Children's Day 2019: प्रदूषण और मोबाइल के दुरुपयोग पर बच्चों ने लिखी PM को पाती Bareilly News
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पाती भी भेजी। कई गंभीर बिंदुओं को साझा किया। किसी ने मोबाइल के अधिक उपयोग पर चिंता व्यक्त की तो किसी ने बढ़ते प्रदूषण पर।
जेएनएन, बरेली: बाल दिवस...बच्चों को दिन। वो मौका जब सिर्फ उनकी बात सुनी जाए, समझी जाए। इस दिवस के बहाने जागरण ने अपने शहर के बच्चों का मिजाज जानना चाहा। उन बच्चों ने अपने मन की बात साझा तो की ही, साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पाती भी भेजी। कई गंभीर बिंदुओं को साझा किया। किसी ने मोबाइल के अधिक उपयोग पर चिंता व्यक्त की तो किसी ने बढ़ते प्रदूषण पर।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, मैं केंद्रीय विद्यालय इफ्को में सातवीं कक्षा की छात्रा हूं। मैंने अनुभव किया है कि आज ज्यादातर लोग किताब पढऩे के बजाय मोबाइल और इंटरनेट में अपना समय व्यर्थ गंवा रहे हैं। मेरे पापा कहते हैं कि तात्कालिक समाधान के लिए यह तरीका तो अच्छा है लेकिन लंबे सफर के लिए घातक है। पुस्तकें न पढ़ पाने के चलते बच्चे विस्तृत जानकारी नहीं हासिल कर पाते। मेरा सुझाव है कि देशभर में कुछ ऐसी पहल की जाए जिससे प्रत्येक सप्ताह कम से कम दो घंटे स्कूलों में बच्चे अपनी पाठ्य पुस्तक से हटकर अन्य पुस्तकें पढ़ें और उसमें रुचि विकसित करें। इसके साथ ही पठन-पाठन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित हों। -अनन्या वत्स, केंद्रीय विद्यालय इफ्को, बरेली
प्रधानमंत्री महोदय, मैं दसवीं की छात्रा हूं। मैंने अखबारों में पढ़ा है कि आप उत्कृष्ट भारत की कल्पना के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। आज मैंने देश में बढ़ते प्रदूषण स्तर और उससे फैल रही बीमारियों के बारे में अखबार में पढ़ा। मैंने इसके बारे में मम्मी-पापा से भी पूछा। सभी यही कहते हैं कि इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। मैंने अपने इनवारयमेंटल साइंस की टीचर से भी बात की। उन्होंने बताया कि हमारे देश में विकास की अंधी दौड़ में लोग पर्यावरण को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। तालाबों पर कब्जा हो चुका है। इमारतें खड़ी करने के लिए पेड़ काट दिए जा रहे हैं। आज बाल दिवस पर मैं आपको यह पत्र लिख रही हूं। मेरा यही उद्देश्य है कि आप इन मुद्दों पर चिंतन-मनन करें और सकारात्मक कदम उठाएं। -आसी गुप्ता, डीपीएस, बरेली
आदरणीय प्रधानमंत्री, मैं 10वीं कक्षा की छात्रा हूं। आज बाल दिवस के अवसर पर मैंने और मेरे साथियों ने अपने मन की बात लिखने का फैसला लिया था। आपने देश को एकजुट करके मजबूत करने में काफी सकारात्मक कार्य किया है। अमीरी-गरीबी के बीच की खाई दूर करने के लिए आपने कई योजनाएं शुरू कीं। लेकिन हमें एक उत्कृष्ट भारत का नागरिक होने पर यहभी सोचना होगा कि क्या सबकुछ सही चल रहा है? नए भारत में क्या कमी रह गई कि आज भी लोग एक-दूसरे के प्रति भेदभाव करते रहते हैं? इसमें कहीं न कहीं हमारी शिक्षा व्यवस्था दोषी है। हमें स्कूल में दाखिला लेने के समय ही अपनी जाति और धर्म के बारे में बताना होता है। यहीं से हमारे अंदर जाति और धर्म को लेकर कई बातें समाहित हो जाति हैं जो आगे चलकर भेदभाव में बदल जाती है। सर, यह बंद होना चाहिए। मेरा सुझाव है कि हर स्कूल-कॉलेज के फार्म से जाति का कॉलम हटा दिया जाए। अगर जरूरत हो भी तो उसे गोपनीय तरीके से रखा जाए और बच्चों से कभी यह कॉलम न भरवाया जाए।- रश्मि चौहान, डीपीएस, बरेली
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, मैं कक्षा नौ की छात्रा हूं। आपने नए भारत की कल्पना की है। मैं उससे काफी प्रेरित हूं। इसलिए आज मैंने बाल दिवस के अवसर पर आपको पत्र लिखा। जब भी मैं अपने नए भारत के बारे में सोचती हूं तो मुझे वो कहानियां याद आ जाती हैं जो पापा मुझे सुनाते थे। मैं ऐसे भारत की कल्पना करती हूं जहां हरियाली हो। चिडिय़ों की चहचहाट हो। मैदान में खेलते बच्चें हों। बच्चों पर पढ़ाई का बोझ न हो। बच्चों को उनका बचपन वापस मिल जाए। यह आपके द्वारा ही संभव है। आज पैरेंट्स और समाज के दबाव में बच्चों का बचपन खोता जा रहा है। प्लीज कुछ ऐसा करिए जिससे हम सभी उसी सपनों के देश में वापस जाएं जहां खुशहाली हो। -सौदामिनी त्रिवेदी, जीआरएम स्कूल, बरेली
प्रधानमंत्री जी, पिछले मैं हर रोज आपको टीवी में देखती हूं और अखबारों में आपकी बातें पढ़ती हूं। आपके निडर स्वभाव को देखते हुए ही मुझे आप यह पत्र लिखने की प्रेरणा मिली है। मैं आपको इस पत्र के माध्यम से अपने दिल की बात बताना चाहती हूं। मेरे बरेली में पिछले एक माह में मैंने कई खबरें पढ़ी जिसमें कुछ लोगों ने अपनी बच्ची को सड़क किनारे मरने के लिए फेंक दिया। मैं भी एक लड़की हूं इसलिए मैं अधिक परेशान हूं। प्लीज आप इसपर कुछ करिए। अगर ऐसे ही बेटियां फेंकी जाती रहीं तो यह देश आगे नहीं बढ़ सकता है। प्लीज सर... मुझे पूरा यकीन है कि आप जरूर इसके लिए कुछ करेंगे। -गौरी शर्मा, जीआरएम स्कूल, बरेली