किसानों ने प्रशासन को दिया अल्टीमेटम, भुगतान न होने पर अनशन पर बैठेंगे
बड़ा बाईपास निर्माण के लिए 33 गांवों के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। सर्किट रेट के आधार पर भुगतान करने के दौरान चार गांवों की तुलना में बाकी किसानों को कम मुआवजा घोषित किया गया। किसान आक्रोशित हुए और मुआवजा लेने से ही इन्कार कर दिया।
बरेली, जेएनएन। बड़ा बाईपास निर्माण के लिए 33 गांवों के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। सर्किट रेट के आधार पर भुगतान करने के दौरान चार गांवों की तुलना में बाकी किसानों को कम मुआवजा घोषित किया गया। किसान आक्रोशित हुए और मुआवजा लेने से ही इन्कार कर दिया। अब छह सौ किसानों ने प्रशासन को आठ फरवरी का अल्टीमेटम दिया है। भुगतान नहीं होने पर किसान आठ फरवरी से अनशन पर बैठने की चेतावनी दे रहे हैं।बरेली में 32.5 किमी लंबे बड़ा बाईपास बनाने के लिए रजऊ परसपुर से परसाखेड़ा तक 33 गांवों के करीब तीन हजार किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई थी। इनमें 2400 किसानों ने जमीन का मुआवजा ले लिया था। लगभग 600 किसानों ने विसंगतियों के चलते मुआवजा नहीं लिया। किसानों ने डीएम से मुलाकात की। डीएम ने शासन से 600 किसानों को मुआवजा दिए जाने पर राय मांगी थी। शासन ने गाइडलाइन भी जारी की। शासन से मुआवजा भुगतान को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन होने से पहले किसान कोर्ट पहुंच चुके थे।
अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष हरिनंदन पटेल के आरोप है कि बड़ा बाईपास के निर्माण पर किसानों को 25 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर जमीन के हिसाब से मुआवजा एनएचएआई की ओर से दिया गया। कुछ किसानों को वर्ष 2008-09 और कुछ को वर्ष 2013-14 के सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा दिया गया है। कुछ गांवों के किसानों को वर्ष 2009 के न्यूनतम सर्किल रेट 33 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर से भी कम 25 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर से मुआवजा दिया गया। अब किसानों ने मुआवजा के लिए केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार से मुलाकात की। केंद्रीय मंत्री ने भी डीएम नितीश कुमार से किसानों की मुआवजा को लेकर चली आ रही समस्या का हल निकालने के लिए कहा है।