Move to Jagran APP

कोरोना से जीतकर भी हार गए जिदगी की जंग

कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद सतर्कता के साथ चिकित्सकीय सलाह अपनाकर उसे हरा दिया। निर्धारित समयावधि के बाद दोबारा जांच कराई तो वह भी निगेटिव आई। खुशी-खुशी घर लौटे। हालांकि यह नहीं समझ सके कि संक्रमण ने उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर डाला है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 02:39 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 02:39 AM (IST)
कोरोना से जीतकर भी हार गए जिदगी की जंग
कोरोना से जीतकर भी हार गए जिदगी की जंग

बरेली, जेएनएन : कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद सतर्कता के साथ चिकित्सकीय सलाह अपनाकर उसे हरा दिया। निर्धारित समयावधि के बाद दोबारा जांच कराई तो वह भी निगेटिव आई। खुशी-खुशी घर लौटे। हालांकि यह नहीं समझ सके कि संक्रमण ने उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर डाला है। ऐसे में पूर्व में अन्य बीमारियों से ग्रसित रहे कुछ लोग कोरोना से जीतने के बाद भी जिंदगी की जंग हार गए। बीते डेढ़ माह में जिले में ऐसे 24 मामले सामने आ चुके हैं। चिकित्सकों के मुताबिक कोरोना काल में जरूरत है हमेशा सचेत रहने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के सभी उपाय करने की।

loksabha election banner

कोरोना संक्रमण की शुरुआत से ही विशेषज्ञों ने यह बताया कि यह उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है जो पूर्व में अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं। बीते सात महीने में देखने में भी यही आया। जिले में जिन 182 लोगों की मौत हुई, उनमें से अधिकतर किसी न किसी बीमारी से ग्रसित जरूर थे। यह संक्रमण हाइपरटेंशन, निमोनिया, डायबिटीज और सांस के रोगियों के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हुआ। अब संक्रमण की रफ्तार कम हुई तो देखने में आया कि कुछ ऐसे लोग जो स्वस्थ हो जा रहे हैं, उनकी भी जान जा रही है। इसकी वजह और हकीकत जानने के लिए हाल ही में अस्पताल से डिस्चार्ज हुए संक्रमितों से संपर्क साधा गया। जिले में ऐसे 24 लोग सामने आए जो अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद दम तोड़ चुके हैं। इनके स्वजनों ने बताया कि अस्पताल से आने के कुछ दिन तक तो ठीक रहे लेकिन इसके बाद अचानक हालत बिगड़ी और मौत हो गई। चिकित्सक इसे रेस्पिरेटरी फेल्योर कहते हैं। ऐसे मामलों के बढ़ने पर ही शासन की ओर से हाल ही में कोविड मरीजों को डिस्चार्ज करने के नियमों के बदलाव भी किया गया है। केस-1 : पुराना शहर निवासी एक वृद्ध कोरोना संक्रमित हुए थे। डायबिटीज के साथ सांस की बीमारी थी तो कोविड एल-3 में भर्ती हुए। करीब 17 दिन इलाज चला, हालत में सुधार होने पर कोविड जांच कराई गई। आरटीपीसीआर जांच निगेटिव आने पर चिकित्सकों की सलाह पर उन्हें घर भेज दिया गया। घर पहुंचने के करीब चार दिन बाद ही अचानक उनकी मौत हो गई। केस -2 : फरीदपुर के रहने वाले बुजुर्ग की दो अक्टूबर को तबीयत बिगड़ी। जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव थी।सातवें दिन में ही रिपोर्ट निगेटिव आ गई। स्वस्थ लग रहे थे तो स्वजन घर ले आए। सब ठीक ठाक चल रहा था अचानक हालत बिगड़ी अस्पताल ले गए। जहां सांस लेने में दिक्कत समझ आ रही थी। आक्सीजन पर रखा गया लेकिन 24 घंटे के भीतर ही उन्हेांने दम तोड़ दिया। चिकित्सक की राय

कोविड अस्पताल के सीएमएस डा. वागीश वैश्य ने बताया कि रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद मरीज को अगर घर ले आते हैं तो उनकी और अधिक देखभाल की जरूरत है। पल्स आक्सीमीटर साथ होना चाहिए, जिससे समय समय पर आक्सीजन लेबल देख सकें। ऐसा भोजन दें जिससे इम्युनिटी बढ़े। संक्रमण बहुत तेजी से इम्युनिटी कम करता है। जिसकी इम्युनिटी अच्छी होती है वह संक्रमण को मात दे पाते हैं। लेकिन अगर उन्हें और भी बीमारियां हैं तो संक्रमण को हराने के बाद इम्युनिटी का कम हो जाना स्वाभाविक हैं। यही कारण है कि निगेटिव होने पर अन्य बीमारियां हावी हो रही हैं। शासन की नई गाइड लाइन

जिला सर्विलांस अधिकारी डा. रंजन गौतम ने बताया कि ऐसे केस बढ़ने के बाद शासन की ओर इस नई गाइड लाइन जारी की गई है। इसमें को-मार्बिड (कोरोना के अतिरिक्त अन्य बीमारियों से पीड़ित) व्यक्ति की रिपेार्ट निगेटिव आने के बाद भी उसे सीधे घर नहीं भेजा जाएगा। कोविड अस्पताल से ऐसे मरीजों को नॉन कोविड अस्पताल में रखा जाएगा, इसका खर्च भी सरकार ही उठाएगी। जब को-मार्बिड व्यक्ति की हालत में संतोषजनक सुधार हो तभी उन्हें घर भेजा जाएगा। इस आदेश का अनुपालन अब जिले के सभी कोविड अस्पतालों ने शुरू कर दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.