स्वच्छ भारत मिशन : गड्ढा यहां... शौचालय कहां Bareilly News
खुले में शौच मुक्त के लिए सिस्टम ने कागजी आंकड़ों में सभी गांव ओडीएफ घोषित कर दिए। शासन को भेजी रिपोर्ट में यह बता दिया गया कि अब कोई भी खुले में शौच को नहीं जा रहा है।
जेएनएन, बरेली : खुले में शौच मुक्त के लिए सिस्टम ने कागजी आंकड़ों में सभी गांव ओडीएफ घोषित कर दिए। शासन को भेजी रिपोर्ट में यह बता दिया गया कि अब कोई भी खुले में शौच को नहीं जा रहा है। सिस्टम के इन दावों का सच जानने जब दैनिक जागरण की टीम निकली तो जमीनी हकीकत सरकारी कागजों से बिलकुल जुदा थी। कई जगह गड्ढे तो खोदे हुए दिखे मगर शौचालय नहीं। कुछ जगह ऐसी भी जहां शौचालय का ढांचा तो तैयार कर दिया गया, लेकिन उनमें अभी सीट तक नहीं लगाई गई है। फिलहाल आधी अधूरी तैयारियों के बीच की गई ओडीएफ की घोषणा पूरी तरह से सवालों के घेरे में आ गई है।
नहीं मिली दूसरी किश्त
आंवला प्रतिनिधि के, अनुसार ब्लॉक आलमपुर जफराबाद के गांव मझारा की श्यामकली, रेखा देवी, द्रोपा, रेशमा, विमला, हरप्यारी, शारदा, उॢमला सुषमा देवी, मीरा, सरला ङ्क्षपकी आदि ने बताया कि वर्ष 2018 को दिसंबर माह में उनकी पहली किस्त खातों में आई थी जिससे आधा निर्माण करा लिया गया। दूसरी किस्त के बाद भी 149 लाभार्थियों को वह किस्त नहीं मिल सकी इससे उनके शौचालय अभी भी अधूरे पड़े हैं। ब्लॉक रामनगर के गांव बराथानपुर बालरपुर के पात्रों की भी समस्या ऐसी ही है दूसरी किस्त की रकम नहीं मिली। अधबने शौचालय में किसी ने कबाड़ भर दिया या फिर किसी अन्य प्रयोग में ले लिया। बराथानपुर की श्यामकली, मुलादेवी, नन्ही देवी, प्रेमराज व नेमचंद बालरपुर के अवधेश, राहुल, वेदपाल, श्रीपाल ने बताया कि एक किस्त में जितना निर्माण हो सकता था उतना कराया गया। नत्थो देवी व सौदान सिंह , बालरपुर के मैदान लाल व शांति देवी ने बताया कि पात्रता सूची में नाम होने बाद भी उनका शौचालय नहीं बन सका।
न तो सीट है और न ही दरवाजा
दमखोदा प्रतिनिधि के अनुसार, गांव खिरनी के भानू सिंह , राम किशोर, डालचंद्र, नन्हे लाल, रानीदेवी, राम सिंह के यहां शौचालय का ढांचा बनाकर खड़ा कर दिया गया है पर उसमें न तो सीट है और न ही दरवाजा। यहां टैंकों के लिए गड्ढे भी नहीं खोदे गये हैं। बहेड़ी ब्लॉक के गांव नारायन नगला के महेंद्र सिंह , हरजना, नूरबानो समेत तमाम लोगों के यहां भी शौचालय के नाम पर ढांचा बनाकर खड़ा कर दिया गया है।
यहां भी अधूरे पडे़ है शौचालय
नवाबगंज प्रतिनिधि के मुताबिक, भदपुरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत मुकया जगरूप व मजरा कमलापुर महराब खां में 260 शौचालयों का निर्माण कराया गया। इनमें से अधिकांश शौचालय आधे अधूरे पड़े हैं। दरवाजा तो कहीं छत नहीं है। सोमपाल व अजय कुमार के अलग-अलग शौचालयों का टैंक भी एक ही बना दिया गया है, जबकि ग्राम मुडिय़ा जगरूप निवासी शकुंतला देवी के शौचालय के निर्माण के कुछ दिनों बाद ही उसकी छत टूट कर गिर पड़ी। इसी गांव के भगवत सरन के शौचालय में दरवाजा ही नहीं लगाया गया है। इसके चलते शौचालय खंडहर बन चुका है। प्राथमिक विद्यालय में बनाए गए शौचालय में खराब दरवाजा लगा दिया गया। वह चंद दिनों में ही टूट गया। अब बच्चों को बिना दरवाजे के शौचालय में शौच को जाना पड़ रहा है।
शौचालय में रखें मिले उपले व लकड़ी
भुता प्रतिनिधि के अनुसार गांव डभौरा में 118 शौचालय का निर्माण स्वीकृत हुआ था। इनमें से दस शौचालयों का निर्माण अधूरा है। इस गांव में वल्र्ड विजन कंपनी की ओर से भी 151 शौचालयों का निर्माण कराया गया लेकिन कुछ पात्रों ने शौचालय में लकड़ी व उपले भर रखे हैं, जबकि शौच के लिए खुले में जा रहे हैं। गांव के छेदा लाल मूंगा लाल आदि के शौचालय बदहाल है। गांव के ओमप्रकाश, गणेशप्रसाद, नरेश कुमार, राममूर्ति, दोदराम ने बताया कि उनके शौचालय नहीं बनवाए गए हैं। वहीं शीशगढ़ प्रतिनिधि के अनुसार बिल्सा, गिरधरपुर ,बल्ली, गुलडिय़ा, लखा आदि गांवों में दर्जनों शौचालय अधूरे पड़े हैं। गांव गिरधरपुर में नत्थू लाल पुत्र गंगाराम का टैंक तो बन गया है लेकिन शौचालय नहीं बना है। रामप्यारी पत्नी मेवाराम, गीता देवी पत्नी बाबू राम, सुखदेई पत्नी शेर सिंह , गीता देवी, मौकों देवी पत्नी लाला राम आदि के शौचालय अधूरे हैं। देवीदास ,केसरबती, तोताराम, छंगो देवी, भगवान दास आदि ने इसकी शिकायत की है।
एक नजर में आंकड़ा
- जिले की ग्राम पंचायतें : 1143
- जिले के राजस्व गांव की संख्या : 1843
- बेसलाइन सूची के आधार पर बनवाए गए शौचालय : 256621
- एलओबी के आधार पर बने शौचालय : 54619
- यूनीवर्सल सेनिटेशन कवरेज की रिपोर्ट में बनने वाले शौचालय : 2347