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लखनऊ से बरेली आए ईडी अफसरों ने नेकपुर चीनी मिल पर ताला डालकर लिया कब्जा, बसपा शासनकाल में हुआ था चीनी मिल घोटाला

ED Action in Bareilly बसपा शासन में नेकपुर चीनी मिल सहित 21 मिलों को कौड़ियों के भाव में बेचने के मामले में लखनऊ से आए ईडी अफसरों ने मिल जब्त कर ली। प्रशासकीय अधिकारियों की मौजूदगी में नोटिस चस्पाने के बाद गेट पर ताला डालकर सील लगा दी।

By Ravi MishraEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 08:53 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 08:53 AM (IST)
लखनऊ से बरेली आए ईडी अफसरों ने नेकपुर चीनी मिल पर ताला डालकर लिया कब्जा, बसपा शासनकाल में हुआ था चीनी मिल घोटाला
लखनऊ से बरेली आए ईडी अफसरों ने नेकपुर चीनी मिल पर ताला डालकर लिया कब्जा

बरेली, जेएनएन। ED Action in Bareilly : बहुजन समाज पार्टी के शासन में नेकपुर चीनी मिल सहित 21 मिलों को कौड़ियों के भाव में बेचने के मामले में सोमवार को लखनऊ से आए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अफसरों ने जब्त कर ली। प्रशासकीय अधिकारियों की मौजूदगी में नोटिस चस्पा करने के साथ मिल के गेट पर ताला और सील लगा दी गई।

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लखनऊ से आए प्रवर्तन अधिकारी अजय गुप्ता और मदन मोहन तिवारी ने एडीएम सिटी महेंद्र कुमार सिंह से मुलाकात की। प्रर्वतन निदेशालय से जारी जब्तीकरण के दस्तावेज उन्हें सौंप दिए। इसके बाद सदर तहसीलदार गौतम सिंह ने एक टीम को प्रवर्तन अधिकारियों के साथ नेकपुर चीनी मिल भेजा। यहां कागजी कार्रवाई के बाद गेट पर अफसरों ने अपने ताले डालकर सील लगा दी। उन्होंने बताया कि 1952 में स्थापित नेकपुर चीनी मिल को 1973 में सरकार ने अधिग्रहित किया था। शुगर फेडरेशन के अधीन ये मिल 1984 में की गई। वर्ष 1995 में नेकपुर चीनी मिल को लक्ष्य से अधिक उत्पादन के लिए गोल्ड मेडल मिला, लेकिन 1998 में इसे घाटे में दिखाकर बंद कर दिया गया।

वर्ष 2007 में बसपा सरकार बनने के बाद जिन 21 बंद पड़ी चीनी मिलों को बंद करने का फैसला किया गया था। उसमें बरेली की नेकपुर चीनी मिल भी शामिल थी। उस वक्त बिजनौर की नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सिर्फ 14.11 करोड़ में यह चीनी मिल बेची गई थी। चीनी मिल काे बंद करने के दौरान तकरीबन एक हजार श्रमिक कार्यरत थे। अचानक ये कर्मचारी बेरोजगार हो गए। कुछ श्रमिक आज भी कोर्ट में केस लड़ रहे हैं।

यह घोटाला मायावती सरकार में वर्ष 2010-11 में हुआ था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अप्रैल 2018 को चीनी मिल घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने की सिफारिश कर दी थी। बसपा शासन में नीलामी प्रक्रिया में गड़बड़ी करते हुए कुछ खास कंपनियों को प्राथमिकता देने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बसपा के पूर्व एमएलसी मोहम्मद इकबाल द्वारा खरीदी गई सात चीनी मिलों की संपत्तियों को कब्जे में ले लिया था।

इनकी कुल कीमत 1097 करोड़ बताई गई। कुछ खास कंपनियों को नीलामी में प्राथमिकता देने के मामले में सीबीआई की जांच के आधार पर ही ईडी ने मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया। क्योंकि बसपा सरकार ने सिर्फ 60.28 करोड़ में इन चीनी मिलों का सौदा किया था। इसलिए 1030.72 करोड़ रुपये की राजस्व हानि मानी गई। जांच में सामने आया था कि बसपा के पूर्व एमएलसी मोहम्मद इकबाल की छद्म कंपनियां मेसर्स नम्रता मार्केटिंग प्रा. लि. और गिरिआसो कंपनी प्रा. लि. के जरिये चीनी मिलों की नीलामी में हिस्सा लिया गया। सामने आया कि दोनों कंपनियों ने उत्तर प्रदेश राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम लिमिटेड की ओर से की गई नीलामी में कंपनियों के शेयरों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।

ईडी के प्रवर्तन अधिकारी बरेली आए थे। उन्होंने चीनी मिल को जब्त करने की कार्रवाई की है। हमारे सामने उन्होंने अपने दस्तावेज रखे थे। - महेंद्र कुमार पांडेय, एडीएम सिटी बरेली


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