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Lockdown Creativity : लॉकडाउन में जीवंत हुई दादा दादी की कहानियाें से बच्चों को मिल रहे हुनर और संस्कार Bareilly News

लॉकडाउन शुरू हुआ तो दादा-दादी की कहानियां फिर जीवंत हो गई। टीवी पर रामायण के प्रसारण ने सभी अनुकरणीय पात्रों को दिमाग में बैठा दिया। इसके साथ ही बच्चों ने इनोवेशन के जरिये इस वक्त को काट लिया। पढ़ाई की नई ऑनलाइन विधा को भी उन्होंने खूब स्वीकारा।

By Edited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 02:13 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 08:21 AM (IST)
Lockdown Creativity : लॉकडाउन में जीवंत हुई दादा दादी की कहानियाें से बच्चों को मिल रहे हुनर और संस्कार Bareilly News
Lockdown Creativity : लॉकडाउन में जीवंत हुई दादा दादी की कहानियाें से बच्चों को मिल रहे हुनर और संस्कार Bareilly News

बरेली, जेएनएन। : घर से स्कूल और वहां से वापसी पर होमवर्क में उलझे बच्चे ़ ़ ़न दादा-दादी के पास बैठ पाते थे और न उनकी कहानियों-अनुभवों से सीखने का मौका मिलता। संस्कार शब्द के मायने उनसे दूर होते जा रहे थे। लॉकडाउन हुआ तो सबसे बड़ी चिंता उन बच्चों के व्यवहार को लेकर शुरू हुई। उनके संयम और धैर्य को लेकर मां-पिता की फिक्र जायज थी कि कोरोना संक्रमण काल में वे किस तरह चौबीस घंटे घर के अंदर रह सकेंगे। कैसे उन्हें समझाया जा सकेगा कि घर से बाहर नहीं जाना है।

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लॉकडाउन शुरू हुआ तो इस अंदेशों से एकदम अलग तस्वीर सामने आई। दादा-दादी की कहानियां फिर जीवंत हो गई। टीवी पर रामायण के प्रसारण ने सभी अनुकरणीय पात्रों को दिमाग में बैठा दिया। इसके साथ ही बच्चों ने इनोवेशन के जरिये इस वक्त को काट लिया। पढ़ाई की नई ऑनलाइन विधा को भी उन्होंने खूब स्वीकारा। रामायण में देखे धनुष-बाण, घर में किए तैयार राज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर श्रद्धा पटेल का बेटा सारथी कक्षा चार का छात्र है।

लॉकडाउन के दौरान रामायण देख ऐसा प्रभावित हुआ कि उसने घर में ही तलवार, धनुष बाण, भाला जैसी तमाम चीजें यू-ट्यूब की मदद से कागज की बना लीं। श्रद्धा बताती हैं कि पहली बार बेटे ने रामायण देखी है। उसे नई चीजें बनाने में रुचि है। पार्थ बताते हैं कि पढ़ाई की वजह से समय नहीं मिलता था। लॉकडाउन में बहुत सी नई चीजें सीखी।

दोस्तों की मदद से बनाई शॉर्ट मूवी कक्षा छह की छात्रा स्वर्णिमा ने लॉकडाउन की छुट्टियों में पढ़ाई के साथ लेखन, चित्रकारी के अलावा तीन दोस्तों संग मिलकर शॉर्ट मूवी बनाई। इसके लिए पहले कहानी लिखी। फिर प्रणवी, रिदिमा और अमीषा संग एडवेंचर पर पांच से छह मिनट की मूवी बनाई। स्वर्णिमा बताती है कि मम्मी डॉ. संध्या सक्सेना शिक्षिका हैं। दादी डॉ सरोजनी सक्सेना भी शिक्षिका रही हैं। उनसे छुटिट्यों में खूब कहानी सुनी। रामायण में लव कुश कौन थे, यह भी जाना।

लॉकडाउन में बच्चों का वास्तविक पारिवारिक माहौल मिला जिसमें बुजुर्गो के पास बैठकर कहानियां सुनने को मिलीं। इनसे जो सीख मिलती है, वह जिंदगी भर याद रहती है। इस अवधि में बच्चों के व्यक्तित्व का भी विकास हुआ। प्रतिभाएं भी निखरी। क्षितिजा सिंह, बाल मनोवैज्ञानिक, बरेली


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