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सहमति के बाद भी डेढ़ महीने से आरएलडीए फंसाए हुए है रेलवे की जमीन पर सड़क बनाने का प्रस्ताव

इज्जतनगर से शाहदाना तक ढाई किमी तक फैली रेलवे की जमीन पर सड़क बनाने का प्रस्ताव रेल भूमि विकास प्राधिकरण डेढ़ महीने से फंसाए हुए हैं। कमिश्नर ने आरएलडीए को प्रस्ताव तैयार कराने के लिए कहा था। प्रस्ताव नहीं मिलने से प्रशासन कदम आगे नहीं बढ़ा पा रहा है।

By Vivek BajpaiEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:47 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:47 AM (IST)
सहमति के बाद भी डेढ़ महीने से आरएलडीए फंसाए हुए है रेलवे की जमीन पर सड़क बनाने का प्रस्ताव
बरेली जिले का इज्‍जतनगर रेलवे स्‍टेशन, इसके पास से ही सड़क बनने के प्रस्‍ताव पर सहमति हो चुकी है।

बरेली जेएनएन : इज्जतनगर से शाहदाना तक ढाई किमी तक फैली रेलवे की जमीन पर सड़क बनाने का प्रस्ताव रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) डेढ़ महीने से फंसाए हुए हैं। कमिश्नर रणवीर प्रसाद ने आरएलडीए को प्रस्ताव तैयार कराने के लिए कहा था। लेकिन प्रस्ताव नहीं मिलने से प्रशासन कदम आगे नहीं बढ़ा पा रहा है।

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डीएम नितीश कुमार शाहदाना से इज्जतनगर तक प्रस्तावित सड़क को लेकर अपनी योजना तैयार की। वह चाहते है कि रेलवे की मीटरगेज लाइन का इतिहास सड़क निर्माण के बाद भी लोगों के जेहन में जिंदा रहे। सड़क के किनारे वह पुराने इंजन की डिजाइन चाहते हैं। जोकि शाहदाना या इज्जतनगर  क्षेत्र में लगाया जा सकता है। कमिश्नर की अध्यक्षता में हुई बैठक में सड़क के दोनाें छोर पर व्यवसायिक गतिविधियां यानी बहुमंजिला बाजार बनाने के लिए कहा गया था।

लेकिन इस प्रयास के लिए जरूरी है कि आरएलडीए पहले अपना प्रस्ताव प्रशासन के सामने रखे। यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है कि आरएलडीए प्रस्ताव तैयार करने में लेटलतीफी दिखा रहा है। इससे पहले लैंडयूज बदलने पर पेंच फंसाया जा चुका है। केंद्रीय मंत्री से लेकर बरेली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने जब भी इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई है। रेलवे की तरफ से लेटलतीफी जारी रही है। डीएम नितीश कुमार ने बताया कि आरएलडीए का प्रस्ताव आने के बाद ही भविष्य पर चर्चा की जा सकती है।  

2.5 किमी लंबी बननी है सड़क

आरएलडीए के प्रोजेक्ट मैनेजर अरुण कुमार को प्रस्ताव तैयार करके अब डीएम के सामने रखना है। 2.50 किमी लंबे और 24 मीटर चौड़ी सड़क बनाए जाने के लिए आरएलडीए की जमीन को प्रशासन को अपने कब्जे में लेना है। इसके लिए दो विकल्पों पर चर्चा हुई। पहला कि आरएलडीए खुद ही सड़क बनाए। दूसरा यह कि करीब 120 करोड़ रुपये कीमत की रेलवे की जमीन को प्रशासन लीज पर लें।


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