जश्न में गाना-बजाना, शस्त्र प्रदर्शन से करें तौबा
जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी 21 नवंबर को मनाया जाएगा। इस बार जुलूस में डीजे पर पाबंदी रहेगी।
जागरण संवाददाता, बरेली : जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी 21 नवंबर को मनाया जाएगा। इस बार जुलूस में डीजे पर प्रतिबंध को लेकर खासतौर से सख्ती बरती जा रही है। उलमा-ए-कराम व समाज के बुद्धिजीवी वर्ग जुलूस में डीजे के पूरी तरह से खिलाफ हैं। सैलानी पर यह संदेश चस्पा किया गया है कि जुलूस में डीजे लेकर न हरगिज न आएं।
दरअसल, पिछले कुछ सालों से जुलूस में डीजे का रिवाज चलन में आ चुका है। हैवी साउंड पर डीजे बजाए जाते हैं। इससे जुलूस वाले इलाकों में शोर गूंजता है। जबकि उलमा-ए-कराम डीजे न बजाने की इल्तिजा करते रहते हैं। मगर इस बार डीजे को लेकर अभी से सख्त संदेश दिया जाने लगा है। शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम का कहना है कि जश्ने-ईद-मिलादुन्नबी में सच्ची मुहब्बत का नजराना पेश करने के लिए दुरुद शरीफ पढ़ें। अमन-सुकून के साथ सरकार की आमद का जश्न मनाएं। डीजे से बचें। यह ख्याल रखें कि सरकार के जश्न में रत्ती भर भी दिखावा नहीं होनी चाहिए।
250 अंजुमन होंगी शामिल
-ईद मिलादुन्नबी के जश्न में छोटी-बड़ी करीब 250 अंजुमन शामिल होंगी। जश्न का सिलसिला दो दिन चलेगा। पहले 20 और फिर 21 नवंबर को अंजुमन के जुलूस निकलेंगे। जश्न को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
सोशल मीडिया पर डीजे को न
-ईद मिलादुन्नबी के जश्न में डीजे के बहिष्कार को लेकर सोशल मीडिया पर मुहिम चल रही है। नौजवान, डीजे नो-टैग के साथ यह अपील कर रहे हैं कि पैगंबर-ए-इस्लाम की आमद के जश्न में डीजे न बजा जाए। इसके बजाय दुरुद शरीफ का नजराना पेश करें।
हथियारों की न करें नुमाइश
-शनिवार को जमात-रजा-ए-मुस्तफा की बैठक हुई। उपाध्यक्ष सलमान हसन खां ने कहा कि जश्न में गाना-बजाना और डीजे हरगिज न बजाएं, न ही हथियारों की नुमाइश करें। यातायात नियमों का पालन करें। कोई भी ऐसा काम न करें जिससे किसी शख्स की धार्मिक भावनाएं आहत हों। इस दौरान मुफ्ती सय्यद अजीमुद्दीन, मौलाना शहजाद, मौलाना जाहिद, कारी शरफुद्दीन, सय्यद मोहसिन रजा, डॉ. मेंहदी, मुदस्सिर रजा, अजहर बेग, दन्नी अंसारी आदि मौजूद रहे।