Jagran Special : जनसंख्या नियंत्रण पर शहर इमाम बोले- शरीयत में आबादी नियंत्रित करने की इजाजत Bareilly News
पहले मौलाना तौकीर रजा खां के बढ़ती आबादी को घातक बताने के बाद अब शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने शरीयत के हवाले से रोकथाम का तरीका बताया है।
वसीम अख्तर, बरेली : जब कभी जनसंख्या नियंत्रण के हक मेें आवाज उठी है, बरेलवी उलमा की तरफ से पुरजोर विरोध दर्ज कराया गया है। पहली बार माहौल थोड़ा सकारात्मक दिख रहा है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का बयान आने के बाद सहमति के सुर भी सुने जा रहे हैैं। पहले मौलाना तौकीर रजा खां के बढ़ती आबादी को घातक बताने के बाद अब शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने शरीयत के हवाले से रोकथाम का तरीका बताया है।
सिरे से खारिज की थी नसबंदी : बढ़ती जनसंख्या के बीच अकसर नियंत्रित करने की आवाजें भी उठती रही हैैं। साथ में इनका विरोध भी होता रहा है। दरगाह आला हजरत दुनियाभर में बरेलवी मुसलमानों का मरकज (केंद्र) है। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के कार्यकाल में यहां से नसबंदी को लेकर विरोध हुआ था। फतवे जारी हुए थे। उस दौर के उलमा ने नसबंदी को सिरे खारिज कर दिया था और अड़ गए थे।
मुस्लिम गलियारों में छिड़ी बहस : अब आकर जनसंख्या को नियंत्रित करने के मुद्दे पर पहली बार बरेलवी मुसलमानों के मरकज से नरम रुख की आवाजें भी सुनी जा रही हैैं। हालांकि अभी दरगाह से जुड़े प्रमुख उलमा खामोश हैैं लेकिन आल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां के जनसंख्या घटाने में सहयोग का बयान देकर मुस्लिम गलियारों में बहस छेड़ दी है।
रोका जा सकता है बुनियाद पड़ने से : मौलाना ने कहा था कि जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है, इसमें हर्ज नहीं है। 'जागरण' ने इस बारे में मजहबी पहलू जानने के लिए शहर इमाम से बात की। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि नसबंदी इस्लाम में नाजायज है और मुफ्ती आजम ने अपने जमाने में ही इसके खिलाफ फतवा दिया था। हां, शरीयत में अदल का हुक्म है। वह यह कि अगर कोई बच्चा नहीं चाहता तो उसकी बुनियाद पडऩे से रोक सकता है।
यरीयत ने बताया है उसका तरीका : शरीयत ने उसका तरीका भी बताया है कि गर्भावस्था जैसे हालात न बनने दें। स्पष्ट यह कि उसे ऐसा करने से पहले बीवी की सहमति लेना होगी। कोई आधुनिक तरीका अपनाने के सवाल पर शहर इमाम ने कहा कि उसके लिए शरीयत में कोई व्यवस्था नहीं है। साफ है कि शरई एतबार से मुसलमान बच्चों की पैदाईश को लेकर खुद को रोक सकते हैैं।
संघ प्रमुख ने ये दी थी अपनी राय : संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुरादाबाद के कार्यक्रम में दो बच्चों की वकालत की थी। वहां से जब वह बरेली आए और 19 जनवरी को भविष्य का भारत विषय पर व्याख्यान दिया तो सफाई दी कि दो बच्चों को लेकर उनकी व्यक्तिगत राय थी। नीति बनाना या नहीं बनाना यह सरकार का काम है।
21 जनवरी को ये बोले थे मौलाना तौकीर : मौलाना तौकीर रजा खां ने संघ प्रमुख के बयान पर 21 जनवरी को जागरण से कहा था कि अगर दो बच्चों को लेकर नीति बनती है और दो से ज्यादा बच्चों वालों को सरकारी नौकरी और चुनाव लडऩे से रोका जाता है तो हम इसका समर्थन करेंगे। बढ़ती जनसंख्या देश के लिए घातक है, इसे रोका जाना चाहिए।