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कार्तिक पूर्णिमा पर साल के अंतिम चंद्र ग्रहण का नहीं पड़ेगा कोई असर

धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक दैत्य का वध किया था। इसलिए इस पर्व को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। त्रिपुरदैत्य का वध होने के बाद देवताओं ने प्रसन्न होकर के दीवाली मनाई थी। इसलिए इस पर्व को देव दीवाली भी कहते हैं।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 06:52 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 01:59 PM (IST)
कार्तिक पूर्णिमा पर साल के अंतिम चंद्र ग्रहण का नहीं पड़ेगा कोई असर
उदया तिथि की प्रधानता अनुसार यह पर्व 30 नवंबर को स्नान दान के साथ मनाया जाएगा।

 बरेली जेएनएन ।  30 नवंबर को इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा लेकिन यह उपछाया ग्रहण होगा। ज्योतिष विज्ञान में छाया ग्रहण का कोई महत्व नहीं होता और ना ही सूतक काल माना जाता है। इसलिए इस ग्रहण का कोई महत्व नहीं होगा। ज्योतिषाचार्य पं. मुकेश मिश्रा ने लोगों को अफवाहों से बचने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि इस बार दुर्लभ संयोगो के समावेश मे कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी।

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कार्तिक पूर्णिमा को ही होती है देव दीवाली 

 देव दीवाली का त्योहार 30 नवंबर सोमवार को होगा। दरअसल कार्तिक पूर्णिमा को देव दीवाली कहते हैं। ज्योतिषाचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि इस बार पूर्णिमा का मान 29 नवंबर को दोपहर 12.47 से शुरू हो जाएगा और 30 नवंबर को दोपहर 2.58 बजे तक रहेगा। उदया तिथि की प्रधानता अनुसार यह पर्व 30 नवंबर को स्नान दान के साथ मनाया जाएगा। इस दिन स्नान दान पुण्य का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है।

 दान से अक्षय फल की होती है प्राप्ति 

पुराणों के अनुसार इस दिन किया गया दान अक्षय फल की प्राप्ति कराता है। कहते हैं यह पूर्णमासी सभी 12 पूर्णमासी में श्रेष्ठ मानी जाती है। इसमें इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम, भगवान सत्यनारायण की कथा, सुंदरकांड, रामायण और हरिनाम कीर्तन का खासा महत्व होता है। इस दिन दान अवश्य ही करना चाहिए क्योंकि इस दिन दान-पुण्य करने से ग्रह बाधा शांत होती है और भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी के साथ प्रसन्न होकर वरदान देते हैं। इस दिन दीपदान का भी खासा महत्व माना जाता है। कहते हैं जो दीपदान करते हैं उनसे सभी देवता प्रसन्न हो जाते हैं और पित्र भी प्रसन्न होकर अपने वंश को आशीर्वाद देते हैं।

यह है पौराणिक महत्व

धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक दैत्य का वध किया था। इसलिए इस पर्व को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। त्रिपुरदैत्य का वध होने के बाद देवताओं ने प्रसन्न होकर के दीवाली मनाई थी। इसलिए इस पर्व को देव दीवाली भी कहते हैं। एक और मान्यता के अनुसार गंगा तट पर इस दिन 33 करोड़ देवता एक साथ विद्यमान हो करके दीवाली मनाते हैं।

दुर्लभ संयोगो का रहेगा समावेश

कार्तिक पूर्णिमा इस बार सोमवार के दिन मनाई जाएगी। सोमवार चंद्रमा का प्रतीक है और चंद्रमा यश, वैभव,धन संपदा, सौंदर्यता और शांति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन चंद्रमा भी अपनी उच्च राशि वृष में रहेगा। जो कि बहुत ही ज्यादा शुभ दायक है। साथ ही रोहिणी नक्षत्र भी चार चांद लगाने का काम करेगा। वही 27 योगों में शिव योग भी व्याप्त रहेगा। जो कि बेहद कल्याण कारक है। शिव को समर्पित यह दिन है ।इसलिए यह योग और भी मंगलकारी हो जाएंगे। 


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