बरेली, जागरण संवाददाता: घर के बाहर खेल रहे तीन वर्षीय मासूम को कुत्तों का झुंड मुंह में दबाकर उठा ले गया। खेत में ले जाकर उसे नोचने लगे। मासूम चीखने-चिल्लाने लगा तो खेतों में काम कर रहे ग्रामीण मासूम को बचाने दौड़े। जब तक उसे बचाया गया, कुत्ते मासूम को कई जगह से नोंच चुके थे। आंख के ऊपरी हिस्से, चेहरे व सिर पर हमले के निशान थे। सिर से खाल अलग हो गई थी। मासूम खून से लथपथ था। घटना से अफरा-तफरी मच गई। आनन-फानन में मासूम को बेग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार में उसके कई टांके आए। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

घटना सीबीगंज के बंडीया गांव की है। गांव में रहने वाले कमलेश परसाखेड़ा स्थित एक फैक्ट्री में प्राइवेट नौकरी करते हैं। उनके मुताबिक, उनका तीन वर्षीय बेटा विवेक मंगलवार दोपहर घर के बाहर खेल रहा था। इसी दौरान 8-10 कुत्तों का झुंड बच्चे को मुंह में दबाकर एक खेत में ले गया। वहां पर कुत्ते बच्चे को नोचने लगे, बच्चा जोर-जोर से रोने लगा। 

बच्चे की चीख-पुकार सुन आसपास खेतों में काम कर रहे ग्रामीण तुरंत ही मौके पर पहुंचे और किसी तरह कुत्तों को भगाकर बच्चे को बचाया। कुत्तों ने बच्चे के सिर, चेहरे व सीने में नोचा है। गंभीर हालत स्वजन उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन, उसकी हालत बिगड़ती देख डाक्टरों ने निजी अस्पताल में रेफर कर दिया। मासूम बेग अस्पताल में भर्ती है।

दो मासूमों की जान ले चुके हैं खूंखार कुत्ते, निगम बेपरवाह

बंडीया गांव नगर निगम के वार्ड 27 में आता है। गांव में आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर है कि सालभर में छह से ज्यादा बच्चों को अपना निशाना बना चुके हैं जिसमें से सात वर्षीय रोहिणी व छह वर्षीय मोरपाल की मृत्यु हो चुकी है। कुत्तों ने नोच-नोच कर दोनों बच्चों को मार डाला था। दो-दो बच्चों की मौत के बाद भी नगर निगम ने कुत्ते पकड़ने की जहमत नहीं उठाई थी। नतीजा यह है कि कुत्ते आए दिन छोटे बच्चों को अपना निशाना बना रहे हैं।

ग्रामीणों ने बच्चों को घरों में किया कैद, दहशत

घटना के बाद से गांव में दहशत फैली हुई है। ग्रामीणों ने अपने छोटे बच्चों को घर में ही कैद कर दिया। उन्हें शाम को बाहर खेलने जाने को नहीं दिया। ग्रामीणों को डर है कि कहीं आवारा कुत्ते उनके बच्चों पर हमला ना कर दें। आस-पास के गांवों में भी घटना चर्चा का विषय बनी हुई है।

मीट खाकर खूंखार हो रहे कुत्ते

दरअसल, बंडीया गांव व उसके आसपास तमाम मीट बेचने की दुकानें हैं। अक्सर कूड़े के ढेर पर दुकानदार बचा मांस फेंक कर चले जाते हैं। इस वजह से कुत्ते मीट खाने के लिए आपस में ही लड़ते हैं। इसी दौरान आस-पास दिखने वाले मासूम बच्चे कुत्तों के निशाने पर आ जाते हैं और वह उन पर हमलावर हो जाते हैं।

Edited By: Shivam Yadav