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Dainik Jagran Sanskarshala : सार्वजनिक संपत्ति के सम्मान से ही प्रगति करेगा हिंदुस्तान

Dainik Jagran Sanskarshala राजकीय हाईस्कूल तालगौटिया के प्रधानाचार्य डा. सुभाष चंद्र मौर्य ने बताया कि ऐसे भवन या संपत्ति जिसका उपयोग जल प्रकाश शक्ति व ऊर्जा के उत्पादन या वितरण में किया जाता है। कोई प्रतिष्ठान सीवरेज कारखाना लोक परिवहन या दूर संचार साधन आदि सार्वजनिक संपत्ति है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 06:50 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 06:50 AM (IST)
राजकीय हाईस्कूल तालगौटिया के प्रधानाचार्य डा. सुभाष चंद्र मौर्य।

बरेले, जेएनएन।  Dainik Jagran Sanskarshala : राजकीय हाईस्कूल तालगौटिया के प्रधानाचार्य डा. सुभाष चंद्र मौर्य ने बताया कि ऐसे भवन या संपत्ति जिसका उपयोग जल, प्रकाश, शक्ति व ऊर्जा के उत्पादन या वितरण में किया जाता है। इसके अलावा कोई प्रतिष्ठान, सीवरेज, कारखाना, लोक परिवहन या दूर संचार साधन आदि सार्वजनिक संपत्ति है। मेरा भारत, मेरा कार्तव्य संविधान की शपथ है। हमारे मौलिक कर्तव्य में आता है कि हम सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करें और हिंसा से दूर रहें। व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें। ताकि राष्ट्र हमेशा उच्च स्तर की उपलब्धि शामिल करें। सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा पर कानून: सरकार ने राष्ट्रहित में एक सही कदम उठाने की पहल की है और इस दिशा में गंभीर प्रयास भी शुरू कर दिए हैं।

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वैसे तो प्रदर्शन व आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की बढ़ती प्रवृत्ति को देख उच्चतम न्यायलय ने बहुत पहले ही एक कमेटी गठित कर दी थी। इस कमेटी को यह सुझाव देना था कि प्रिवेंशन आफ डेमेज टू पब्लिक प्रापर्टी कानून 1984 को किस तरह से और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। बेशक मन से न सही, कम से कम सजा के भय से तो कुछ अच्छे परिणाम मिलने को संभावना बनेगी। इसलिए अब जरूरत इस बात की है कि इस कानून को यथाशीघ्र सामयिक व सख्त बनाकर देश भर में लागू किया जाए और सार्वजनिक संपत्ति के प्रति जो नजरिया बन गया है उसे बदला जाए। सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसे पांच साल तक की सजा या जुर्माने या फिर दोनों हो सकते हैं। वहीं अग्नि व किसी विस्फाेटक पदार्थ से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को दस साल की सजा और जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है।

सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना: अक्सर देखने में आता है कि विरोध के नाम पर सबसे पहले सार्वजनिक संपत्ति को निशाना बनाकर नुकसान पहुंचाया जाता है। जबकि मूल कर्तव्य में कहा गया है कि हमें हर हाल में सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना है और हिंसा से दूर रहना है। अगर कोई सार्वजनिक संपत्ति जैसे बस, इमारत आदि को नुकसान पहुंचाने कोशिश करता है तो उसे रोकना चाहिए। ऐसे ही सामूहिक और व्यक्तिगत गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए। उसमें भाग चाहिए ताकि देश का विकास हो सके।


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