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एसआरएमएस मेडिकल कालेज में मिलेगी कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी की सुविधा, केंद्र सरकार के पैनल में हुआ शामिल

केंद्र सरकार ने सुनने और बोलने में अक्षम बच्चों और बड़ों के लिए चलाए जा रहे कोक्लियर इंप्लांट प्रोग्राम के लिए बरेली के एसआरएमएस मेडिकल कालेज को पैनल में शामिल किया है। केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने अपना सहमति पत्र भेजा है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 11:06 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 11:06 AM (IST)
एसआरएमएस मेडिकल कालेज में मिलेगी कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी की सुविधा, केंद्र सरकार के पैनल में हुआ शामिल

बरेली, जेएनएन।  केंद्र सरकार ने सुनने और बोलने में अक्षम बच्चों और बड़ों के लिए चलाए जा रहे कोक्लियर इंप्लांट प्रोग्राम के लिए बरेली के एसआरएमएस मेडिकल कालेज को पैनल में शामिल किया है। केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने अपना सहमति पत्र एसआरएमएस मेडिकल कालेज के ईएनटी एंड एचएनएस विभाग को भेजा है।

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एसआरएमएस मेडिकल कालेज के ईएनटी एंड एचएनएस विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा.रोहित शर्मा ने बताया कि पैनल में शामिल होने से एसआरएमएस मेडिकल कालेज में जरूरतमंद सभी बच्चों की कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी अब संभव हो पाएगी। ज्यादा खर्च होने की वजह से यह सर्जरी आम लोगों की पहुंच से बाहर थी। हालांकि एसआरएमएस ट्रस्ट की ओर से दो जरूरतमंद बच्चों की कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी प्रति वर्ष निश्शुल्क कराई जा रही है।

डा.रोहित शर्मा ने बताया कि हमारे ईएनटी विभाग में विश्वस्तरीय उपकरण और सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसी वजह से हमें कभी किसी मरीज को रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ी।

इनके लिए जरूरी है सर्जरी

कुछ वर्ष पहले हमने अपने विभाग में कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी भी आरंभ की थी। यह सर्जरी उन मूक बधिर बच्चों के कानों में करने की जरूरत पड़ती है जो सुनने में पैदायशी अक्षम हों या बाद में किसी इंफेक्शन की वजह से सामान्यतः सुनने में सक्षम न हों।

पांच से 20 लाख रुपये है कीमत 

यह महंगी सर्जरी है। इसमें लगने वाली डिवाइस (इलेक्ट्रोड) की कीमत ही पांच लाख से 20 लाख तक होती है। इसी वजह से यह सर्जरी आम लोगों की पहुंच से बाहर है। ऐसे में पिछले कई वर्षों से एसआरएमएस ट्रस्ट अपनी ओर से प्रति वर्ष दो बच्चों की सर्जरी करा रहा था। इसके आपरेशन से लेकर डिवाइस और दवाइयों तक का खर्च एसआरएमएस ट्रस्ट की ओर से ही वहन किया जाता है। लेकिन महंगा आपरेशन होने की वजह से ज्यादातर बच्चों की सर्जरी नहीं हो पा रही।

मुंबई में है नोडल इंस्टीट्यूट 

केंद्र सरकार ने ऐसे बच्चों के इलाज के लिए मुंबई स्थित अली यावर जंग नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्पीच एंड हियरिंग डिसबिलिटीज को नोडल इंस्टीट्यूट बनाया है। ऐसे सभी बच्चों का आपरेशन इस इंस्टीट्यूट द्वारा करवाया जाता है। जिसका खर्च केंद्र सरकार देती है। पैनल में शामिल होने से एसआरएमएस मेडिकल कालेज जरूरतमंद पांच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों की कोक्लियर इंप्लांट सर्जरी करने में सक्षम होगा। इसके साथ ही हम सुनने और बोलने की ट्रेनिंग भी आपरेशन के बाद बच्चों को देंगे। इसका सारा खर्च केंद्र सरकार द्वारा उठाया जाएगा।

एसआरएमएस प्रदेश का पहला मेडिकल कॉलेज : डॉ शर्मा

डा.शर्मा ने कहा कि पैनल में शामिल होने वाला एसआरएमएस उत्तर प्रदेश का पहला निजी मेडिकल है। देश के भी कुछ ही गिने चुने मेडिकल कालेज इस प्रोग्राम के तहत केंद्र सरकार के पैनल में शामिल हैं।

एसआरएमएस मेडिकल कालेज के डायरेक्टर आदित्य मूर्ति ने इस उपलब्धि पर डा.रोहित शर्मा और ईएनटी विभाग के अन्य डाक्टरों सहित सभी साथियों को बधाई दी। प्रोग्राम में शामिल किए जाने से हम पश्चिमी उप्र और उत्तराखंड के ऐसे सभी बच्चों को हम नया जीवन देने में सफल होंगे जो किसी कारण से सुनने में सक्षम नहीं हैं। 


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