कॉपी चेक कराने से वंचित रह जाएंगे। लिहाजा इसकी फीस वित्त समिति की बैठक में तय की जाएगी।
छह शिक्षकों को नियुक्ति
रुविवि कैंपस के एमबीए और प्लांट साइंस विभाग में छह नए प्रोफेसरों की नियुक्ति पर मुहर लग गई है। जबकि प्लांट साइंस में डॉ. संजय गर्ग, डॉ. जैन मौर्य, एमबीए में डॉ. राज कमल और डॉ. संजय मिश्रा का प्रोफेसर पद पर प्रमोशन हुआ है। लॉ विभाग में डॉ. अमित सिंह और प्लांट साइंस के डॉ. अलोक श्रीवास्तव एसोसिएट प्रोफेसर हो गए हैं। इससे पहले हुई पदोन्नति में इतिहास विभाग के डॉ. विजय बहादुर सिंह यादव को प्रोफेसर पद पर प्रमोशन मिला था।
लिफाफा न खुलने पर तीखी बहस
अर्थशास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मुहम्मद इसरार खान के प्रमोशन का लिफाफा नहीं खुला। इसपर सदस्यों में काफी बहस हुई। बाद में तय हुआ कि वोटिंग करा ली जाए। इसके बाद अधिकांश सदस्यों ने लिफाफा खोलने पर हामी भर दी। बाद में यह कह दिया गया कि अब मीटिंग का वक्त खत्म हो गया है। लिहाजा यह लिफाफा राजभवन जाएगा। वहीं, हाल ही में शिक्षा विभाग में नियुक्ति हुई एक शिक्षिका ने ज्वानिंग के साथ ही चार महीने का अवकाश लिया है।