Move to Jagran APP

Jagran Special : कोरोना बरपा रहा कहर, नहीं भरने दे रहा बच्चों के दिलों के छेद

लोगों की तमाम मुश्किलों का कारण बना कोरोना बच्चों की सांसों पर भारी पड़ रहा है। इस बीमारी के कारण उन 40 बच्चों का आप्रेशन नहीं हो पा रहा है जिनके दिलों में छेद है। दरअसल ये ऑपरेशन लखनऊ व अलीगढ़ में ही हो सकते हैं!

By Ravi MishraEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 05:52 PM (IST)
कोरोना नहीं भरने दे रहा बच्चों के दिलों के छेद वाली खबर में प्रतीकात्मक फोटो

शाहजहांपुर, अजयवीर सिंह।  लोगों की तमाम मुश्किलों का कारण बना कोरोना बच्चों की सांसों पर भारी पड़ रहा है। इस बीमारी के कारण उन 40 बच्चों का आप्रेशन नहीं हो पा रहा है, जिनके दिलों में छेद है। दरअसल ये ऑपरेशन लखनऊ के केजीएमयू व अलीगढ़ के नेहरु मेडिकल कॉलेज में ही हो सकते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण सिर्फ इमरजेंसी की स्थिति में ही मरीज लिए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत गांवों में लगाए गए स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों में 0 से 12 साल तक के 44 ऐसे बच्चे चिन्हित किए थे जिनके दिल में छेद है। चार बच्चों का अलीगढ़ नेहरु मेडिकल कॉलेज में आपरेशन कराया गया था, लेकिन इस बीच कोरोना संक्रमण शुरु हाे गया। छह माह से अधिक समय हो चुका है, लेकिन इन बच्चों के आपरेशन के लिए मेडिकल कॉलेज से समय नहीं मिल पा रहा है।

loksabha election banner

वर्ष 2020-21 में नहीं लगे कैंप

हर साल प्रत्येक गांव के बेसिक स्कूल में एक बार व आंगनबाड़ी केंद्रों पर दो बार स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाया जाता है। जिसमे 0 से 15 साल तक के बच्चों का चेकअप कराया जाता है। वर्ष 2020-21 में अब तक एक भी कैंप नहीं लगा है।

ददरौल में मिले सर्वाधिक

विकासखंड ददरौल क्षेत्र में सर्वाधिक 12 बच्चे ऐसे मिले है। जिनके दिल में छेद है। इसके अलावा निगोही क्षेत्र में नौ बच्चे है। अन्य बच्चे खुटार, भावलखेड़ा, कलान, सिंधौली, मदनापुर, जलालाबाद व पुवायां क्षेत्र से हैं।

महंगा है इलाज

दिल में छेद होने पर उसके ऑपरेशन में दो से ढाई लाख रुपये तक का खर्च आता है। 19 साल की आयु तक इनका आप्रेशन हो सकता है। आपरेशन न होने की स्थिति में बच्चों को सांस लेने में दिक्कत आती है। जो उम्र के साथ बढ़ती जाती है। आगे चलकर यह गंभीर भी हो सकती है।

15 दिन रहना पड़ता है भर्ती

जिन बच्चों को ऑपरेशन के लिए यहां से भेजा जाता है उन्हें 15 दिन तक मेडिकल कॉलेज में भर्ती रखा जाता है। ऑपरेशन होने के बाद करीब एक माह तक दवाएं खानी पड़ती है।

आयरन की गोली न खाने से होती है दिक्कत

गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयरन की गोली दी जाती है। डॉक्टर बताते हैं कि बहुत सी महिलाएं जागरूकता के अभाव में गोली नहीं खाती है। जिस वजह से उनके बच्चों में अक्सर यह बीमारी होती है।

जो बच्चे चिह्नित किए गए हैं उनसे हमारा लगातार संपर्क रहता है। 15 से 20 दिन में उन्हें निश्शुल्क दवाएं भी दी जाती हैं। प्रयास कर रहे हैं कि जल्द इनका ऑपरेशन कराया जाए।संतोष कुमार सिंह, जिला प्रबंधक, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.