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Unlock-2 Business Update : पीलीभीत में नहीं निकल पा रही किसानों की लागत, मालामाल हो रहे आढ़ती

लॉकडाउन से लेकर अनलॉक-1 और अब अनलॉक-2 में भी अन्नदाता को उसकी मेहनत का वाजिब मूल्य नहीं मिल पा रहा है। सरकार द्वारा दी गई छूट के बावजूद उसका लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। वहीं आढ़तियों से लेकर नीचे तक के लोग मोटा माल कमा रहे हैं।

By Edited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 02:30 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 05:42 PM (IST)
Unlock-2 Business Update : पीलीभीत में नहीं निकल पा रही किसानों की लागत, मालामाल हो रहे आढ़ती
Unlock-2 Business Update : पीलीभीत में नहीं निकल पा रही किसानों की लागत, मालामाल हो रहे आढ़ती

बरेली, जेएनएन  लॉकडाउन से लेकर अनलॉक-1 और अब अनलॉक-2 में भी अन्नदाता को उसकी मेहनत का वाजिब मूल्य नहीं मिल पा रहा है। सरकार द्वारा दी गई छूट के बावजूद उसका लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। वहीं आढ़तियों से लेकर नीचे तक के लोग मोटा माल कमा रहे हैं। निचले स्तर पर सब्जियों से लेकर फल के दाम आसमान पर है। किसान से चार-पांच रुपये प्रति किलो के दाम में खरीदी जा रहीं सब्जियां, आढ़त शुल्क व मुनाफा जोड़कर खरीदारों को दस रुपये प्रति किलो बेची जा रहीं।

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फुटकर विक्रेता अपना मुनाफा भी इसी में जोड़ते हैं, जिससे फुटकर मंडी तक पहुंचते पहुंचते दाम और बढ़ जाते हैं। यह है प्रक्रिया किसान खेत से सब्जी निकालकर वाहन से आढ़ती के पास पहुंचता है। जहां किसान को भाड़ा देना होता है। यहां पर आढ़ती किसान का माल बेचने में कमीशन लेता है। इसके बाद फुटकर मंडी में जाने तक लेबर आदि का खर्च भी इसमें जुड़ जाता है।

सब्जी थोक रेट शनिवार को गुरुवार को फुटकर रेट

लौकी 3-4 5-8 15

करेला 2-3 7 12

कद्दू 2-3 4-6 10

प्याज 8 13 20

खीरा 10 20 25

हरी मिर्च 7 15 22

बैगन 8 15 20

तरोई 5 12 15

टमाटर 12 25-30 40

पुराना आलू 16 22 25

नया आलू 20 25 30

¨भडी 15 20 25

लोबिया 13 20 23

कटहल 15 22 25

पुदीना 20 30 45

फल थोक रेट फुटकर रेट

आम 15 से 25 30 से 35

केला 15 से 22 40 से 50

लीची 30 से 40 50 से 60

अनार 50 70

जामुन 120 150

(सभी रेट रुपये प्रति किलो में)

बरसात में नदी किनारे लगी सब्जियां खराब हो गई हैं। इसके अलावा सही रेट न मिलने से भी किसान परेशान हैं। इस समय सब्जी कम आ रही है। इसलिए दाम में वृद्धि हो रही है। - सलीम, आढ़ती

बरसात से सब्जियों की आवक कम होने के कारण दाम बढ़े हैं। किसान से आढ़त का नाममात्र चार्ज लिया जाता है। किराया व मुनाफा आदि जोड़कर घरों तक पहुंचते-पहुंचते सब्जियां महंगी हो जाती हैं। - शुजा उर रहमान, अध्यक्ष मिलन वेजीटेबल फ्रूट मंडी

जो सब्जी पीछे से कम आती है, उसी के आधार पर किसान और आढ़ती रेट ऊपर-नीचे करते रहते हैं। 45 ¨जस से मंडी शुल्क हट जाने से अब अपने मन से रेट तय किया जा रहा है। - अनिल कुमार, मंडी सचिव

अधिकांश फल बाहर से मंडी में कच्चा ही आता है, जिसे पकाकर बेचा जाता है। ट्रक से फल उतारने, बेचने आदि में लेबर चार्ज लगता है। आढ़त का एक निर्धारित रेट होता है। बाकी निचले स्तर पर बेचने वाले अपना दाम तय करते हैं। - मोहम्मद आफताब, अध्यक्ष, बरेली फ्रूट थोक एसोसिएशन


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