Move to Jagran APP

Coronavirus Update : कोरोना से जीतने वाले प्रवासी बोले- यहीं काम मिल जाता तो मुंबई क्यों जाते Bareilly News

रोजी रोटी कमाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर मुंबई जाकर फल का ठेला लगाने लगे । लॉकडाउन हुआ तो कुछ दिन हिम्मत दिखाई मगर भूख ने तोड़ दी। मजबूरन घर चले आए।

By Ravi MishraEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 09:37 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 05:49 PM (IST)
Coronavirus Update : कोरोना से जीतने वाले प्रवासी बोले- यहीं काम मिल जाता तो मुंबई क्यों जाते Bareilly News
Coronavirus Update : कोरोना से जीतने वाले प्रवासी बोले- यहीं काम मिल जाता तो मुंबई क्यों जाते Bareilly News

बरेली, [अभिषेक पांडेय]। रोजी रोटी कमाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर मुंबई जाकर फल का ठेला लगाने लगे । लॉकडाउन हुआ तो कुछ दिन हिम्मत दिखाई मगर भूख ने तोड़ दी। मजबूरन घर चले आए। यहां आकर पता चला कि कोरोना संक्रमित हैं। इलाज के बाद ठीक हो गए लेकिन गुरुवार को अस्पताल से डिस्चार्ज होते वक्त भविष्य की चिंता उनके चेहरे पर तैर रही थी। बोले, कोरोना से जीत गए मगर हालात से हरा दिया। अब आगे क्या होगा यह नहीं पता।

loksabha election banner

मीरगंज के खानपुरा में रहने वाली राशिद बेग के परिवार में कोई नहीं है। होश संभाला तो मां गुजर गई। चार साल पहले पिता रियासत बेग का इंतकाल हो गया। यहां कमाई के साधन नहीं बने तो सिरौली में रहने वाले रिश्तेदार सलीम के साथ मुंबई के कुर्ला इलाके में फल का ठेला लगाने चले गए। राशिद बताते हैं वहां कोरोना संक्रमण तेजी से फैला तब भी हिम्मत थी कि यहीं रहकर मुश्किल वक्त काट लेंगे।

हम दोनों अपनी अपनी ठेली पर ही सोते थे। लॉकडाउन हुआ तो काम बंद हो गया कुछ जमा पूंजी थी जिससे कुछ दिन खाने का इंतजाम किया। कुछ रकम वापसी के लिए बचा कर रख दी। अप्रैल का दूसरा सप्ताह आते आते हिम्मत टूटने लगी थी। पुलिस वाले वहां आकर भगाते। किसी आश्रय गृह में रखने के बजाय वहां से भाग जाने को कहते थे। इस बीच हमारे पास खाने-पीने का सामान भी खत्म हो चुका था। कई बार भूखे रहना पड़ा।

वहां के लोगों ने या सरकार की ओर से राशन, भोजन की मदद नहीं मिली  सवाल पर बोले कि जो लोग घरों में रहते थे उन्हीं राशन आदि पहुंचाया जा रहा था सलीम बोले, हम लोगों के पास एक दिन भी कोई नहीं आया। हालात से हम लोग हार मान चुके थे। आखिरकार 8 मई को एक ट्रक वाले से बात हुई जो कि अंगूर लेकर बरेली आता था। उसने यहां तक पहुंचाने के बदले 3500 किराया मांगा। हम दोनों ने अपने पास जितने भी रुपए थे, इकट्ठे कर उसे किराए में दे दिए। बरेली पहुंचकर स्वास्थ्य विभाग ने जांच की तो दोनों कोरोनापाजिटिव पाए गए। 14 मई को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया।

डिस्चार्ज होने का संतोष, भविष्य की फिक्र:

आखिरकार दोनों ने कोरोना वायरस के संक्रमण को हरा दिया और गुरुवार देर शाम को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। घर जाने से पहले सलीम व राशिद ने फोन पर कहा कि मुंबई में सरकार व वहां के लोग यदि मदद करते तो इतनी तकलीफ नहीं होती। अब अपने शहर आ गए हैं यही काम धंधा तलाशों़़़़़ इस सलाह पर बोले कि यदि यहां काम मिल जाता तो मुंबई ही क्यों जाते? तीन चार माह वहां रहकर कमाते थे इसके बाद कुछ दिन यहां रहते। अब वहां लौटने की हिम्मत नहीं है। आने वाले समय में जहां रोजी रोटी के इंतजाम के लिए जूझना होगा। उन्हें अपने प्रदेश की सरकार से मदद की आस है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.