बरेली-सीतापुर फोरलेन बनाने में गड़बड़ी, सर्वे से पहले हो गया था टेंडर
करीब 11 साल से अधूरे बरेली-सीतापुर राजमार्ग के निर्माण में अफसरों ने पुरानी निर्माण एजेंसी के साथ मिलकर गड़बड़ी की। पहले एरा कंपनी के काम को कागजों में अधिक दर्शाया गया बाद में सर्वे रिपोर्ट आने से पहले दूसरी फर्म को ठेका दे दिया। जब रिपोर्ट आई तब पता चला कि लागत तो करीब सवा चार सौ रुपये ज्यादा है। गड़बड़ियों पर पर्दा डालते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने रिवाइज बजट अनुमोदन के लिए मुख्यालय भेज दिया। मगर इस हेराफेरी के कारण काम में देरी तय है। जबकि अक्टूबर तक काम पूरा करने के निर्देश थे।
जागरण संवाददाता, बरेली: करीब 11 साल से अधूरे बरेली-सीतापुर राजमार्ग के निर्माण में अफसरों ने पुरानी निर्माण एजेंसी के साथ मिलकर गड़बड़ी की। पहले एरा कंपनी के काम को कागजों में अधिक दर्शाया गया, बाद में सर्वे रिपोर्ट आने से पहले दूसरी फर्म को ठेका दे दिया। जब रिपोर्ट आई तब पता चला कि लागत तो करीब सवा चार सौ रुपये ज्यादा है। गड़बड़ियों पर पर्दा डालते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने रिवाइज बजट अनुमोदन के लिए मुख्यालय भेज दिया। मगर, इस हेराफेरी के कारण काम में देरी तय है। जबकि अक्टूबर तक काम पूरा करने के निर्देश थे।
मुरादाबाद से सीतापुर तक 157 किमी फोरलेन निर्माण का काम एरा कंपनी को दिया गया था। 2200 रुपये के बजट में 1400 करोड़ खर्च दिखाकर कंपनी भाग गई। प्राधिकरण के अधिकारियों ने बाकी काम के आकलन को आधार बनाने के बजाय शेष 767 करोड़ बजट का टेंडर निकाल दिया। आगरा की राज कंस्ट्रक्शन समेत तीन कंपनियों ने संयुक्त रूप से न्यूनतम बिड पर करीब 697 करोड़ में यह काम लिया। कंपनी का कहना था कि मौके पर बजट से ज्यादा काम अधूरे छूटे थे। यहां हुई गड़बड़ी
वर्ष 2019 में प्राधिकरण ने दिल्ली की कंसल्टेंट कंपनी आइसीटी को बचे हुए कार्य का सर्वे करने को लगाया था। इसकी रिपोर्ट बनाने के लिए 70 लाख रुपये भी दिए गए। रिपोर्ट आती, इससे पहले वर्ष 2019 में संयुक्त कंपनी को टेंडर दे दिया गया। दूसरी ओर कंसल्टेंट कंपनी ने पिछले साल मार्च में 1309 करोड़ रुपये की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई, जुलाई में 1372 करोड़ और कई लग्जरी आइटम हटाकर नवंबर में 1150 करोड़ की फाइनल रिपोर्ट दी। दूसरी ओर अधिक काम और बजट कम होने की बात कहते हुए कार्यदायी संस्था ने काम धीमा कर दिया। अब चार करोड़ और मांगे
प्राधिकरण ने निर्माण की गुणवत्ता नियंत्रण, बिलों के सत्यापन आदि के लिए जयपुर की थीम इंजीनियरिग सर्विस कंपनी को भी लगा दिया। जिसने फरवरी से जून तक तीन बार सर्वे कर 1126 करोड़ रुपये का रिवाइज प्रस्ताव दिया। इस एस्टीमेट के अनुसार प्रोजेक्ट में करीब सवा चार सौ करोड़ का अंतर निकाला। इसके अनुमोदन के लिए मुख्यालय भेज दिया गया। इतना काम बाकी
ओवरब्रिज, आरओबी, पुलिया समेत करीब 49 स्ट्रक्चर बनाए जाने थे। एरा कंपनी ने 12 काम किए। 37 काम शुरू ही नहीं हुए या अधूरे थे। एरा के बनाए 12 पुलों भी आठ वर्ष में खराब हो गए। अधूरी बनी सड़कें भी अब नये सिरे से बन रहीं। फोरलेन का निर्माण कर रही ज्वाइंट वेंचर कंपनी धीमी गति से काम कर रही है। उनकी समस्याएं सुनी हैं मगर, काम में तेजी नहीं आई तो विकल्प तलाशा जाएगा।
-अमित रंजन चित्राशी, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ