शाहजहांपुर में ब्रिटिशकालीन नालों पर टिका ड्रेनेज सिस्टम
24 अप्रैल 2018... नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा मिला। शहर का दायरा बढ़ा। महानगरों की तरह यहां भी सड़क बिजली व पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं बेहतर हुईं।
शाहजहांपुर, जेएनएन। 24 अप्रैल 2018..., नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा मिला। शहर का दायरा बढ़ा। महानगरों की तरह यहां भी सड़क, बिजली व पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं बेहतर हुईं, पर जलभराव की समस्या जस की तस है। हर साल बारिश के दौरान सड़कों पर जलभराव हो जाता है। ज्यादा देर पानी बरसने पर नगर निगम कार्यालय व उसके आसपास का क्षेत्र तालाब बन जाता है। अजीजगंज, गोविंदगंज, लाल इमली चौराहा से मल्हार सिनेमा जाने वाली सड़क पर पानी भरना तय है। इसका सबसे बड़ा कारण शहर का पुराने नालों पर टिका ड्रेनेज सिस्टम है। ब्रिटिश काल में बने 80 वर्ष से ज्यादा पुराने इन नालों की हर साल तलीझाड़ सफाई का दावा किया जाता है, लेकिन बारिश में असलियत सामने आ जाती है।
इसलिए होता है जलभराव खन्नौत व गर्रा नदी के बीच बसे शहर में लगभग सभी नाले चूना व सुर्खी से बनाए गए थे। उस समय की कम आबादी व जरूरत को देखते हुए कम ऊंचाई पर इनमें डाट बनाए गए थे, पर 80 सालों में न सिर्फ आबादी में कई गुना इजाफा हुआ बल्कि शहर का दायरा भी बढ़ा। कच्चे नालों में जमा गंदगी व नीची डाट पानी निकलने में अवरोध बनते हैं, जिस कारण नाले ओवरफ्लो होते हैं या उनका पानी तेजी से आगे नहीं जा पाता और जलभराव होता है।
ये भी बन रहे कारण सीवर सिस्टम होने से ड्रेनेज में मदद मिल सकती है। इसका बजट स्वीकृत हो चुका है। टेंडर भी फाइनल हो गया है, लेकिन काम अभी शुरू नहीं हो सका है। शहर के बाहरी इलाकों में सड़क के लेबल से नीचे मनमाने तरीके से प्लाटिंग हो रही है। जिस कारण बारिश का पानी भर जाता है। निगोही रोड, शाहजहजनगर रोड, अजीजगंज में इस तरह की दिक्कत ज्यादा है। सड़क ऊंची होने के कारण पानी की निकासी में दिक्कत होती है। अतिक्रमण के कारण पाटे गए नाले व नालियां और तालाब भी जलभराव का बड़ा कारण बन रहे हैं।
ठहर जाता है पानी जलभराव का दूसरा सबसे बड़ा कारण शहर में कई क्षेत्र व सड़कों का स्तर बीच-बीच में नीचा होना है। जिस कारण पानी का ठहराव वहां पर होता है। अतिक्रमण व नालियों में गंदगी के कारण भी पानी सड़कों पर भर जाता है।
हटवाईं डाट, पक्के करा रहे नाले हालांकि नगर निगम प्रशासन ने इसका निराकरण कराने के लिए नालों को पक्का कराना शुरू किया है। अधिकांश जगह काम भी हुआ है। नालों की डाट हटाकर ऊंचाई को बढ़ाया गया है। मुहल्लों व नए क्षेत्रों को छोटे नालों व नालियों के जरिए बड़े नालों से जोड़ा गया है। इसके अलावा सिल्ट सफाई के लिए आधुनिक मशीनें मंगवाई गई हैं।
ये भी होने चाहिए प्रयास सभी नालों को मेंटीनेंस जरूरी है। इन्हें पक्का कराने के साथ ही ट्रीटमेंट सिस्टम भी लगे। क्योंकि अभी नालों से पानी के साथ गंदगी भी सीधे नदी में जाकर गिरती है। जिससे वे प्रदूषित हो रही हैं। कई जगह कच्चे होने के कारण नालों में सिल्ट बैठ जाती है, जिस कारण पानी ओवरफ्लो होता है। जब नाले पक्के होंगे तो उनकी सफाई आसान होगी।
नदियों से राहत शहर के पूर्वी व पश्चिमी छोर पर नदियां हैं। दोनों नदियां आबादी के पास हैं। सबसे खास बात यह कि नदियां बस्ती से नीची हैं। इसलिए नालों से होकर पहुंचने वाला पानी आसानी से इनमें पहुंच जाता है। इसलिए शहर के अंदर जलभराव की स्थिति अधिकतम दो से तीन घंटे तक ही रहती है।
नालों की स्थिति - 17 बड़े नाले हैं शहर में बने हुए - 62 छोटे नाले व नालियां इनसे जुड़ी हैं। - गर्रा व खन्नौत नदी में गिरता है इनका पानी 15 नालों की क्षमता से ज्यादा बारिश होने की स्थिति में ही पानी रुकता है, लेकिन यह स्थिति कुछ देर ही रहती है। लो लैंड क्षेत्र में कुछ दिक्कत हो सकती है, पर शहर के किसी मुहल्ले में ऐसी स्थिति नहीं है। यहां नाले काफी बड़े हैं। दो नदियां हैं, जिनमें पानी सीधे जाता है। अधिकांश नालों को पक्का कराया जा चुका है, जिस कारण पानी की निकासी में मदद मिली है। एसके सिंह, अपर नगर आयुक्त