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मुहल्लानामा : जारी है बहस, औरंगजेब या फिर शुजाउद्दौला ने बनवाया था किला Bareilly News

इस कोठी में रहने वाले वसीमुज्जफर खां व उनकी बेगम मलका हुमायूं का ताल्लुक नवाब नजीबुद्दौला से है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 01:03 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 02:23 PM (IST)
मुहल्लानामा : जारी है बहस, औरंगजेब या फिर शुजाउद्दौला ने बनवाया था किला Bareilly News
मुहल्लानामा : जारी है बहस, औरंगजेब या फिर शुजाउद्दौला ने बनवाया था किला Bareilly News

बरेली [वसीम अख्तर] : किला मुगलिया सल्तनत के रहते बना या फिर अवध की हुकूमत में। सैकड़ों साल बाद खंडहर में तब्दील हो चुके इस किले को लेकर बहस जारी है। लोग अपने बुजुर्गो से सुनी बातों के आधार पर 400 साल तो कोई 500 साल पहले बनने की दलील देते हैं। किसी से मुगलिया सल्तनत में बनने की जानकारी मिलती है तो कुछ का कहना है कि यह किला अवध की हुकूमत रहते ढाई सौ साल पहले बना था। इतिहास के जानकार भी सही तारीख बताने में असमर्थ हैं। खैर, गुजरे दौर की आन-बान-शान का गवाह किला भले ही नहीं रहा लेकिन शहर का एक बड़ा हिस्सा इसी नाम से पहचाना जाता है, जहां कुछ पुरानी इमारतें अब भी सुरक्षित हैं।

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अंग्रेजों के रहते बनी कोठी की चमक-दमक कायम
किला से थोड़ा हटकर बाद में एक कोठी बजरिया संदल खां में बनी थी। इस कोठी में रहने वाले वसीमुज्जफर खां व उनकी बेगम मलका हुमायूं का ताल्लुक नवाब नजीबुद्दौला से है। वसीमुज्जफर बताते हैं कि कोठी का निर्माण उनके पिता एवं डिप्टी कलेक्टर मुईनुज्जफर खां ने 1937 में कराया था, जो अंग्रेजों की हुकूमत रहते ऑनरेरी मजिस्ट्रेट थे। बाद में एडीएम होकर रिटायर्ड हुए। उन्हीं के नाम पर कोठी डिप्टी साहब के नाम से मशहूर है। इसे इफ्तेखार मंजिल भी कहते हैं।
1948 में गिरा दिया गया गेट 
नासिरुद्दीन खां बताते हैं कि 1870 में ब्रिटिश सरकार के एंग्लो साहब ने साहूकारा की ओर जाने वाले रास्ते में दो खंभे बनाकर किले का गेट बना दिया था। गेट के ऊपर एक बड़ा कमरा बनवाया गया था। यह कमरा दोनों ओर के बाजार को जोड़ता था। लोग इसका इस्तेमाल पुल की तरह भी करते थे। 1948 में यह गेट गिरा दिया गया। गेट के अवशेष मौजूद हैं। एक में चूने की दुकान चल रही है।

ब्रिटिश काल में बनी डिप्टी साहब की कोठी। जागरण

तुरंत सजा का प्रावधान 
यहीं के रहने वाले ऋषि कुमार ने बताया कि 1900 के आस-पास यहां एक अदालत हुआ करती थी। दूर क्षेत्रों में भी मशहूर थी। यहां बैठकर मुकदमे, लंबी जिरह और सुनवाई के बाद जज कठोर फैसले सुनाया करते थे। कई दोषियों को अदालत के बाहर ही फांसी दे दी गई थी।
यहां था किला 
रेलवे क्रासिंग के इस तरफ जहां पुलिस चौकी बनी है, यहीं किला का गेट था। इसके बारे में कहा जाता है कि बरेली में भीषण तूफान आने पर यह क्षतिग्रस्त हो गया था। यह रास्ता अब किला से कुतुबखाना की तरफ जाता है। मुहल्ले के बुजुर्ग बताते हैं कि जहां किला था, वहां अब आबादी हो गई है। कुछ पुरानी दीवारें बची हैं, जिनसे किला होने का आभास मिलता है। मार्ग पर थोक का कारोबार होता है। इसे अब किला बाजार कहते हैं।
इतिहास के जानकारों की बात 
मुगल शासकों के बाद बरेली पर अवध के नवाब की हुकूमत भी रही है। उनकी निशानियां किला क्षेत्र में मौजूद हैं। इतिहास के जानकार शाहीन रजा जैदी का कहना है कि किले का निर्माण तब शुरू हुआ जब 1777 में रुहेलखंड शुजाउद्दौला के कब्जे में आ गया। पूरा निर्माण उनके बेटे आसिफउद्दौला ने किया। यहां शिया आसिफी जामा मस्जिद भी उसी दौर की है। लेखक एवं इतिहासकार सय्यद लतीफ अहमद बताते हैं कि हाफिज रहमत खां का खानदान और शुरुआत में नवाब रामपुर भी यहीं रहते थे। इस एतबार से किला मुगलिया सल्तनत के दौर में बनने की बात साबित होती है। इसे तोड़ने के बाद दोबारा निर्माण कराए जाने की बात भी कही जाती है।


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