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सतर्क हो जाएं किसान उत्‍तर प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र में गन्‍ने को हो रहा कैंसर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की उपज में क्रांति लाने वाली गन्ना प्रजाति को 0.0283 पर रेड रॉट यानी लाल सड़न रोग के प्रकोप की आंशका पर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी ने प्रदेश के सभी गन्ना परिक्षेत्र में विभाग को अलर्ट किया है।

By Vivek BajpaiEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:09 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:09 AM (IST)
गन्‍ने की फसल में लाल सड़न रोग का खतरा बढ़ गया है।

बरेली जेएनएन : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की उपज में प्रजाति 0.0283 क्रांति लाने वाली रही है। इस पर अब रेड रॉट यानी लाल सड़न रोग का खतरा बढ़ गया है। रोग के प्रकोप की आंशका पर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी  आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी ने प्रदेश के सभी गन्ना परिक्षेत्र में विभाग को अलर्ट किया है। इस संबंध में इस बीमारी की रोकथाम व इससे बचाव के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की है। गन्ना आयुक्त ने चेतावनी दी है कि यदि रेड रॉट प्रभावित खेतों में गन्ने की फसल बोई गई तो अगले वर्ष उस फसल को गन्ना सट्टे में शामिल नहीं किया जाएगा।

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प्रदेश के गन्ना आयुक्त की ओर से जारी आदेश में इस रेड रॉट रोग को गन्ने का कैंसर बताया गया है। गन्ना आयुक्त की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि रेड रॉट के प्रकोप से प्रभावित क्षेत्रों में गन्ने का बीज बदला जाए। उन्होंने कहा कि वर्षाकाल में रेड रॉट रोग का प्रकोप अत्यधिक होने की संभावना रहती है। यह रोग गन्ने के बीज के माध्यम से फैलता है। इस बीमारी से गन्ने की फसल को बहुत नुकसान होता है। नुकसान से बचने को उन्होंने कम से कम 40 फीसद गन्ना क्षेत्रफल में अब तक बोई जा रही को 0.0238 के स्थान पर नई अगेती प्रजाति को 0.0118 आदि की बुवाई करने की सलाह दी है। अन्य किसी खेत मे गन्ने के रोगग्रस्त होने पर उस खेत मे गन्ने की बुवाई नहीं कर अन्य फसलों के साथ फसल चक्र की पद्धत्ति अपनाई जाए। उन्होंने कहा कि रेड रॉट से प्रभावित फसल अगले साल के लिए पैडी में नहींं रखने चाहिए। जिला गन्ना अधिकारी पीएन सिंह ने बताया कि फरीदपुर और मीरगंज में इसके लक्षण मिले हैं। जिसका उपचार किया जा रहा है।

खोखला हो जाता है गन्ना सूखने लगता है रस

जिला गन्ना अधिकारी पीएन सिंह ने बताया कि गन्ने की अगेती प्रजाति कोसा-0238 की पिछले दस साल से बुवाई की जा रही है। इस फसल को कैंसर यानी लाल सड़न रोग ने जकड़ लिया है। इसमें गन्ने का भीतरी हिस्सा पहले लाल पड़ता है और रस सूखने लगता है। बाद में जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, गन्ने का यही भीतरी हिस्सा काला और खोखला हो जाता है। बाहर से केवल गन्ने का ऊपरी छिलका दिखाई देता है, अंदर काले अवशेष के अलावा कुछ नहीं बचता।


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